कुछ वक्त मुझे भी चाहिए खुद के लिए-मुकेश कुमार

पूर्वी बचपन से नटखट और चुलबुली थी।  उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता था वह बचपन से ही लड़कों के साथ खेलती रहती थी  बड़ी हुई तो धीरे-धीरे लड़कों के साथ ही क्रिकेट खेलने लगी और उसकी रुचि क्रिकेट में ज्यादा हो होने लगी ।

जब वह स्कूल में पढ़ने जाने लगी तो अपने स्कूल के लड़कियों के क्रिकेट टीम के कैप्टन भी बन गई थी ।  पूर्वी के सपने अब बड़े हो गए थे अब वह एक बड़ी क्रिकेटर बनना चाहती थी और अपने देश के लिए खेलना चाहती थी लेकिन सारी लड़कियों के नसीब में यह सब कहां होता है।  

एक दिन अचानक से उसके मामा जी  उसके घर पर आए और उसके मां से बोले दीदी मैंने पूर्वी के लिए एक अच्छा रिश्ता लाया हूं।  लड़का दिल्ली में एक बहुत बड़ी कंपनी का मालिक है और उन्होंने हमारी पूर्वी को पसंद कर लिया है और कोई दहेज की भी  डिमांड नहीं है।

पूर्वी की मां ने पूर्वी के  मामा से बोली कि मैं पूर्वी के पापा से बात करके आपको फोन पर बताती हूं।  जब पूर्वी की मां ने पूर्वी के पापा से इस संबंध में बात की तो उन्होंने अभी अपनी बेटी की शादी करने से साफ मना कर दिया।  उन्होंने कहा कि अभी हमारी बेटी की उम्र ही क्या हुई है और मैं इतने कम उम्र में शादी करने की लड़कियों का खुद विरोधी हूं अभी पढ़ेगी-लिखेगी या स्पोर्ट्स मैन बनना चाहती है तो वह बन जाए।

पूर्वी के मम्मी जिद पर अड़ गई देखो जी चाहे कुछ भी हो जाए आखिर में लड़कियों को घर ही संभालना होता है और इतना अच्छा रिश्ता मैं छोड़ना नहीं चाहती हूं।  आप कभी अपने बच्चों के लिए सीरियस हुए हैं जो अब होंगे। मैंने ठान लिया है पूर्वी की शादी होगी तो उसी लड़के से।

पूर्वी ने भी अपनी मां को मनाने की कोशिश की कि मां अभी मुझे शादी नहीं करनी है लेकिन पूर्वी की एक न चली और पूर्वी की शादी जबरदस्ती विजय से हो गई।  पूर्वी ने यह सोच कर शादी कर ली थी कि कोई बात नहीं अपने पति को मना लेगी और वह तो बड़े शहर में रहते हैं और वहां किसी क्रिकेट ट्रेनिंग अकैडमी में एडमिशन कर लेगी।  वह अपने क्रिकेट के प्रेम को और आगे लेकर जाएगी।

लेकिन पूर्वी जैसे ही अपने ससुराल पहुंची ससुराल के बंधनों में ऐसी बंधी।  कहां उसमें क्रिकेट खेलने का टाइम है। घर बड़ा था। संयुक्त परिवार वाला घर था सबके सेवा करते करते ही कब सुबह से शाम हो जाता था पूर्वी को यह समझ ही नहीं आता था।  पूर्वी को तो ऐसा लगने लगा कि अब उसकी यही जिंदगी है कभी-कभी तो यह सोचती थी कि कहने को तो वह इस घर की बहू है लेकिन उसमें और इस घर के नौकरों में कोई ज्यादा अंतर नहीं है।



विजय  अपने काम में इतना व्यस्त रहता था कि पूर्वी के लिए उसके पास बिल्कुल भी टाइम ही नहीं रहता था देर रात घर आता था।  खाना खाता था और बस पूर्वी के शरीर के साथ थोड़ा खेलता था और उसके बाद सुबह अपने काम पर निकल जाता था।

