“कीमत” – पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

खुशी देहरादून अपनी बचपन की दोस्त शालिनी के बेटे की बर्थडे पार्टी मेंआई हुई थी सारा इंतजाम एक होटल में किया गया था वह, दिन भर की थकान से थोड़ा सा थक गई थी इसीलिए वह थोड़ी देर के लिए अपने कमरे में आराम करने के लिए आ गई उसका सर दर्द से फटा जा रहा था उसने जल्दी से एक पेन किलर खाई और कमरे का ए सी आन किया लेकिन ए सी नहीं चल रहा था कंप्लेंन करने के लिए वह रिसेप्शन पर फोन करती है उधर से एक परिचित सी आवाज सुनकर

,”जी मैडम अभी चेक करने के लिए आपके कमरे में भेजती हूं “वह चौंक जाती है शायद यह तो नीति की आवाज है मैं इस आवाज को कैसे भूल सकती हूं? लेकिन वह यहां पर कैसे ?अपनी सारी थकान और दर्द को भूलकर वह रिसेप्शन पर जाती है उसका अंदाजा बिल्कुल सही था वहां नीति ही थी ,,नीति भी उसे देखकर थोड़ा सकपका जाती है और केवल इतना ही पूछ पाती है कैसी हो भाभी? बच्चे तो ठीक है ना। हां नीति सब ठीक है लेकिन पहले तुम यह बताओ तुम यहां कैसे आई?

मैं यहां रिसेप्शन पर 9 से 5 बजे तक नौकरी करती हूं। साथ ही साथ कोचिंग भी करती हूं 6:00 बजे मेरी कोचिंग क्लास है। अब मुझे कोचिंग के लिए जाना होगा मैं चलती हूं अभी ,नीति ने खुशी से नज़रे चुराते हुए कहा लेकिन खुशी ने उसका हाथ पकड़ लिया

लेकिन नीति अभी तो 5:00 बजे हैं तुम्हारे पास एक घंटा है प्लीज मुझे बताओ घर में सब कैसे हैं मां बाबूजी मयंक सब ठीक तो है ना ?खुशी के ज्यादा पूछने पर नीति बैठ जाती है और कहती है, नहीं घर में कुछ ठीक नहीं है ,भैया की मौत के बाद जब आप भी घर से चली गई तो पापा डिप्रेशन में आ गए थे वो अब भी दोनों बच्चों का नाम सुनकर बेचैन हो जाते हैं मयंक एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाता भी है और सी ए

की कोचिंग भी कर रहा है

बाबूजी किसी से बहुत ज्यादा नहीं बोलते हैं उन्होंने खुद को जैसे एक कमरे में ही बंद कर लिया है और मां को शुगर और बीपी की बहुत परेशानी होने लगी है दवाई खाकर जैसे तैसे जिम्मेदारी निभा ही रही हैं पापा की पेंशन के अलावा घर में कोई और आय का, साधन नहीं था इस वजह से मुझे भी नौकरी करनी पड़ी और मयंक को भी ,,हम दोनों नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई भी करते हैं, नीति तुम मुझे एक फोन करके बता तो सकती थी मैं बच्चों को मिलवाने बाबूजी के पास आ सकती थी ,

नहीं भाभी हम नहीं चाहते थे कि बाबूजी का बच्चों में और ज्यादा मोह पड़े वे पहले ही डिप्रेशन के मरीज हैं इसलिए मैंने आपको कभी फोन नहीं किया इतना कहकर नीति वहां से अपना पर्स उठाकर अपनी कोचिंग के लिए निकल जाती है, खुशी बहुत परेशान थी इसलिए वह अपनी दोस्त से किसी जरूरी काम का बहाना बनाकर कैब बुलाकर दिल्ली के लिए निकल जाती है कैब में बैठते ही उसके मन में अतीत के पन्ने खुल जाते हैं, राजीव ने खुशी से लव मैरिज की थी अपने एक दोस्त की शादी में खुशी का और राजीव का परिचय हुआ था

