क़ीमत – महजबीं : Moral Stories in Hindi

आज पापा ऑफिस से लौटे तो बहुत खुश थे वह जल्दी से अपने कपड़े बदल कर मम्मी से बोले ,”अरे सुनती हो इधर आओ, मेरे पास बैठो।” मम्मी बोली, “क्या बात है ?आज बड़े खुश नजर आ रहे हो ।कोई खास बात है क्या ?” ‘बिलकुल “,पापा बोले ,अरे आज ऑफिस में अहमद आया था

और अपने बेटे अयान के लिए हमारी बेटी जोया का हाथ मांग रहा था। मैंने तो तुरंत हाँ कर दी।” अयान  ज़ोया के पापा  अली के बहुत अच्छे दोस्त अहमद अंकल का बेटा है।थोड़ा कम  पढ़ा लिखा है  पर अच्छे  चरित्र  और स्वभाव का है।

अपने पापा का बिज़नेस संभालता है । अहमद अंकल का  गारमेंटस का काफी बड़ा बिजनेस है। मैं  ड्राइंग रूम में बैठी अपने पापा की सब बातें सुन रही थी ।मम्मी तो रिश्ते की बात सुनकर बहुत खुश हो गयी।बोली,” आपने ठीक किया,

अयान अच्छा लड़का है।अपनी ज़ोया को खुश रखेगा।”ये सब सुन कर मैं बोली ,”पापा मुझे अभी शादी नहीं करनी है। मुझे और आगे पढ़ना है तथा सिविल सर्विसेज की परीक्षा देनी है ।” “नहीं बेटा ,मम्मी बोली अयान बहुत अच्छा लड़का है

कम पढ़ा है तो क्या हुआ वह अच्छे विचारों का है।” पापा बोले , “बिल्कुल, और बेटा ज़ोया तुम तो जानती हो अहमद अंकल के हमारे ऊपर कितने अहसानात हैं ।आज मैं जो कुछ भी हूँ उनकी मदद के वजह से हूँ। उन्होंने हमारे बुरे समय में हमारा बहुत साथ दिया है। 

जब मेरा एक्सीडेंट  हुआ था और मैं दो वर्ष तक चलने के क़ाबिल नहीं था तब अहमद ने मेरी हर तरह से बहुत सहायता की थी। मैंने उनसे काफी पैसा क़र्ज़ भी ले रखा है। अयान से  तुम्हारा विवाह कर के ये सारा क़र्ज़ उतर जाएगा। मैं उनको इनकार कैसे कर सकता हूं?

“अच्छा पापा ,तो अहमद अंकल अपने अहसान की कीमत चाहते हैं  पर मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं।मैं जब ऑफिसर बन जाऊंगी तो उनका सब क़र्ज़ अदा कर दूँगी। पर मैं अयान के साथ शादी नहीं करूंगी। मैं अपने सपने पूरे करने चाहती हूँ।

“पापा गुस्सा कर बोले, “तुम मेरी बेइज़्ज़ती कराना चाहती हो। मैं अहमद को इंकार नहीं कर सकता। ” जोया उदास होकर अपने कमरे में चली गई । बहुत सोचने पर उसने अहमद अंकल से बात करने का फैसला किया। वह अहमद अंकल के ऑफिस गई ।

“अरे बेटा ज़ोया तुम कहो कैसे आना हुआ “अहमद अंकल  उसे देखकर चौंक गए ।अंकल प्लीज मुझे आपसे ये कहना है कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती मैं बहुत पढ़ना चाहती हूँ। ऑफिसर बनना चाहती हूँ। अयान अच्छा लड़का है 

पर अयान के लिए  मेरे दिल में ऐसी कोई सोच नहीं हैं।आपका मेरे पापा के उपर जो क़र्ज़ है वो सब मैं धीरे धीरे अदा कर  दूँगी ।प्लीज आप अयान के लिए कोई और  अच्छी लड़की  देख लिये। ” यह सब सुनकर  अंकल बोले।,

” ज़ोया बेटा अगर तुम इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हो तो मैं जबरदस्ती नहीं करूंगा ।मैं तुम्हारे  पापा  से कोई  एहसान की कीमत नहीं चाहता ।मैं तो बस तुम्हें अपनी बेटी बनाना चाहता था तुम्हारे पापा मेरे सच्चे दोस्त हैं मुझे तुम लोगों से कोई क़र्ज़ वापसी नहीं चाहिए ।

तुम्हें पता नहीं बेटा, बचपन में  जब मेरे पिता जी गुज़र गए थे और मेरे घर के हालात बहुत खराब थे। तब  अली कितनी बार अपनी पॉकेट मनी से मेरी स्कूल की फीस भर देता था।  अपना खाना मुझे खिलाता था। मेरी माँ बीमार होती थी तो दवा ला कर दे देता था।

सच में तो उसके एहसान मेरे ऊपर हैं। अयान से तुम्हारी शादी  करा कर मैं उसको  उतारना चाहता था पर अगर तुम नहीं तैयार हो तो मैं खुद तुम्हारे पापा को मना कर दूँगा तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो ।मैं अयान के लिए कोई और अच्छी लड़की पसंद कर लूंगा ।

अगर तुम्हें मेरी और कोई सहायता चाहिए हो तो मैं हर पल तैयार हूँ, मुझे अपने पिता समान समझना। “अंकल आप कितने महान हैं मुझे आपसे  यही उम्मीद थी । आप की  और पापा की दोस्ती अनमोल है। ” घर आकर ज़ोया ने सारी बात अपने पिता अली को बताई तो  वह भी सोचने लगा

कि वाक़ई रिश्तों की क़ीमत धन- दौलत से कहीं बढ़ कर है। अगर आप अपने पैसों से किसी ज़रूरतमंद की सहायता कर दें तो आपकी ज़रूरत  पर वही सहायता आपको कितने ब्याज के साथ मिलती है आप उसकी क़ीमत नहीं लगा सकते।

लेखिका : महजबीं 

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