कोना मायके का – भगवती सक्सेना गौड़

Post Views: 3 आज सुकन्या दीवाली की सफाई कर रही थी, सीढ़ी पर चढ़कर ऊपर की अलमारी के किवाड़ खोले। एक चरर्रर्रर सी आवाज़ हुई, क्योंकि ये अलमारी सिर्फ दीवाली के एक हफ्ते पहले ही खुलती थी। तभी एक लकड़ी का बक्सा दिखा, जिसमे सिर्फ उंसकी ही यादें थी, जिसमे सिर्फ उसके अपने थे, जिनका … Continue reading कोना मायके का – भगवती सक्सेना गौड़