पूर्वी के भावनाओं और इमोशन से विजय को कोई लेना-देना नहीं था पूर्वी इस घर में खुश है या नहीं है पूर्वी को क्या चीज का तकलीफ है क्या पूर्वी को कुछ चाहिए कुछ भी मतलब नहीं था विजय को इस बातों से।  पूर्वी को यकीन हो गया था कि वह इस घर की बिना तनख्वाह वाली नौकर है और विजय के मनोरंजन का साधन अपने आप से पूर्वी को घिन्न आने लगी थी।

एक दिन रात में पूर्वी ने विजय से कहा कि वह बहुत अच्छा क्रिकेट खेलती थी और उसको यहां पर भी जारी रखना चाहती है वह चाहती है कि किसी क्रिकेट अकैडमी में एडमिशन कराले और क्रिकेट की तैयारी करें।  विजय सुनते ही भड़क गया और बोला तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है अब तुम क्या क्रिकेट खेलने जाओगी तुम्हें कमी किस बात की है तुम्हें जितना पैसा चाहिए ले लो। मेरा एटीएम लेलों जितना मर्जी खर्च कर लो तुम्हें कोई कुछ नहीं पूछेगा लेकिन आज के बाद यह बकवास की बातें ना करो।

पूर्वी क्या बोलती चुप हो गई और अपना नियति  समझ कर चुपचाप जीने लगी। कई दिनों से पूर्वी को पेट में दर्द रहता था उसने वैसे नॉर्मल दवाई तो लिया था लेकिन उससे पेट दर्द ठीक नहीं हो पा रहा था तो 1 दिन विजय से  बोली कि कल सुबह मुझे हॉस्पिटल ले चलो मेरे पेट में कई दिनों से दर्द है और दवाई तो खा रही हूं ठीक नहीं हो रहा है।

विजय बोला घर में इतने सारे नौकर-चाकर हैं, तुम्हारा देवर है, ननद है। किसी को भी लेकर चले जाओ क्या मेरे साथ जाना जरूरी है तुम्हें पता भी है कि मैं 1 घंटा इन फालतू के कामों में लगा दूं तो कितने रुपए का नुकसान हो जाएगा।

 पूर्वी ने तब भी कुछ नहीं बोला और उस दिन से ठान लिया कि वह अपने पति विजय से कभी कुछ नहीं कहेगी जैसे जिंदगी चल रहा है चलने देगी सुबह होते ही उसने अपनी ननद से हॉस्पिटल जाने के लिए बोला। उसकी ननद  अच्छी थी उसने बोला “ठीक है भाभी आप तैयार हो जाओ 1 घंटे में चलते हैं।”



हॉस्पिटल में जाने के बाद डॉक्टर ने दवाई लिख दिया और बोला कि आप शाम को थोड़ा पार्क  मे टहला करो कब्ज की वजह से पेट दुखता है आपका । उस दिन के बाद से रोजाना पूर्वी अपनी ननद के साथ शाम को पार्क जाने लगी।

एक दिन वह पार्क में टहल रही थी तो उन्होंने पार्क में कुछ लड़कियों को क्रिकेट खेलते हुए देखने लगी। उस दिन से उसका भी मन क्रिकेट खेलने का करने लगा।  पूर्वी जाकर उन लड़कियों से बोली क्या मैं तुम लोगों के साथ क्रिकेट खेल सकती हूं। लड़कियों ने बोला हां दीदी आ जाओ खेलो पूर्वी ने बोलिंग कराना शुरू कर दिया।  उस दिन के बाद से रोजाना शाम को पूर्वी उन्हीं लड़कियों के साथ क्रिकेट खेलने लगी। पूर्वी भी अपने जीवन में अब मस्त रहने लगी उसे भी अब अपने पति से कोई ज्यादा मतलब नहीं था।

