क्या रिश्ते ऐसे टूट जाते हैं – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

हेलो,रिचा, रिचा बेटा सुन रही हो, हां आंटी बोलिए मैं सुन रही हूं । बेटा तुम्हारी मम्मी ग्वालियर में आई ,सी यू में भर्ती हैं ।हालत नाज़ुक है ,ब्रेन हैमरेज हो गया है । बेहोश हो गई थी दो दिन हो गए आज बीच बीच में हल्का सा होश आता है

तो वो बेहोशी की हालत में रिचा रिचा बड़बड़ा रही है ।श हो तो बेटा मम्मी को एक बार देख आओ मां बाप दोबारा नहीं मिलते हैं बेटा।जी आंटी जी देखती हूं कहकर रिचा ने फोन काट दिया । आंटी जी रिचा के घर के पड़ोस में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला थी उनका रिचा के परिवार से अच्छे संबंध हैं ।

सुधा और अनिल की बेटी है रिचा ।एक बेटा मंयक है और एक बेटी रिचा । बेटा बैंक में नौकरी करता है और उसकी शादी हो चुकी है और रिचा भाई से छोटी थी और एक स्कूल में टीचिंग की जाब करती हैं। रिचा देखने सुनने में थोड़ी अच्छी नहीं थी

मोटी भी थी लेकिन रिचा की भाभी काफ़ी सुंदर थी देखने में। घर में भाभी और ननद में आपस में तनातनी रहती थी पटती नहीं थी । भाभी हर समय सुंदर न होने का रिचा को थाना मारती रहती थी । वैसे रिचा पढ़ी लिखी और घर के कामों में बहुत होशियार थी ।

लेकिन रिचा की भाभी घर के कामों से और घर की जिम्मेदारी तो से काफी दूर रहती थी । रिचा की मम्मी सुधा जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था तो रिचा बहुत अच्छी तरह ध्यान रखती थी उनका । दोनों मां बेटी आपस में बहुत क्लोज थी ।

रिचा की शादी में काफी दिक्कतें आ रही थी । कहीं भी बात चलती उसका मोटापा और सुंदर न होना आगे आ जाता था ।इस बात से रिचा और सुधा और पापा अनिल बहुत परेशान रहते थे । मां के इतनी नजदीक रहने वाली रिचा ने एक ऐसी घटना को अंजाम दिया कि सब सकते में आ गए।

रिचा ने घर से भागकर किसी लड़के से शादी कर ली थी।जब ये बात सुधा को पता लगी तो वो तो बेहोश ही हो गई कि ये क्या कर लिया तुमने रिचा । क्यों कि लड़का छोटी जाति का था ।

शाम हो गई जब रिचा स्कूल से घर नहीं आई तो सुधा ने रिचा को फोन किया कहां हो रिचा अभी तक घर नहीं आई।तब रिचा ने बताया कि मम्मी मैंने शादी कर ली है । रोज़ रोज़ के नाटक से मैं तंग आ गई थी मम्मी मैंने  आप सबकी मुश्किल आसान कर दी।ये सुनकर सब सकते में आ गए।

रिचा के घर का पता लेकर अनिल और मंयक उसके घर गए और रिचा से बोला रिचा घर चलों ऐसी शादी को हम नहीं मानते, लेकिन रिचा ने मना कर दिया घर जाने से । मंयक और पापा अनिल ने कहा यदि तुम इस समय घर नहीं चलती तो आज से हमारा तुम्हारा रिश्ता खत्म अब घर मत आना। लेकिन रिचा कस से मस नहीं हुई

उस बात को आज तीन साल हो गए उस दिन से न रिचा घर आई और नहीं सुधा और अनिल और मंयक ने ही कोई मतलब रखा । हां सुधा जी बेटी के ग़म में बीमार होने लगी। क्यों कि रिचा मम्मी का बहुत ख्याल रखती थी अब सुधा जी का ध्यान कोई नहीं रखता था ।

जब भी कोई सुधा जी के सामने रिचा की बात छेड़ देता आंखों में आंसू भर जाते उनके। सुधा गुमशुम सी रहने लगी थी दिल दिमाग पर रिचा हावी थी वो कुछ कर नहीं पा रही थी क्यों कि अनिल और मयंक ने सख्ती से मना कर दिया था कि नाक कटवा दी हमारे घर की अब कोई मतलब नहीं रखना।

बेहोशी की हालत में सुधा जी रिचा, रिचा बुला रही थी । डाक्टर ने अनिल से पूछा ऐ रिचा कोन है जिसे  सुधा जी पुकार रही है।तो अनिल बोले बेटी थी हमारी ,थी का क्या मतलब अब नहीं है क्या, नहीं है तो लेकिन हम लोग उससे संबंध नहीं रखते । डाक्टर ने कहा देखिए यदि सुधा जी की जान बचानी है तो उसको बुलाइए । लेकिन मंयक और अनिल तैयार नहीं थे । इतनी बेइज्जती करवा दी हम लोगों की अब उसे नहीं बुलाना है ।

