खुद के लिए जीना गुनाह है क्या? – सुषमा तिवारी

Post View 9,814 फोन की घंटी लगातार बजे जा रही है और उसके साथ ही सुमन की घबराहट, “क्या करूँ उठाऊं कि नहीं, नहीं उठाऊंगी, नहीं दे पाऊँगी अब और जवाब, क्या जाने अंजलि क्या सोच रही होगी मेरे बारे में”! ये सब सोचते हुए आंसुओं की धार बह चली और सुमन पछताने लगी अपने … Continue reading खुद के लिए जीना गुनाह है क्या? – सुषमा तिवारी