क्या बिना पैसों वालों की औकात नहीं होती – हेमलता गुप्ता: Moral stories in hindi
Post View 21,514 यह देखो रिचा… तुम्हारे पापा ने नेग में₹1100 ही दिए हैं, क्या यही औकात रह गई है मेरी! महीने की लाखों की सैलरी है मेरी, अच्छा लगता है ₹1100 देना… !अरे यार नितेश.. प्लीज.. यहां तो शांत हो जाओ, यह तुम्हारा घर नहीं है मेरा मायका है, और यहां तुम इकलौते जमाई … Continue reading क्या बिना पैसों वालों की औकात नहीं होती – हेमलता गुप्ता: Moral stories in hindi
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed