कुटील चाल (भाग-15) – अविनाश स आठल्ये : Moral stories in hindi

मथुरा पहुंच कर अरविंद ने सबसे पहले अनुराधा को मोबाइल पर सकुशल पहुँचने की सूचना दी, अनुराधा अभी अपने ऑफिस जाने के लिए निकलने ही वाली थी, उसने अरविंद के माता पिता को भी अरविंद के पहुंचने की सूचना दी। 

ऑफिस पहुंचने के बाद अरविंद ने कमिश्नर बी के श्रीवास्तव सर को भी फ़ोन करके सारी बात बताई, और यह भी बताया कि उसकी अनुराधा से शादी तय होने वाली है, सारी बातें सुनकर कमिश्नर सर बहुत खुश हुए।

कहते हैं न कि हीरा कहीं भी रहे, चमकना तो उसकी फितरत में ही होता है, अरविंद के साथ भी यही हुआ, मथुरा में कलेक्टर का चार्ज सम्हालने के साथ ही उसने अपराधिक तत्वों पर नकेल कसना शुरू कर दिया।

जल्द ही स्थानीय पुलिस नेटवर्क का इस्तेमाल करके, अरविंद ने एक अंतर्राजयीय ‘गौ तस्कर” गिरोह भांडाफोड़ किया, अरविंद के इस कारनामे की सभी प्रमुख समाचार पत्रों में मुक्तकंठ से प्रशंसा हुई।

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इधर गाजियाबाद में अनुराधा समय-समय पर जाकर मंत्री जी और रीतेश ठाकुर से मिलने जुलने वाले लोगों की छुपे हुए कैमरे से हुई रेकॉर्डिंग्स को देख देखकर उनकी आगें की सारी योजनाएं समझ पा रही थी, इसी वज़ह से मंत्री जी के जो भी लोग ठेकेदार पर हमला करने के लिए आते, वह पहले से ही सतर्क पुलिस के हत्थे चढ़ रहे थे।

ऐसी ही एक रेकॉर्डिंग् अनुराधा देख कर अचंभित रह गई, जिसमें एक व्यक्ति जो कि मंत्री जी के पास पहले दिन से बराबर आ रहा था, मंत्री जी उसे उस दिन अखबार में छपी अरविंद की तस्वीर दिखाते हुए बोला कि इस कलेक्टर ए कुमार ने तो मेरा सबकुछ बरबाद कर दिया है, मै उसे जिंदा नहीं छोडूंगा।

इस पर मंत्री से मिलने आया व्यक्ति, मंत्री जी से बोला, तुम इसे नहीं जानते, यह तो एक नंबर का बेवकूफ़ इंसान है, इसका असली नाम अरविंद कुमार त्रिवेदी था, यह इतना बड़ा मूर्ख है कि मेरे द्वारा सिर्फ यह कहने पर कि वो मेरी नाजायज औलाद है, उसने न सिर्फ अपने असली माता पिता से सारे रिश्ते नाते तोड़ लिए, बल्कि अपने नाम से भी त्रिवेदी शब्द हटा दिया। मुझे नहीं लगता कि इतना बेवकूफ़ आदमी तुम्हारी तरह शातिर इंसान जो “उड़ती चिड़िया के पंख गिन लेता हो” उसे पकड़वा सके, जरूर तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है।

मंत्री बोला, नहीं भाई मुझे तो आपके ही साले रीतेश ठाकुर ने बताया कि यही ए कुमार हमारे ठेकेदार को गांव का आदमी बनकर 2500 बोरी सीमेंट लेने के नाम पर, स्पेशल स्याही लगे नोट देकर गया था। इसी वज़ह से हम सब रंगे हाथ पकड़े गए थे, आप इस आदमी को जिंदा मत छोड़ना।

वह आदमी मंत्री को आश्वासन देकर निकला कि, वह अरविंद यानी ए कुमार को मरवाने के लिए कोई बड़ा कदम चलेगा।

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अनुराधा यह रिकॉर्डिंग देख कर चिंतित हो गई, उसने रिकॉर्डिंग की तारीख देखी तो यह पिछले सप्ताह की ही रिकॉर्डिंग थी, उसके बाद वह व्यक्ति, मंत्री से मिलने नहीं आया था, इसका मतलब वह व्यक्ति अरविंद को मरवाने के काम में लग गया होगा, अनुराधा परेशान हो उठी, उसने तुरंत कमिश्नर बी के श्रीवास्तव सर से फ़ोन पर सारी बात की, कमिश्नर सर ने उसे तुरंत सारी रिकॉर्डिंग लेकर मेरठ में उनके कमिश्नर कार्यालय आने को कहा, इसके बाद उन्होंने अरविंद को भी यथाशीघ्र अपने कार्यालय में आने को कह दिया।