अब पूर्वी रोजाना  शाम को नियमित रूप से पार्क में जाती थी और उन लड़कियों के साथ क्रिकेट   खेला करती थी। एक दिन सुबह-सुबह ही पार्क की सभी लड़कियां पूर्वी के घर पर पहुंच गई और और पूर्वी से  बोली दीदी आज हमारा क्रिकेट मैच है और हमारी बॉलर अनीता बीमार हो गई है। वह मैच नहीं खेल सकती है क्या उसकी जगह पर आप हमारा साथ दोगी।  पूर्वी सोच में पड़ गई कि वह करें तो क्या करें क्योंकि अगर वह विजय से इजाजत लेगी तो वह इस बात का इजाजत देगा ही नहीं कि तुम जाकर कोई क्रिकेट मैच खेलो और इधर लड़कियों की इज्जत का सवाल था पूर्वी डिसाइड नहीं कर पा रही थी कि वह करें तो क्या करें लेकिन आखिर में उसके अंदर का खिलाड़ी जाग गया।  उसने लड़कियों से हां बोल दिया और बोली बस 10 मिनट इंतजार करो अभी आती हूं।

 पूर्वी और लड़कियों के साथ मैच खेलने के लिए घर से निकल गई और अपनी ननद को भी साथ ले ली ताकि घर में किसी को शक ना हो अगर कोई कुछ पूछे  तो वह बोल देगी अपनी ननद के साथ हॉस्पिटल गई थी।



 स्टेडियम पहुंचने के बाद पूर्वी के टिम ने टॉस जीता और पूर्वी की टीम ने पहले बॉलिंग करने की फैसला किया विरोधी खिलाड़ी को मात्र 30 ओवर में ही ऑल आउट कर दिया।  जिसमें से पूर्वी ने 6 विकेट झटके। जब पूर्वी की टीम ने खेलना शुरू किया तो पूर्वी ने बिना आउट हुए 45 रन बनाए और उस मैच का ‘मैन ऑफ द मैच’ घोषित की गई।

अगले दिन के अखबारों में पूर्वी अपने शानदार मैच की वजह से न्यूज़ पेपर की हेडलाइन बन गई थी जब सुबह होते ही विजय ने अखबार खोला तो अपनी पत्नी पूर्वी का चेहरा देखकर हैरान हो गया जब उसने पूरी न्यूज़ पढ़ी तो उसे पता चला कि उसकी पत्नी पूर्वी ने कल मैच में 6 विकेट  लिए थे और 45 रन बनाए थे।

 उस वक्त तो उसने पूर्वी से कुछ नहीं बोला ऑफिस गया तो सब विजय की वाहवाही कर रहे थे ववह विजय  तुम्हारी पत्नी तो कमाल की है। भाभी को अच्छा ट्रेनिंग क्यों नहीं दिलाते हो वह बहुत अच्छे क्रिकेटर बन सकती हैं।  विजय को भी लगने कि लोग सही कह रहे हैं और शाम को वापस आते हुए स्पोर्ट्स की दुकान से क्रिकेट की पूरी किट खरीदा। घर आकर अपनी पत्नी पूर्वी को गिफ्ट कर दिया पूर्वी ने ने जब गिफ्ट खोल कर देखा तो वह  फूले नहीं समाई और उस दिन से अपने पति विजय पर गर्व महसूस करने लगी।

कुछ दिनों के बाद से पूर्वी क्रिकेट की ट्रेनिंग के लिए एक अकैडमी भी ज्वाइन कर लिया था और दिन पर दिन उसका क्रिकेट निखरता गया और कुछ दिनों बाद से ही राज्य स्तर के खिलाड़ी में उसका नाम शुमार होने लगा।

 दोस्तों यह कहानी यह सीख देती है कि किसी  से उसका मौका न छीने। उसे पढ़ने दे लड़का हो या लड़की उसे पढ़ने का मौका दें कम उम्र में उसकी शादी ना करें नहीं तो उसके सपने दब के रह जाएंगे लड़का हो या लड़की उसकी शादी एक सही उम्र में करें ताकि वह अपनी जिंदगी को खुलकर जी सकें।

कॉपीराइट: मुकेश कुमार

 

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