डोर विश्वास के – किरण बरनवाल

Post Views: 7 जिंदगी क्या है, किस चक्रव्यूह  में फंसा कर कैसे निकालती है ,ये तो मानव मन कभी आकलन ही नहीं  कर सकता। टेढी मेड़ी पगडंडियों में ना जाने कितने लोग मिलते हैं , कितने बिछड़ जाते हैं । साथ रह जाती है …सिर्फ  यादें जो कभी रुला जाती है तो कभी होठों पर … Continue reading डोर विश्वास के – किरण बरनवाल