कमिश्नर श्रीवास्तव सर के निर्देशानुसार, दो दिन में ही इन्स्पेक्टर विनोद ने अपने मुख़बिर के जरिए पता लगा लिया कि, धीरेन्द्र पाटिल अभी रीतेश ठाकुर के यहां पर ही रुका हुआ है, यहां उसकी बीबी सरिता पाटिल भी उसके साथ में ही रहती है, रीतेश ठाकुर के पिता अरुण ठाकुर “एनआरआई” है, जो कि “बेल्जियम” में ही रहते है, और वह सरिता पाटिल यानी धीरेन्द्र पाटिल की पत्नी का सगा मामा है, इस तरह से रितेश ठाकुर सरिता पाटिल का ममेरा भाई हुआ।
धीरेन्द्र पाटिल का बेटा नागेन्द्र जो कि नोएडा-एनसीआर में किसी तरह छोटे-मोटे कॉन्ट्रैक्ट लेकर अपना रोजगार चलाता था, यहां पर एक बड़ा सिविल कॉन्ट्रैक्टर है, उसकी गाजियाबाद में एक बड़ी सी कोठी भी है, यहां वह अपनी बीबी पूनम और बच्चे मयंक के साथ रहता है।
इंस्पेक्टर विनोद ने यह भी पता किया कि धीरेन्द्र पाटिल पहले कानपुर में एक बड़ा नेता था, और वह मंत्री “कुंदन महतो” इस पाटिल का ही एक चमचा था, जो पहले चोरी, डकैती, गुंडागर्दी करता था, जिसे पाटिल ने धीरे-धीरे राजनैतिक संरक्षण देकर विधायक बनाया था।
धीरेन्द्र पाटिल के जेल जाने के बाद उसने अपनी राजनैतिक विरासत इस कुंदन महतो को सौंप दी थी,और वह खुद पर्दे के पीछे से अपनी गोटियां सेंकने का काम करता था।
कमिश्नर बी के श्रीवास्तव सर ने सारी सूचना अरविंद और अनुराधा को भी साझा की, इसके अलावा, धीरेन्द्र पाटिल के बेटे नागेन्द्र के यहां भी ख़ुफ़िया निगरानी लगा दी।
अनुराधा अब सारी फ़ोन रिकॉर्डिंग, मंत्री कुंदन महतो और रीतेश ठाकुर के साथ आने वाले लोगों की खुफिया रेकॉर्डिंग सभी का डेटा एनालिसिस करके सारी कड़ियां जोड़ने का काम कर रही थी।
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अनुराधा ने धीरेन्द्र पाटिल के कॉल डिटेल्स चेक करके पाया की उसने मथुरा के एक नामी गुंडे शब्बीर अहमद को अरविंद को मारने की सुपारी दी है।
अनुराधा ने यह खबर मिलते ही अरविंद और कमिश्नर सर को खबर कर दी थी, इसी कारण समय रहते ही मथुरा पुलिस ने शब्बीर अहमद को पकड़ कर अपनी हिरासत में ले लिया। शब्बीर अहमद को पकड़ कर कड़ाई से पूछताछ करने पर पहले तो वह किसी भी प्रकार के अपराध में संलिप्तता से मना करता रहा, परन्तु जब उसे उसकी और
धीरेन्द्र पाटिल की रिकार्डेड बातचीत का टेप सुनाया तो वह टूट गया, उससे पता चला कि वह इससे पहले भी, मंत्री कुंदन महतों और धीरेन्द्र पाटिल के आदेश पर तीन हत्याएं कर चुका था, शब्बीर अहमद ही धीरेन्द्र पाटिल के मथुरा में स्थित कुछ अवैध कारोबार जैसे शराब की फैक्ट्री, भू माफिया, और गौ तस्करी के कारोबार में कुछ स्थानीय आपराधिक तत्वों के साथ मिलकर कार्यान्वित करता था, चूंकि उसे मन्त्री का राजनैतिक संरक्षण प्राप्त था इसलिए कभी भी पुलिस ने उस पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं की।
लगभग यही हाल गाजियाबाद के ठेकेदार मनीष गुप्ता को मारने के लिए भेजे गए गुंडे गुड्डू खटीक का भी किया गया, पुलिस ने गुड्डू खटीक को हिरासत में लेकर काफी टॉर्चर देकर धीरेन्द्र पाटिल और मंत्री के काले कारनामों को उजागर किया गया।
गाजियाबाद और मथुरा में लगातार हो रही पुलिस कार्यवाहियों से धीरेन्द्र पाटिल का आपराधिक नेटवर्क तहस-नहस हो गया था, उनकी बहुत सी अवैध संपत्तियों की जानकारी मिलने पर, अब एक्ससाइज डिपार्टमेंट और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी हाथ धोकर पीछे पड़ गया था।
इस सबसे नाराज़ होकर जब मंत्री कुंदन महतो ने धीरेन्द्र पाटिल पर खीज़ ज़ाहिर की , तो धीरेन्द्र पाटिल ने कुंदन महतो को चिल्लाकर कह दिया कि वह अपनी औकात में रहे, भूल गया क्या कि आज उसके पास जो कुछ है वह सब धीरेन्द्र पाटिल का ही दिया हुआ है, धीरेन्द्र पाटिल ने मंत्री कुंदन महतो को यह तक कह दिया कि ये मत भूलो कि आज भी मेरे पास तुमसे 100 गुना संपत्ति है, वह चाहे तो 10 कुंदन महतो पैदा कर सकता है, अभी हमारा वक्त ख़राब चल रहा है, इसलिए कुछ दिन चुपचाप जेल में शांति से पड़े रहो, पुलिस , एक्ससाइज डिपार्टमेंट और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट चाहे तो पूरे भारत मे उसकी संपत्ति जप्त कर लें, फिर भी कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा।
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इस खबर से अनुराधा के कान खड़े हो गए, उसने तुरंत ही कमिश्नर श्रीवास्तव सर को सारी बात बताई, उसके बाद ऑफिस से लौटते वक़्त जब अरविंद को भी उसने यह सारी बातें बताई तो अरविंद ने इस बाबत उसे अपने पिता भास्कर राव जी से बात करने को कहा, क्योंकि अरविंद को भी यह बात अच्छे से याद थी, कि उसके पिता ने ही धीरेन्द्र पाटिल के भ्रष्टाचार के मामलों पर अपना फैसला सुनाया था। इसलिए उस केस से जुड़ी छोटी बड़ी बात जो भी उन्हें याद होगी, वह इस केस में बहुत “मददगार साबित” हो सकती है।
घर आने के बाद रात को खाना खाते वक़्त अरविंद के पिता भास्कर राव त्रिवेदी से अनुराधा ने पूछा कि जब आपने धीरेन्द्र पाटिल को सज़ा सुनाई थी, तो क्या उसकी सारी सम्प्पति जब्त की गई थी, ऐसा तो नहीँ कि उसने अपनी कुछ संपत्ति किसी और रिश्तेदार या किसी गुप्त जगह पर रख दी हो, और अब जेल से बाहर आकर वह धीरेन्द्र पाटिल उसका इस्तेमाल कर रहा हो?
इस बात पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए भास्कर राव जी ने कहा कि यह कैसे संभव हो सकता है, उन्होंने खुद ही धीरेन्द्र पाटिल को 10 वर्ष के सश्रम करावास के साथ ही उसके सभी सगे संबधियो की जांच करके कुर्क कराने का आदेश दिया था। ऐसी दशा में उसके पास इतनी सम्पत्ति कैसे ही सकती है?
