बहुत बार ज़िंदगी आपके सामने ऐसा सवाल खड़ा कर देती हैं जिसका ना तो आपके पास कोई जवाब होता है और ना ही आप उस सवाल से बच सकते हो।ऐसा ही एक सवाल रजत की जिंदगी में भी आ खड़ा हुआ था।
रजत दिल्ली की मध्यम वर्गीय सोसाइटी में रहने वाला एक आम इंसान था जो एक कंपनी में नौकरी करता था।घर में माता-पिता ,छोटी बहन, पत्नी और एक प्यारी सी बेटी थी जो सात वर्ष की थी। रजत एक आम आदमी की तरह अपने घर और काम दोनों में ही व्यस्त रह खुशहाल जीवन जी रहा था।छुट्टी वाले दिन कभी दोस्तों के साथ तो कभी घरवालों के साथ घूमने फिरने का प्रोग्राम बना लेता और ऐसे ही सबकी ज़िंदगी मज़े में कट रही थी।
पिछले कुछ दिनों से उसकी तबीयत थोड़ी सी खराब रह रही थी।डॉक्टर से चेकअप के बाद पता चला कि उसका बीपी थोड़ा बढ़ा हुआ था डॉक्टर ने उसे कुछ दवाइयों के साथ सुबह सैर करने की हिदायत दे दी और कहा कि सुबह की सैर आपके स्वास्थ्य के लिए एक रामबाण की तरह काम करती है।
रजत की पत्नी प्रिया ने अब उसकी स्वास्थ्य की सारी ज़िम्मेदारी अपने सर पर उठा ली थी।वैसे भी वह बेचारी सारा दिन घर के कामों में उलझी रहती थी। सास ससुर की वह प्यारी बहू और अपनी ननद की दुलारी भाभी थी।रिश्तेदारों में भी आदर्श बहू के रूप में वह जानी जाती थी।सब को प्यार से रखना और बड़ों को इज्ज़त देना उसके स्वभाव में शामिल था।आज तक रजत को भी उससे कभी कोई शिकायत नहीं हुई थी
अगले दिन से ही प्रिया ने रजत को सुबह उठा कर ज़बरदस्ती कॉलोनी के पार्क में सैर करने भेज दिया। पहले तो रजत का बिल्कुल भी मन नहीं किया जाने का लेकिन फिर प्रिया के ज़िद करने पर वह मन मसोस कर उठ कर चल दिया।बाहर आकर ताज़ी हवा में उसे अच्छा तो लगा पर पहले दिन थोड़ी सी थकान भी हो गई।फिर तो यह रोज़ का क्रम बनता गया।
रजत चाहता था कि प्रिया भी उसके साथ सुबह सैर पर चला करें ताकि उसे भी आगे चलकर कोई दिक्कत ना हो और ताज़ी हवा में घूमने से उसे भी अच्छा लगेगा पर प्रिया को उस समय ढेरों काम होते।उसे बेटी को स्कूल में भेजना होता और रजत के टिफिन की भी तैयारी करनी होती इसलिए रजत को अकेले ही हर बार जाना पड़ता।
वहां कॉलोनी के पार्क में रजत की बहुत सारे लोगों से मुलाकात होती। धीरे-धीरे और भी लोगों से उसका मेलजोल बढ़ने लगा।इसी तरह एक दिन वह पार्क में सैर कर रहा था तो एक स्मार्ट सी महिला उसके पास से गुज़री और उसे हाथ हिलाकर अभिवादन किया।रजत ने भी उत्तर में अपना सिर हिला दिया। महिला बहुत तेज़ सैर कर रही थी और तेज़ कदमों से चलते चलते वह रजत से आगे निकल गई।
रजत ने देखा कि महिला ने बढ़िया सा ट्रैक सूट पहना हुआ था और साथ ही पैरों में बढ़िया से स्पोर्ट्स शूज भी।अपने पहनावे से और देखने में महिला किसी अच्छे घर की मालूम हो रही थी।
अब तो रजत की उस महिला से रोज़ मुलाकात होनी शुरू हो गई।बातों का सिलसिला शुरू हुआ और वह बातें धीरे-धीरे मित्रता का रूप लेना शुरू हो गई।अब रजत को रोज़ ही सुबह सैर पर जाने की बहुत जल्दी रहती। प्रिया हैरान भी थी और खुश भी कि इतनी आना कानी करने वाला उसका पति अब बिना किसी अलार्म के ही सुबह जल्दी उठकर सैर के लिए अपने आप ही तैयार हो जाता है।
प्रिया ने देखा कि रजत अब अपने पहनावे को लेकर भी बहुत सजग हो गया था।बाज़ार से दो-तीन नए ट्रैक सूट और अच्छे स्पोर्ट्स शूज़ लेकर आया था। प्रिया ने एक बार पूछा भी,”क्या बात है? इतना बन ठन कर सैर करने का क्या शौक चढ़ा है”?
