किरपा करो हे राम – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi

Post View 1,606 सुबह आठ बजे ऑर्डर मिलने शुरू हो जाते थे। कभी स्वीगी, ब्लिंकिट तो कभी जमैटो। कोई सप्लाई छूट न जाये इसलिए रामचन्द्र कुशवाहा सुबह जल्दी उठते और नहा धोकर, नाश्ता करके आठ बजे तक तैयार हो जाते। सरकार की पाबंदियों के कारण लकड़ी चिरायी का कारख़ाना बंद होने से, छह महीने पहले … Continue reading किरपा करो हे राम – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi