कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता – ममता सिंह : Moral Stories in Hindi

Post View 669 घड़ी की सूइयाँ रात के तीन बजा रही थीं। बाहर घना अंधेरा था और अंदर उतनी ही गहरी ख़ामोशी थी। राजन की आँखों में नींद का नामोनिशान नहीं था। वह कुर्सी पर बैठा सामने रखी शराब की बोतल को घूर रहा था। हर घूंट के साथ एक चेहरा उसकी आँखों के सामने … Continue reading कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता – ममता सिंह : Moral Stories in Hindi