“छोटी बहू जब बड़ी बहू अपने नए मकान में चली गई है फिर तू क्यों पुराने मकान में रह रही है तूने भी तो नया मकान बनवा लिया है फिर तू उसमें रहने के लिए क्यों नहीं चली जाती?”सास निर्मला ने अपनी छोटी बहू नीतू से कहा तो सास की बात सुनकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई थी कुछ वर्ष पहले नीतू जब इस घर में ब्याह कर आई थी
तो भरा पूरा परिवार था उसका ससुर नेमचंद जो उसे बेटी की तरह प्यार करते थे सास निर्मला जो दिखने में नारियल की तरह थी ऊपर से कड़क और अंदर से बिल्कुल मोम की तरह मुलायम थी जो हमेशा घर के काम में उसका हाथ बटाती थी
जेठ मोहित जेठानी मोनिका के दो बच्चे प्रिंस व दिया और पति नवीन। सभी लोग साथ में मिलकर हंसी-खुशी रहते थे हंसी खुशी में कई साल कैसे बीत गए नीतू को पता ही नहीं चला था इसी दौरान नीतू भी एक बेटी अंशिका की मां बन गई थी।
सभी लोग खुशी-खुशी अपना समय व्यतीत कर रहे थे कि 1 दिन खाना खाने के बाद नेमचंद जब आंगन में टहल रहे थे तभी अचानक उनका दिल का दौरा पड़ने के कारण देहांत हो गया था अचानक पति के गुजर जाने से निर्मला बेहद दुखी रहने लगी थी अपनी मम्मी को दुखी देखकर नवीन और मोहित उन्हें प्यार से समझाने का प्रयास करते थे
तब बच्चों की खुशी देखकर निर्मला दिल पर पत्थर रखकर शांत रहने का प्रयास करती थी। नवीन और मोहित के विचारों में जमीन आसमान का अंतर था नवीन जहां अपनी खुशी के साथ-साथ अपनी मम्मी की खुशी का ध्यान भी रखता था वही मोहित और उसकी पत्नी मोनिका को सिर्फ अपनी ही खुशी से मतलब था अपने पापा के जाने के कुछ समय बाद ही मोहित ने गांव से काफी दूर शहर में मकान बनवा लिया था और वहीं पर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहने लगा था।
दोनों भाई पास पास में रहे यही सोच कर नवीन ने भी अपने भाई के पास ही अपने रहने के लिए एक मकान बनवा लिया था वह अपने भाई के पास जाने के लिए सोच ही रहे थे कि अचानक हुई
एक बात ने उनका शहर जाने का मन बदल दिया था। हुआ यूं की एक दिन नीतू जब बर्तन साफ कर रही थी तभी अचानक उसकी पड़ोसन सुधा घर में निर्मला से मिलने के लिए आ गई थी तब बातों ही बातों में वह निर्मला से पूछ बैठी आप शहर कब जा रही हो आपके छोटे बेटे ने भी तो शहर में नया मकान बनवा लिया है?”
सुधा की बात सुनकर निर्मला दुखी स्वर में बोली”मैं गांव का यह घर छोड़कर शहर बिल्कुल नहीं जाऊंगी मेरा तो यहीं पर मन लगता है”तब सुधा मुस्कुराते हुए बोली” जब बेटे बहु शहर जाएंगे तब आपको तो जाना ही पड़ेगा।”यह सुनकर निर्मला अपने घर की तरफ देखते हुए बोली”बेटे बहु यदि शहर जाना चाहते हैं तो वह चले जाएंगे परंतु,
मैं तो जिस घर में ब्याहकर आई थी उसी घर से मेरी अर्थी निकलेगी मैं इस घर को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी क्योंकि मेरी खुशी तो इसी घर में रहने में है मेरे पति और बच्चों की बहुत से यादें इस घर से जुड़ी हुई है शहर में जाने पर मेरा मन नहीं लगेगा।”
निर्मला की बात सुनकर पड़ोसन खामोश हो गई थी परंतु, उसकी छोटी बहू ने सास की बात सुनकर मन नहीं मन निर्णय ले लिया था कि जब तक सास जीवित रहेंगी वह गांव में ही रहेंगे जब उसने अपना निर्णय नवीन को सुनाया तो नवीन भी उसकी बात सुनकर मां की खुशी के लिए गांव में रहने को ही तैयार हो गया था।
नीतू को जवाब देने के स्थान पर मुस्कुराते हुए देख कर निर्मला आश्चर्य से बोली” बहु तुने मेरी बात का जवाब नहीं दिया मेरी बात का जवाब देने की बजाय तू ऐसे मुस्कुरा क्यों रही है? तब नीतू मुस्कुराते हुए बोली” मम्मी जी हमारे लिए नए मकान से जरूरी आपकी खुशी है आपके जीते जी हम यह मकान छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।
“नीतू की बात सुनकर निर्मला की आंखों से खुशी की निर्मल धारा बहने लगी थी क्योंकि यदि बेटे बहू शहर जाते तो उन्हें वह रोक नहीं सकती थी परंतु, मां की खुशी के लिए उन्होंने गांव में रहना स्वीकार कर लिया यह उनके लिए बहुत बड़ी खुशी थी “सदा खुश रहो” कहते हुए अपना आशीर्वाद भरा हाथ छोटी बहू के सिर पर रखते हुए उन्होंने उसे गले से लगा लिया था।
बीना शर्मा