खुशियों के दीप – खुशी : Moral Stories in Hindi

किशन जी एक समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे।घर में पत्नी राधा और दो बच्चे नेहा और सौरभ थे।बच्चे पढ़ाई में अच्छे थे।

कुल मिलाकर एक प्यारा सा परिवार था।भाई बहन दोनो में भी बड़ा प्यार था समय बीता दोनो बच्चे बड़े होगए और सौरभ बैंक में मैनेजर लग गया

  उसी के बैंक में नीलम भी काम करती थी।दोनो एक दूसरे को पसंद करते थे।राधा जी सौरभ के लिए लड़किया देख रही थीं।

तभी सौरभ ने अपने माता पिता को नीलम के बारे में बताया माता पिता बेटे की खुशी में राजी थे और इस तरह नीलम सौरभ के घर ब्याह कर आगई।

नीलम अपने माता पिता की अकेली बेटी थी पिताजी का देहांत हो चुका था घर में सिर्फ मां थी।नीलम को घर में सब प्यार करते थे

पर नीलम जाने क्यों कटी कटी सी रहती और नेहा को तो वो बिल्कुल पसंद नही करती थी। जबकि नेहा हमेशा उससे प्यार से बात करती पर नीलम को समझ न आता।

समय गुजर रहा था और नीलम का व्यवहार सब से लाताल्लुक होता जा रहा था।नीलम की मां भी उसके कान भरने से बाज न आती।

नीलम का रंग सौरभ पर भी चढ़ने लगा अब वो भी अपने परिवार से दूर हो रहा था।वो नीलम और उसका बेटा आदित्य यही उनकी दुनिया थी।

नेहा की भी शादी हो गई थी वो भी जब घर आती तो सौरभ और नीलम उसकी शक्ल तक नहीं देखते थे।सौरभ ऐसा व्यवहार करेगा किसी ने सोचा भी नहीं था।

समय गुजारा सौरभ के माता पिता जी भी चल बसे।सौरभ अकेला हो गया था उसे कभी कभी नेहा की बहुत याद आती पर वो क्या कर सकता था।

नेहा के पति का तबादला उन्ही के शहर में हो गया।नेहा खुश थी कि चलो इस बार भाई दूज पर भाई के घर जाएगी।

फिर सोचती क्या पता भाई भाभी ठीक से बात भी ना करे।वो इसी दुविधा में थी कि रोहन बोले चलो नेहा दिवाली।का सामान ले आए ।

गर्वित और मेघा के कपड़े और पटाखे भी लेने है ।वो चारों बाजार पहुंचे सामने से सौरभ और नीलम आते दिखाई दिए।नेहा खुद को रोक न पाई

और सौरभ के पास दौड़ती चली गई भैया  भाभी आप कैसे हैं बच्चे कैसे अदित्य तो बड़ा हो गया होगा मीरा कैसी है सौरभ बोला सब ठीक है

रोहन को देख कर बोला रोहन जी आप कैसे हैं और यहां कैसे तो रोहन बोला मेरा यह तबादला हो गया है कंपनी के जीएम के तौर पर इसलिए आप सब लोग घर आएगा।

सौरभ घर आया तो उदास था आदित्य ने पूछा पापा क्या हुआ? नीलम बोली और क्या तुम्हारी बुआ इसी शहर में आगई है।

आदित्य और मीरा बोले ये तो अच्छी बात है पापा कितने उदास होते थे नेहा बुआ का सोचकर अच्छा हुआ।क्या अच्छा हुआ रोज आजाएगी यहां नीलम बोली

।मीरा ने कहा मां कल मेरी।शादी के बाद आदित्य भैया की बीवी भी ऐसे ही बोलेगी तो आप को अच्छा लगेगा बुआ हर साल राखी भेजती।

है पर आप वो पापा तक पहुंचने नहीं देती।मां ऐसा मत करो कल को।आप की भी बेटी है।आदित्य बोला बहन तू चिंता मत कर मैं पापा जैसे नहीं करूंगा।

बच्चो की बात सुन सौरभ और नीलम की आखों से आसू बहने लगे। नीलम बोली आज ही नेहा को।फोन लगाओ और उसे घर बुलाओ।

दिवाली की सुबह नीलम और सौरभ नेहा के दरवाजे पर खड़े थे घंटी बजाई नेहा ने दरवाजा खोला भाई भाभी और बच्चों को देख वह बहुत खुश हुई।

नीलम और सौरभ बोले हम आज अपने घर की लक्ष्मी को भाई दूज का न्योता देने आए है।मेरी बहन मुझे माफ कर दो नेहा बोली आप माफी मत मांगिए

आप हमेशा मेरे दिल में रहे है और रहेंगे सब तरफ खुशियों के दीप जल गए जब दिल से दिल मिल गए।

दोस्तो त्योहारों की रौनक तो अपने से है वो पास हो तो हर दिन दिवाली है।

स्वरचित

पसंद आए तो कमेंट में बताएगा 

आपकी सखी 

खुशी

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!