अनुराधा ने भी अरविंद को फ़ोन करके बताया कि वह कमिश्नर सर से मिलने को उनके ऑफिस जा रही है, और उसे यानी अरविंद को सावधान रहने को कहा, क्यूंकि उसे जान का खतरा है, अरविंद ने अनुराधा को बताया कि उसे कमिश्नर सर का फ़ोन आ चुका है,और वह भी उनसे मिलने के लिए मेरठ ऑफिस ही जा रहा है।

अनुराधा लगभग दो घंटे में मेरठ के कमिश्नर हेड क्वार्टर पहुंच गई, वहां पर उसने उन रेकॉर्डिंग्स को कमिश्नर सर के सामने प्रस्तुत किया, कमिश्नर सर ने अरविंद को फ़ोन लगाकर उसकी वर्तमान स्थिति  के बारे में जानकारी ली, अरविंद को आने में क़रीब डेढ़ घंटे का वक्त था, इसलिए उन्होंने अपने कंप्यूटर ऑपरेटर को, कंप्यूटर पर उस रेकॉर्डिंग कि कॉपी बनाने के लिए कह दिया।

अरविंद के आने के बाद, अनुराधा, कुमार और कमिश्नर सर तीनों ने अपने ऑफिस में एकांत में वो सारी रेकॉर्डिंग्स अपने कंप्यूटर में देखी और सुनी।

कमिश्नर सर रिकॉर्डिंग से संबंधित नोट्स, कागज पर लिखते भी जा रहे थे।

जैसे ही रिकॉर्डिंग में वह व्यक्ति जिसने अरविंद की हत्या करने कि बात मंत्री से कहीं थी, स्क्रीन पर दिखा, अरविंद ने उसे तुरंत पहचान लिया, वह धीरेन्द्र पाटिल था, उसी ने अरविंद को इतना मानसिक तनाव दिया था, आगे की रिकॉर्डिंग देखकर स्वयं अरविंद खुद की बेवकूफी वाली हरकत पर शर्मिंदा हो गया था। इसी धीरेंद्र पाटिल की “खुद को अपनी नाज़ायज़ औलाद बताने की कुटिल चाल” की वजह से अरविंद की बसी हुई दुनियां में आग लग चुकी थी।

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सारी रिकॉर्डिंग देखने के बाद कमिश्नर सर ने कागज पर लिखी अपनी पर्ची उठाई और अरविंद एवम् अनुराधा से कहा, इस सारी रिकॉर्डिंग में जो बातें मैंने नोट की हैं, हमें उन पर ध्यान देना चाहिए।

1) अरविंद ने पहचान लिया है, कि वह व्यक्ति धीरेन्द्र पाटिल है, जी कि पूर्व नेता था और भ्रष्टाचार के आरोप में सजा पा चुका था, और रीतेश पाटिल उसका साला है, यानी शायद उसकी पत्नी का सगा, चचेरा या ममेरा भाई हो।

2) धीरेन्द्र पाटिल उस मंत्री को तुम कहकर बात कह रहा है, जबकि मंत्री उसे सम्मान से आप कहकर बात कर रहा है, इसका मतलब इन दोनों का पूर्व में कोई राजनैतिक कनेक्शन जरूर होगा। और इस धीरेन्द्र पाटिल की हैसियत इस मंत्री से भी ज्यादा बड़ी है।

3) धीरेन्द्र पाटिल कि सारी डीटेल्स जांच कर हमें उसके फ़ोन- टेप करना पड़ेगा, मोबाइल ट्रेकिंग पर डालना पड़ेगा, ताकि इस बारे में हमें और भी ज्यादा जानकारी प्राप्त हो सके।

इसके अलावा आप दोनों ने कुछ नोट किया हो या आपको पता हो तो मुझे बता सकते हैं,

अरविंद ने कहा कि जब वह नोयडा में था तब उसने पता किया था कि धीरेन्द्र पाटिल का एक बेटा नागेन्द्र भी है जो कि छोटे मोटे कॉन्ट्रैक्ट लेता था, और धीरेन्द्र पाटिल की पत्नी सरिता थी, उससे नाराज़ होकर अपने भाई के घर रहने को चली गई थी।

कमिश्नर सर ने कहा कि फिर तो उस नागेन्द्र और उसकी माँ सरिता का भी पता करना पड़ेगा, ताकि हमें इस धीरेन्द्र पाटिल के बारे में ज्यादा से ज्यादा पता चल सके।

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कमिश्नर सर ने अपनी प्लानिंग के अनुसार इंस्पेक्टर विनोद कुशवाहा को फ़ोन करके धीरेन्द्र पाटिल के पीछे दो कांस्टेबल लगाने को कहा, दो कांस्टेबल मंत्री के घर पर और दो कांस्टेबल रीतेश ठाकुर के घर पर नज़र रखने को लगा दिए, रीतेश ठाकुर और मंत्री के घर के फ़ोन की टेपिंग फिर से शुरु करवा दी, इसके अलावा धीरेन्द्र पाटिल का मोबाईल नंबर पता करके, उसे भी ट्रेकिंग पर लगा दिया।

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अविनाश स आठल्ये

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