अरे मेरी बात मेरे ही घर वाले नही समझेंगे तो कोन समझेगा।
अवनि मम्मी को समझाते हुए बोली।
मम्मी ने पहले तो अपने माथे पर जोर से अपना हाथ रखा फिर बोली ” दिया था ना तुम्हे मौका फिर क्या हुआ ?
हर काम समय पर ही अच्छा लगता है।
अब मुझसे तो बहस करो मत जो कहना है अपने पापा से कहो कहते हुए मम्मी कपड़े समेटने लगी।
तभी पापा भी सब्जी लेकर आ गए आते ही बोले ” सुनती हो वो देहरादून से फोन आया था।
मैने कह दिया अभी बाहर हु घर जाकर बात करता हु।
अब काम धाम छोड़ कर एक बार आ जाओ बात कर लेते है।
वो लोग संडे को बुला रहे है।
मम्मी ने तह किए कपड़े अलमारी में रखे और बोली ” “आती हु “
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अवनि डाइनिंग टेबल पर रखे कांच की बरनी में हाथ डाला और ड्रायफ्रूट्स निकाल कर मुंह में फॉक लिए
और टीवी का रिमोट हाथ में लेकर आवाज तेज कर दी।
मम्मी ने इशारों इशारों में आवाज कम करने को कहा और चल दी।
अवनि ने टीवी बंद किया और मोबाइल से ईयर फोन कनेक्ट कर कान में ठूस लिए।
पर वो जानती थी सुबह उठते ही पापा का आदेश मानना ही पड़ेगा।
और हुआ भी यही सुबह उठते ही मम्मी ने खिड़की से पर्दा हटाया तो सूरज की किरण आखों को सेकने लगी साथ ही मम्मी की कर्कश आवाज कानों में पड़ रही थी
” अब अवि उठ भी जाओ मैं और तुम्हारे पापा आज देहरादून जा रहे है फटाफट पापा के लिए आलू के पराठे बना दो “
अवनि ने अलसाई आवाज में कहा ” आलू के पराठे और मैं?
मै सिर्फ मैगी बना सकती हु या ब्रेड बटर
ये रामायणी काम मुझसे नही होंगा।”
मम्मी बोली ” बेटा अब काम करने की प्रेक्टिस तो करनी ही पड़ेगी ससुराल में जाकर हमारी नाक मत कटवा देना।”
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चलो चलो उठो”
अवनि समझ गई थी की अब डाल नही गलेगी।
उठ गई।
पापा का आदेश आ गया था ” अरे अवि की मम्मी कोई देहरादून यही नहीं है समय लगता है फिर क्या रात को पहुचेंगे गाड़ी घोड़े नही है मेरे पास बस ही पकड़नी है।”
हा ,हा आ रही हु अब नाश्ता तो करोगे या वो भी लड़के वालो के ही करना है।
पापा जोर से बोले ” अब मैं पांच मैं मिनिट भी नही रुकूंगा “
अवनि मुस्कुराई ऊपर की तरफ हाथ जोड़ कर बोली ” जय हो भगवान इन आलू के पराठों से तो बचा लिया।
अब जल्दी से रिजल्ट भी दे दो तो आपकी ये भक्त
अपने पैरो पर भी खड़ी हो जाए फिर चाहे शादी हो कोई फर्क नही पड़ता।”
मम्मी पापा बस स्टैंड की तरफ रवाना हो गए थे।
अवनि ने अपनी फ्रेंड रिचा को फोन लगाया और अपनी आप बीती बताई।
रिचा बोली ” यार ये मम्मी ,पापा क्यों नही समझते शादी के बाद पढ़ाई लिखाई नही होती बस पतिदेव और उनके घरवालों की सेवा करो उनकी इच्छाओं का ध्यान रखो।”
पहले ही जो लक्ष्य पूरा करना है कर लेना
और सुन अगर अंकल आंटी ना माने तो लड़के से साफ साफ बात कर लेना।”
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अवनि सोफे बैठी कूद पड़ी।
वाह क्या आइडिया दिया है जिओ रिचा खूब जियो।
शाम को मम्मी का फोन आया ” लड़का तो बहुत अच्छा है श्रेय नाम है सरकारी ऑफिसर है तेरे तो ऐश ही एश हो जायेंगे।
अब सुन मैं अभी तेरी श्रेय से बात कराती हु ढंग से बात करना।
ऑफ हो मम्मी जिसे मैं जानती ही नही उससे क्या बात करूंगी।?