रजत हंसते हुए बोला,”अरे, अब सैर करने जाऊंगा तो अच्छे कपड़े भी तो पहनूंगा ना”।
प्रिया अपने घर के कामों में ही उलझी हुई थी उसे इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा ना हुआ कि शायद उसका पति कहीं किसी गलत रास्ते पर ना चल पड़ा हो। वैसे भी रजत जैसे पति पर शक करने का तो वह सोच भी नहीं सकती थी। इधर रजत की उस महिला से मुलाकातें अब शाम को भी होने लग पड़ी।वह महिला कॉलोनी के दूसरे ब्लॉक में रहती थी और अभी कुछ महीने पहले ही अपने नए घर में आई थी।उसका तलाक हो चुका था और वह एक स्वच्छंद विचारों वाली महिला थी।
रजत से उसके विचार मेल तो नहीं खाते थे लेकिन ना जाने क्या आकर्षण था उसमें कि रजत उस महिला जिसका नाम कामिनी था उसकी तरफ खिंचता चला गया।अब वह आए दिन शाम को कामिनी से मिलने उसके घर जाने लगा या कभी किसी रेस्त्रां में।वह प्रिया को बहाना बनाकर टाल देता कि आज ऑफिस में ज़रूरी काम था या फिर बॉस ने किसी काम के लिए उसे कहीं भेज दिया था और वो बेचारी पति की बात को सच मान लेती।
एक बार उसके पिता जी ने टोका भी,” क्या बात है रजत आजकल आए दिन तू लेट आता है…क्या काम का इतना दबाव बढ़ गया है”?
“नहीं पिता जी, ऐसा कुछ नहीं है…कंपनी में नए क्लाइंट के साथ कुछ मीटिंग चल रही है तो इस वजह से मैं लेट हो जाता हूं “।
रजत ने अपने पिता से कह तो दिया लेकिन अंदर से वह घबरा गया कि कहीं उसकी चोरी कभी पकड़ी ना जाए। यह सिलसिला लगातार चल रहा था। इस बात को लगभग दो महीने बीत गए थे। रजत और कामिनी अब हफ्ते में दो बार से ज़्यादा मिलना शुरू हो चुके थे।वह उसके के साथ शॉपिंग करने भी जाता लेकिन अंदर से उसे डर लगा रहता है कि कहीं उसे कोई देख ना ले।उसने कामिनी को कुछ महंगे उपहार दिए और उसने साथ ही साथ प्रिया के लिए भी वही सामान खरीदा। रजत अब चाहता था कि उनकी मित्रता कुछ और आगे बढ़े।उसकी इस चाहत को शायद कामिनी के मनोभावों ने ही बढ़ावा दिया था जो उसके चेहरे पर साफ नज़र आते थे।
एक दिन रजत को उसके घर जाते प्रिया की किसी सहेली ने देख लिया। कामिनी की अपनी कॉलोनी में ज़्यादा अच्छी साख नहीं थी। प्रिया की सहेली ने जब प्रिया को यह बात बताई तो वह आश्चर्यचकित रह गई लेकिन उसने अपनी सहेली से यही कहा ,”हां, मैं उस महिला को अच्छी तरह जानती हूं।वह रजत की जानकार है इसलिए कभी-कभी उन्हें वह मदद के लिए बुला लेती है..अकेली रहती है ना और अकेली औरत के लिए रहना कितना मुश्किल होता है”। प्रिया ने अपनी सहेली को यह बात बोल तो दी लेकिन अब उसके मन में एक अंतर्द्वंद सा चल पड़ा।वह दिन रात यही सोचती रही कि उसके प्यार में कहां कमी रह गई थी जो रजत किसी दूसरे महिला की तरफ आकर्षित हो गया था।
प्रिया को अभी भी यकीन नहीं था उसे लगा कि शायद सच में रजत कामिनी को जानता हो इसलिए किसी काम के सिलसिले में वह उसके लिए वहां चला गया हो। रात के समय जब रजत को प्रिया ने यह बात पूछी तो वह अचकचा कर बोला,” हां ,हां, वह कामिनी मेरे साथ सुबह सैर करने पर एक दो बार मिली है तो उसे रसोई के नल ठीक कराने के लिए प्लंबर की ज़रूरत थी तो मैं प्लंबर को वहीं लेकर गया था”।भोली भाली प्रिया ने इस बात को भी सच मान लिया।रजत को भी लगा कि उसने जान बची तो लाखों पाए।
कुछ दिनों के बाद रजत कामिनी के घर जाने के लिए शाम को तैयार हो रहा था। प्रिया को उसने यह बता दिया था कि वह किसी दोस्त के साथ कहीं बाहर जा रहा है। प्रिया उस समय टीवी पर कोई सीरियल देख रही थी।अचानक से वह पूछ बैठी,” क्या एक पति को अपनी पत्नी को धोखा देने का हक है और अगर पत्नी भी उसे ऐसे ही धोखा दे तो क्या वह यह सब सहन कर पाएगा”।
रजत को यह प्रश्न सुनकर तो ऐसे लगा जैसे उसकी जान ही निकल गई हो। उसने हड़बड़ाहट मे पूछा,” यह तुम क्या कह रही हो”?
प्रिया बोली,” देखो ना इस सीरियल में यह इस पुरुष ने कैसे अपनी पत्नी को धोखा देकर बाहर किसी और महिला से संबंध बना लिए हैं। क्या अगर यह महिला भी बाहर किसी पर पुरुष से अपने संबंध बना ले तो क्या यह पति कभी सहन कर पाएगा? क्या ऐस धोखा कोई पत्नी दे तो क्या कोई भी पति कभी सहन कर सकता है…क्या इतनी सहनशक्ति किसी पति में होती है?”
प्रिया के ये सवाल रजत के दिमाग में हथौड़े की तरह बजने लग पड़े।वह घर से बाहर तो निकल आया लेकिन कार चलाते समय उसके सवाल उसके दिल में तीर की तरह चुभते रहे।उसने सोचा वह यह क्या करने जा रहा था।अपनी भोली भाली पत्नी को धोखा दे रहा था जिसने सदा से उसकी और उसके घरवालों की दिलो जान से सेवा की थी।जिसने उसे तहे दिल से प्यार किया था..जिसके लिए वही उसकी दुनिया था और और उससे ज़्यादा उसने कभी उससे कुछ चाहा भी नहीं था।
प्रिया के ये प्रश्न रजत को कचोटने लगे।उसे लगा उससे कितना बड़ा पाप हो गया है कि वह अपनी भोली भाली प्यारी पत्नी को धोखा देकर कितनी बड़ी गलती नहीं बल्कि गुनाह कर रहा है।कामिनी के घर की तरफ कार मोड़ने की बजाय उसने वापिस अपने घर की तरफ कार मोड़ ली।रास्ते में उसने देखा कि कामिनी का नंबर उसके मोबाइल पर चमक रहा था।रजत ने फोन काट दिया और कामिनी का नंबर भी डिलीट कर दिया।
घर आकर उसनेे प्रिया और बच्ची को तैयार होने के लिए कहा और अपने माता-पिता को भी और साथ ही बोला,” चलो आज कहीं सारे इकट्ठे खाना खाने बाहर चलते हैं”।
प्रिया ने पूछा ,”आप तो किसी दोस्त के साथ बाहर जा रहे थे..क्या हुआ”?
“उस दोस्त के साथ मैंने प्रोग्राम कैंसिल कर दिया है। आज मैं अपना समय तुम लोगों को देना चाहता हूं”। महीनों बाद प्रिया को लगा जैसे रजत फिर से वापिस लौट आया हो।
अगले दिन से रजत ने प्रिया को भी अपने साथ सुबह की सैर करने के लिए तैयार कर लिया और कॉलोनी से दूर बने एक पार्क में दोनों सैर करने चल पड़े। प्रिया को अंदर ही अंदर लग रहा था कि शायद सहेली की बात सच ही थी। लेकिन उसने उस बात को कहीं ज़ाहिर नहीं होने दिया।उसे इस बात की खुशी थी कि उसका पति उसे सच में धोखा देने से बच गया था और उसकी गृहस्थी संभल गई थी और रजत भी अपनी गलती का प्रायश्चित कर अपनी पत्नी को अब भरपूर प्यार देना चाहता था।
#धोखा
लेखिका : गीतु महाजन