कुछ रिश्ते ऐसे – अनिता गुप्ता 

अचानक किसी ने जोर से दरवाजा खटखटाया और लगातार खटखटाता रहा।

” इस वक्त कौन हो सकता है ?” प्रिया ने सोचा और बगल में सो रहे अपने पति हर्ष को जगाया।

हर्ष भी इतनी जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज से जगा — जगा सा तो हो ही गया था और  प्रिया के हिलाने से तुरंत उठकर बैठ गया और घबराई हुई नजरों से प्रिया की ओर देखा।प्रिया की हालत भी उसके ही जैसे थी।

अभी एक महीने पहले ही तो दोनों इस मकान में शिफ्ट हुए हैं। अभी ठीक से पड़ोसियों को भी नहीं जानते तो रात के 12. 30 बजे कौन आ सकता है और इस तरह से दरवाजा खटखटा सकता है।

हिम्मत कर के दोनों  दरवाजे के पास गए और आई होल में से देखकर पूछा,

” कौन है ? “

” बेटा ! मैं हूं तुम्हारे पड़ोस में रहने वाली तिवारी आंटी। तुम्हारे अंकल की तबियत अचानक से बहुत खराब हो गई है, क्या तुम चल कर देख सकते हो ? ” बाहर से एक करुणामई आवाज आई।

” तुम जानती हो क्या तिवारी आंटी को ?” हर्ष ने प्रिया से पूछा।

” पास वाले मकान में अंकल और आंटी बस दोनों ही रहते हैं और बुजुर्ग हैं, बस इतना ही जानती हूं। उनसे कभी बात तो नहीं हुई, हां एक – दो बार नमस्ते जरूर हुई है।” प्रिया ने बताया।

” ठीक है। तब तो हमें उनकी मदद जरूर करनी चाहिए।” कहते हुए हर्ष ने दरवाजा खोल दिया और आंटी के साथ उनके घर की तरफ चल दिया।




थोड़ी देर में प्रिया भी घर लॉक कर आंटी के यहां चली गई।

तब तक हर्ष ने डॉक्टर को फोन कर दिया था और अंकल को फर्स्ट एड देना शुरू कर दिया था। अंकल को शायद हार्ट अटैक आया था। क्योंकि उनके सीने में बहुत तेज दर्द हो रहा था और वे पसीने से तर बतर हो रहे थे, साथ ही घबराहट भी हो रही थी।

थोड़ी ही देर में डॉक्टर आ गए। उन्होंने एग्जामिन कर के बताया कि अंकल को हार्ट अटैक ही आया है और समय से फर्स्ट एड मिल जाने से अंकल सैफ हैं लेकिन उनको तुरंत हॉस्पिटल ले जाना पड़ेगा।

एंबुलेंस को कॉल कर अंकल को तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां पर अगले दिन उनकी हार्ट सर्जरी की गई।

लगभग एक महीने हॉस्पिटल में रहने के बाद अंकल को डिस्चार्ज कर दिया गया। जब तक अंकल हॉस्पिटल में रहे तब तक हर्ष और प्रिया ने भी अपने पिता के जैसे उनका बहुत ध्यान रखा।

कुछ दिन बाद  अंकल – आंटी  कृतज्ञता व्यक्त करने प्रिया के घर गए,

” बेटा! अगर उस दिन तुम हमारी सहायता नहीं करते तो शायद मैं अभी तुम्हारे सामने नहीं होता।” अंकल ने हर्ष के हाथों को अपने हाथों में पकड़ते हुए कहा।

” कैसी बातें करते हैं, उनके आप ? हम क्यों नहीं आपकी सहायता करते ? पड़ोसी होते ही इसलिए हैं। अब आप अपने को अकेला नहीं समझिएगा।” हर्ष ने कहा

” सच कहते हो बेटा। भगवान ने इस उम्र में आकर हमारी गोद भरी है। तुम्हारे जैसा बेटा – बहु पाकर हम धन्य हो गए।” आंटी ने आंसू पोंछते हुए कहा।

” चलिए अब रोना बंद करिए और अपनी बहु के हाथ के चाय – पकोड़े खा कर बताइए कैसे बने हैं।” प्रिया ने ट्रे हाथ में लिए कमरे में प्रवेश किया।

…. और प्रिया की बात से हॉल ठहाकों से गूंज गया।

 

 

अनिता गुप्ता 

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