अनुराधा ने भास्कर अंकल से प्राप्त जानकारी के आधार पर ही इन्स्पेक्टर विनोद को भेजकर दो तीन दिन के अंदर ही धीरेन्द्र पाटिल के केस से जुड़ी सारी फाइल मंगवाकर उसकी स्टडी की, उसने पाया कि जिस ग़बन के मामले में धीरेन्द्र पाटिल को सज़ा हुई थी, उसकी लगभग सारी ही रकम पुलिस और भ्रष्ट्राचार निरोधक दस्ते कि टीम ने मिलकर बरामद कर ली थी, तो ऐसा क्या हुआ कि अभी भी धीरेन्द्र पाटिल के पास अभी भी करोड़ों रुपए की संपत्ति है। और अगर है तो वह कहा पर है ? क्या धीरेन्द्र पाटिल झूठ बोल रहा था? या फिर उस वक़्त कुछ तो ऐसा जरूर हुआ होगा जो धीरेन्द्र पाटिल ने सभी से छुपाया है।
अनुराधा ने अरविंद से फ़ोन पर इस बारे में काफ़ी देर तक बात की, पर उसे सारी कड़िया जोड़ने के बाद भी लग रहा था कि कुछ तो बात है जो सिर्फ धीरेन्द्र पाटिल ही जानता है, इसलिए उसने कमिश्नर श्रीवास्तव सर से धीरेन्द्र पाटिल को गिरफ्तार करवाने की परमिशन मांगी।
श्रीवास्तव सर ने अनुराधा को कहा कि कुछ चीजें करने के लिये सही वक़्त का इंतज़ार करना ज़रूरी होता है, अभी यदि धीरेन्द्र पाटिल को गिरफ़्तार कर भी लिया तो वह आराम से दो दिन में अपनी ज़मानत करवाकर बाहर आ जायेगा, क्योंकि हमारे पास उसे जिस भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार करने की सूचना है, वह तो उन मामलों में पहले ही सज़ा पा चुका था, इसलिए एक ही जुर्म की उसे सज़ा दोबारा नही मिल सकती,
और यदि धीरेन्द्र पाटिल के पास कोई अन्य बड़ी संपत्ति है, तो पहले उसका पता लगाना जरूरी है, अन्यथा वह हम पर ही प्रताड़ना के आरोप लगाकर राजनीतिक दबाव बनाने का काम करके मेरा, तुम्हारा या अरविंद का तबादला करवा सकता है, कुछ भी नहीं किया तो भी अपनी पहुंच का इस्तेमाल करके हमें इस केस से अलग करवा कर अपने फेवरेट अधिकारियों को यह सब जांच सोंपने का आदेश करा सकता है, ताकि उन अधिकारियों की मदद से इस केस को ही रफा दफ़ा करा सके।
और दूसरी सबसे जरूरी बात यह है कि उसका इस तरह आज़ादी से घूमना ही हमारे लिए फायदेमंद हो रहा है, क्योंकि वह जिससे भी बात कर रहा है, जहां भी जा रहा है, हमें सब कुछ पता चल ही रहा है, उसे गिरफ़्तार कराके हम तो अपने ही इन्फर्मेशन सोर्स को ख़त्म कर देंगें?
कमिश्नर सर से बात करने के बाद अनुराधा को अपनी ग़लती का अहसास हुआ, उसने कमिश्नर सर से कहा कि ठीक है सर अब धीरेन्द्र पाटिल पर और भी कड़ी निगरानी करेंगे, और उस पर हाथ ड़ालने से पहले उस अज्ञात संपत्ति के बारे में पता करेंगें।
इसके साथ ही अनुराधा एक बार फिर से रात भर जाग जग कर इस केस से जुड़ीं कड़िया और उनके बीच की छूटी हुई कड़ी की पहचान करने का “ब्लूप्रिंट” बनाने में जुट गई ।
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कुटील चाल (भाग-17) – अविनाश स आठल्ये : Moral stories in hindi
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अविनाश स आठल्ये
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