राजीव एक आईटी कंपनी में अच्छे पद पर नौकरी करता था दोनों दिल्ली में ही रहते थे खुशी नेट की परीक्षा क्लियर कर चुकी थी दोनों के ही परिवारों की रजामंदी से उनका विवाह हुआ था, राजीव की परिवार में उसकी छोटी बहन और छोटा भाई था उसके पापा बैंक से रिटायर हो चुके थे , खुशी राजीव के परिवार में जल्दी ही घुल मिल गई थी ,सब बहुत खुश थे, शादी के 6 साल बाद तक दोनों बच्चे भी हो गए थे । घर में जैसे रोनक आ गई थी,

उनके हंसते खेलते घर को किसी की नजर लग गई एक दिन सड़क हादसे में राजीव की जान चली जाती है इस अप्रत्याशित घटना ने सारे घर को हिला कर रख दिया , अपने पति के बिना खुशी को उस घर की हर चीज काटने को आने लगी , उसे लगने लगा यहां उसका रखा ही क्या है? आखिर पति के बिना उसके घर में उसकी पत्नी की कीमत ही क्या होती है?जिस घर से कभी उसका जाने के लिए मन नहीं करता था आज उसी घर में उसका बिल्कुल मन नहीं लगता था।

उसने मन ही मन फैसला ले लिया कि वह अपने दोनों बच्चों के साथ मायके चली जाएगी और अगले दिन उसने अपना फैसला भी सुना दिया कितनी मिन्नते की थी मां बाबूजी ने ,हमारे बच्चों को हमसे दूर मत करो बहू लेकिन उसने उनकी एक न सुनी राजीव की कंपनी से जितने भी फंड के पैसे मिले थे वह सब राजीव के माता-पिता ने उसके लाख मना करने पर भी बच्चों के भविष्य के लिए उसको ही दे दिए थे, उस दिन से दिल्ली में रहते हुए भी उनका आपस में कोई कांटेक्ट नहीं हुआ था,

खुशी 2 साल से अपने मायके में ही है और उसी कॉलेज में जाब भी कर रही है, शुरू के दो-तीन महीने तो सब ठीक था लेकिन धीरे-धीरे वह अपने ही घर में अपने आप को उपेक्षित महसूस करने लगी थी उसके बच्चों पर भी कोई भी ध्यान नहीं देता था उसके पिता की मृत्यु के बाद मा भी लाचार ही हो गई थी, लेकिन आज उसे लग रहा था कि उसके घर को उसकी बहुत जरूरत है अगले दिन सुबह वह घर में सबको बता कर अपने दोनों बच्चों को लेकर अपने घर जाने लगी

उसकी मां उसके निर्णय से बहुत खुश थी , लेकिन उसके भैया भाभी को बहुत अफसोस था क्योंकि Ends कमाने वाली एटीएम मशीन जो जा रही थी उन्होंने उसे रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन अपने भैया भाभी पर कटाक्ष करते हुए उसने कहा Story हूं भैया मुझे रोकने के पीछे आपका क्या स्वार्थ है इन 2 सालों में इतना तो मैं आप दोनों को समझ चुकी हूं? आप दोनों की नजरों में मेरी कीमत रत्ती भर भी नहीं है, केवल और केवल मेरी कमाई का लालच है

आपको नहीं तो कब का धक्के मार कर निकाल दिया होता। मैं जा रही हूं अपने घर। जहां आज भी मेरी बहुत जरूरत है मैं ही पागल थी जो अपने परिवार की कीमत नहीं समझ पाई। जहां आज भी मेरा वजूद जिंदा है और मैं आत्मसम्मान के साथ रह सकती हूं। दोनों अपना सा मुह लेकर रह गए थे और मां ने तो खूब आशीर्वाद दिया था अपनी बिटिया को।कुछ देर बाद ही खुशी अपने घर पहुंच गई थी वह घर जो उसका कब से इंतजार कर रहा था जो सच में उसका था

मां और बाबूजी भी उसे देखकर बहुत खुश होते हैं और जल्दी से आरती की थाली लगाकर मां उसकी आरती उतारती है आज मेरे घर की लक्ष्मी वापस आ गई है और मेरे बच्चे मेरा राजीव उनके रूप में मुझे वापस मिल गया है राजीव की तस्वीर देखकर उसे लगता है जैसे उसे देखकर मुस्कुरा रहे हो और उसके निर्णय में उसके साथ हो।

 पूजा शर्मा स्वरचित

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