नीलम जी एक कुशल गृहणी और काफी व्यावहारिक महिला थीं । उनके पति सेवा निवृत्त हो चुके थे । उसके बाद नीलम जी की आकस्मिक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी । एक सूत्र में पिरोए रखने वाली जब परिवार को अकेले छोड़कर चली गयी तो सबसे ज्यादा तनावग्रस्त उनके पति प्रशांत जी थे । दुःख तो बेटे – बेटियों को भी कम नहीं था पर प्रशांत जी की तकलीफ अलग थी वो पत्नी के जाने का दर्द किसी से बाँट नहीं सकते थे । मस्त मौला रहने वाले इंसान पत्नी वियोग में अकेलेपन के शिकार हो गए ।
आज तकरीबन साल भर बाद निधि इस घर में कदम रख रही थी भाभी नम्रता के बुलाने पर ।बहुत संभालने की कोशिश कर रही थी निधि खुद को । लेकिन न चाहते हुए भी मायके की चौखट में अंदर घुसते हुए उसकी आँखों से अश्रुधार बह ही निकले । माँ की रखी एक एक चीज बिल्कुल उसी अंदाज में उतने ही करीने से रखा देख वह धीरे- धीरे पुरानी स्मृतियों में घुल रही थी तभी उसे पूजा दीदी की आवाज़ सुनाई दी । पूजा दीदी..निधि की बड़ी बहन ।
चौंक गयी जैसे निधि पूजा दीदी को देखकर । नम्रता भाभी ने कहा..” आप दोनों बहनों को मैंने साथ मे रहने के लिए ही बुलाया है दीदी ।पहले जब पूजा निधि साथ मे ससुराल से मायके आतीं तो माँ उन्हें एक कमरा स्टोर वाला खाली करा के सौंप देती । घर तो तीन ही कमरे का था लेकिन आपसी प्रेम से काफी खुशहाली थी । पूजा और निधि की भाभी नम्रता काफी गुस्सैल थी । दोनो बहनों का प्यार उसे देखा नहीं जाता था ।
निधि का भाई रोहन पत्नी और बहनों के बीच पिस कर रह जाता था । नम्रता को बार- बार समझाने की कोशिश करता कि ननदों के बगैर घर और त्योहार सूना लगेगा । पर नम्रता सिर्फ अपना स्वार्थ देखती थी । उसे लगता था प्यार उसका बंट रहा है तो दोनों ननदों के न आने के लिए हर उपाय सोचती ।
एक दिन नीलम जी और नम्रता में कहा- सुनी हो गयी । नीलम जी ने नम्रता से कहा…”निधि और पूजा के लिए कुछ तोहफे ले लो । पहली बार नया घर बनने के बाद अनुष्ठान में आई हैं दोनो । नम्रता ने नाक- भौं सिकोड़ते हुए कहा था..”मुझे पता था ये दोनों बहनें सिर्फ लूटने ही आएँगी । नीलम जी को सुनकर बहुत दुःख हुआ अपनी बेटियों के बारे में पर वो अपमान का घूँट पीकर रह गईं । फिर उन्होंने अपने कमरे में बिठाकर नम्रता को समझाया…”बेटा !
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तुम भी कहीं की लक्ष्मी हो और मेरी ये बेटियाँ भी । ये तो शगुन है जो परस्पर चलता है । बेटियों के आने से घर में रौनक आ जाती है । तुम्हारे भाई की जब शादी होगी, कल को जब तुम ननद बनोगी न और इस रिश्ते का मोल समझोगी तब मेरी तकलीफ महसूस कर पाओगी । मेरे जीते जी इनसे निभा लो कल को मैं न रहूं तो अपनी मर्जी चला लेना । अभी जीते जी ये सब नहीं देखा जाएगा । इतनी बातें सुनते ही नम्रता थोड़ी सी मायूस हुई फिर कमरे से बाहर निकलते ही मुँह ऐंठकर अपने काम मे लग गयी ।संयोगवश पूजा निधि दोनो माँ और भाभी के बीच का संवाद सुन रही थीं ।
निधि को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था जिस भाभी की तारीफ फोन पर माँ घण्टों किया करती थी, ये वही है ? दोनो बहने माँ और भाभी के बीच दीवार नहीं बनना चाहती थीं तो दोनों ने आपसी रजामंदी से गाड़ी बुक किया और ससुराल में जरूरी काम का बहाना कर निकल गईं मायके से ।
अचानक निधि अतीत के गलियारों से बाहर निकली ।भारी मन से आगे बढ़ी तो बरामदे में माँ की तस्वीर पर नज़र पड़ते ही फफक कर रो पड़ी । पापा को ऐसे अकेले देखकर अच्छा नहीं लगता माँ । आप हमें क्यों छोड़कर चली गईं ? मन ही मन बुदबुदाने लगी पूजा भी निधि से चिपक कर…”उफ्फ ! ये ज़िन्दगी भी न, “सुख कम दुःख ज्यादा देती है” । पहले तो माँ चली गयी, और अब पापा के अकेलेपन का भी दुःख बिल्कुल देखा नहीं जाता । कैसे शांत से हो गए हैं।
क्यों कोई नहीं समझ पाता हम बहने लूटने नहीं अपनो पर खुशियां लुटाना चाहती हैं, उनका मुस्कुराता चेहरा देखकर साल भर की ताजगी और ऊर्जा लेने आती हैं ताकि साल भर ससुराल में जी लगा रहे । ठिठकते कदमो से निधि पापा के कमरे में पहुँची और पापा के गले लगकर जी भर के रोने लगी । प्रशांत जी ने भी दोनो बेटियों के गले लगकर जी को हल्का कर लिया । अचानक निधि को अपने पीठ पर नर्म सी छुअन महसूस हुई । पीछे मुड़कर देखा तो नम्रता भाभी थी ।
आंखों में नमी और चेहरे पर मुस्कुराहट लिए वो अपनी बाहें फैलाए दोनों ननदों का इंतज़ार कर रही थी ।आंखों को यकीन नहीं हुआ । नम्रता भाभी ने फिर निधि और पूजा की गीली आंखों के कोर को अपने दुपट्टे से पोछकर कहा…”पुराने दिन में जो तकलीफ दिया मैंने उसे भूल जाइए दीदी” । माँ ने सही कहा था जब मैं ननद बनूँगी तो इस रिश्ते का मोल समझूँगी । मेरे भाई के महीने भर की शादी में ही मुझे इस रिश्ते का मोल समझ आ गया ।
मेरी भाभी ने जो तकलीफ दी तो मुझे इस रिश्ते की तकलीफ समझ आ गयी । ये घर आपलोग के बगैर सचमुच अधूरा है दीदी । मेरे घर भी नन्हा मेहमान आने वाला है और इस खुशी के मौके पर मै चाहती हूँ पूरे परिवार का आशीर्वाद मेरे साथ हो ।आपका घर ही है, जब आइए दिल खोलकर आपका स्वागत करूँगी ।
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प्रशांत जी खुशी से फूले नहीं समा रहे थे बेटी – बहु को साथ देखकर । काफी समय बाद आज ये घर खुशियों से भरा परिपूर्ण सा लग रहा था । निधि और पूजा ने हक से नम्रता को गले लगाकर झुकी नज़रों से कहा…”हमारा खुशहाल मायका कुशलवत लौटाने के लिए “थैंक यू भाभी ” ।नीलम जी की तस्वीर को देखकर प्रशांत जी मुस्कुरा रहे थे और उनकी कमी नम आँसुओं में नज़र आ रही थी ।
मौलिक, स्वरचित
अर्चना सिंह