“कोमल निष्ठुर”  – ऋतु अग्रवाल 

Post View 468   “बहुत गुस्सा आता है मुझे अंकुश पर। जब देखो चेहरे पर गंभीरता का आवरण ओढ़े रहते हैं। ना कोई हँसी मजाक, ना प्रेम प्रदर्शन, ना कोई मनुहार। बस सुबह से रात तक एक निश्चित दिनचर्या। नहीं! नहीं! ऐसा नहीं कि वह अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं करते या मेरी आवश्यकताओं का ख्याल … Continue reading “कोमल निष्ठुर”  – ऋतु अग्रवाल