पर मम्मी ने अवनि की बात सुनी अनसुनी कर दी।
और बोली ” ले बात कर”
रात को मम्मी ,पापा वापस आ गए।
आते ही मुख पर श्रेय नाम की माला थी।
मम्मी ने मुस्कुरा कर पूछा ” क्यों तुझे भी तो बात कराई थी ढंग से बात तो करी ना तूने?”
कुछ पसंद नापसंद पूछी या नही ।
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क्या पसंद है उसे?
अवनि तपाक से बोली ” मैगी “
और हा,एक बात और हुई ” शादी मेरी सर्विस के बाद ही करेगा “
मम्मी बोली ” ये तूने कहा या उसने।
अवनि ” मैने ही ,जब मैं आत्मनिर्भर बनने में कामयाब हो जाऊंगी तो श्रेय का सम्मान भी तो बढ़ेगा ना?”
तभी पापा बोले ” श्रेय कह रहा था की तुम उसकी सहपाठी थी”
अवनि धीरे से बोली ” तभी तो मेरी बात मानी गई है”
मम्मी ने पूछा ” क्या “
अवनि “कुछ नही मम्मी “
तभी गेट पर हुई आवाज ने सबको चौका दिया
अवनि दौड़ कर अपने भैया के चिपक गई
वाह भैया भाभी सही समय पर आकर सरप्राइज दिया है।
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देखो ना मम्मी ,पापा मुझे शादी के बंधन में बांधने के लिए कितने परेशान हो रहे है?
कुछ समय रुक कर मेरे रिजल्ट का तो वैट करे।
अब आप ही बताओ शादी से पहले कामयाबी का स्वाद
तो जरूरी है ना भाभी।”
भाभी ने पहले मम्मी ,पापा के चरण स्पर्श किए गिर बोली ” मम्मी जी अगर श्रेय जी अच्छे है तो रोके का दस्तूर कर देते है
शादी दीदी की पोस्टिंग के बाद ही करेंगे।
इस मामले मै तो मैं अवनि दी का ही साथ दूंगी।
पापा बोले ” बेटा हम भी तो यही चाह रहे है पर अच्छा
परिवार,अच्छा लड़का ऐसे ही रास्ते में नही मिलता।
ये तो ठीक है कल ही तो बात करने गया पुरषोत्तम जी के लड़के से और किस्मत का वो इसका सहपाठी निकला।
पर बहुत ही अच्छा संस्कारित बच्चा है।
जब अवनि की डिटेल उसने पढ़ी तो पहचान भी गया
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और मम्मी ,पापा को भरोसा दिलाया लड़की अच्छी है”
अवनि तपाक से बोली ” हा,तो हमारे पास सस्करो की कमी थोड़ी ना है
हमारा भी रुतबा है
जल्दी से नोकरी लग जाए फिर देखना मेरे चेहरे pa कामयाबी का ग्लो”
हा,हा बातूनी गुड़िया सारी बाते खड़े खड़े ही सुना देंगी
या अपने हाथ की मीठी सी चाय भी पिलायेंगी”
अवनि लाती हु लाती हु पर एक शर्त पर
आप दोनो जब तक मैं अपना लक्ष्य प्राप्त ना करू मेरा साथ देंगे।
और हाथ आगे कर दिया
भैया,भाभी ने हाथ पर हाथ रख रजामंदी दे दी।
तभी मम्मी ,पापा का हाथ भी अवनि के हाथ में था।
सखियों रचना कैसी लगी ?
अपने विचारो से जरूर अवगत करवाएं।
दीपा माथुर