इस तरह मां की खबर सुनकर रिचा भी बेचैन हो गई थी मां से मिलने को। लेकिन जाए कैसे ।उसका तो घर में आना-जाना बंद है । फिर रिचा ने हिम्मत करके मयंक को फोन किया कि भाई मुझे मां से मिलना है । लेकिन मंयक ने सख्ती से मना कर दिया।

लेकिन भाई वो मेरी मां है इसका अधिकार आप मुझसे नहीं छीन सकते । लेकिन उस समक्ष मां का ख्याल नहीं आया जब इतना बड़ा कारनामा कर रही थी मयंक बोला । रिचा बोली घर में सब मेरी शादी को लेकर परेशान थे

तो मैंने सबकी परेशानी दूर कर दी तो क्या बुरा किया । लेकिन तुमने हम लोगों को बताया क्यों नहीं और छोटी जाति का लड़का कैसे तुम्हें एक्सेप्ट करें मंयक बोला।भाई आप लोगो को बताते तो आप लोग तैयार न होते इस लिए कर लिया था। फिलहाल तुम्हें यहां आने की कोई जरूरत नहीं है मयंक बोरिचा ने आंटी को फोन किया

आंटी घर में कोई तैयार नहीं है कि मैं मां से मिलने आऊं क्या करूं । फिर आंटी ने समझाया देखो बेटा मम्मी को कुछ हो गया तो जिंदगी भर का पछतावा रह जाएगा।ऐसा करो मैं तुम्हारे पापा से बात करती हूं समझाती हूं उन्हें।

ऐसा करो तुम किसी को बिना बताए ग्वालियर चली जाओ दूर से मां को देखकर चली आओ ।आई,सी यूं में तो वैसे भी नहीं जाने देते । लेकिन ऐसे जाने से क्या फायदा आंटी जब मां के नजदीक ही न था पाऊं। हां वो तो है अच्छा रूको मैं तुम्हारे पापा से बात करती हूं।

आंटी ने अनिल को समझाया कि देखो इस समय सुधा की हालत ठीक नहीं है। आंटी काफी बड़ी उम्र की है इस समय अपनी जिद छोड़ दो सुधा की हालत देखो। यदि डाक्टर कह रहा है कि बेटी को बुलाओ तो हो सकता है उसकी हालत में सुधार हो जाए ।न करना तुम उससे बात देख लेने दो उसको एक बार । अनिल चुप रहे लेकिन चुप रहकर उन्होंने अपनी मौन स्वीकृति दे दी थी ।

रिचा आज ग्वालियर आई अस्पताल जाकर डाक्टर से उसने बात की की मैं रिचा हूं। डाक्टर बोले अच्छा ऐसा करिए आप उनके रूम में जाइये और उनके कान में मम्मी बोलिए रिचा ने वैसा ही किया । रिचा के मम्मी बोलते ही सुधा के शरीर में कुछ हलचल हुई

, उसने फिर दोबारा मम्मी कहां तो सुधा जी की थोड़ी सी आंख खुली ।सब नजारा अनिल जी बाहर से देख रहे थे । फिर बिना पापा से और मंयक से मिले रिचा वापस चली गई। धीरे धीरे सुधा जी के हालत में सुधार होने लगा । डाक्टर ने अनिल से बोला यदि सिर्फ मम्मी बोलने से आपके पत्नी के शरीर में हरकत हो रही है तो उसे आने दीजिए।

फिर रिचा दो तीन बार ग्वालियर गई और धीरे धीरे सुधार की स्थिति हो रही थी तो सुधा ने अच्छे से आंखें खोल कर रिचा को देखा ।जी भर तसल्ली हो गई उनकी और ठीक होने लगी सुधा जी।

टूटते रिश्ते आज फिर से जुड़ रहे थे।आज अनिल ने रिचा को फोन करके कहा मम्मी को देखने आ जाओ ।हुए ठीक होकर आई सी यू से बाहर और फिर घर आ गई ।दो चार दिन में सुधा की फोन पर रिचा से बात है जाती है ।

दवा से बढ़कर कभी कभी अपनों का साथ भी आवश्यक होता है । तीन सालों से अंदर ही अंदर दबा हुआ दर्द पिघल रहा था।और सुधा जी स्वस्थ हो रही थी ।भले ही बेटी घर नहीं आती तो क्या फोन पर बात हो जाती है । मां बाप के बच्चों से रिश्ते टूटते कहां है 

धन्यवाद

मंजू ओमर 

झांसी उत्तर प्रदेश

26 मई

2 thoughts on “क्या रिश्ते ऐसे टूट जाते हैं – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi”

  1. कहानी बहोत अच्चही हैं. 👌👌सच कहा हैं अपने ही अपनो की दवा होते हैं.🙏😊

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