” माँ…. फाइनली मुझे कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिल ही गया।ये देखो…” लाइसेंस दिखाते हुए श्रुति बोली और माँ के गले लग गई।लाइसेंस पर बेटी का नाम लिखा देख माँ की आँखों से आँसू छलक पड़े।
” ये क्या माँ, तुम खुश नहीं हो।” श्रुति ने माँ की आँखों से आँसू पोंछते हुए बोली। “नहीं मेरी बच्ची, ये तो मेरी खुशी के आँसू है।” माँ ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और बेटी का चेहरा अपने हाथों में लेकर निहारने लगी।
” ऐसे क्या देख रही हो माँ, क्या मैं कोई ख्वाब हूँ?” “ख्वाब नहीं, ख्वाब की हकीकत हो।” माँ ने हँसते हुए कहा। ” वो कैसे ” श्रुति ने आश्चर्य से पूछा।
” एक लम्बी कहानी है।” गहरी साँस छोड़ते हुए माँ बोली। ” अच्छा तो माँ, आज तुम मेरी सहेली बन जाओ और अपनी ख्वाब से हकीकत वाली कहानी मुझे सुनाओ।” बेटी की बात सुनकर माँ हिचकिचाने लगी, ” मैं… कैसे…।”
Moral Story In Hindi
श्रुति माँ का हिचक दूर करते हुए बोली, ” दादी के सामने तुम बहू बन जाती हो,पापा के सामने पत्नी और सबके सामने मेरी माँ।आज दादी मंदिर गईं हैं और पापा ऑफ़िस तो बन जाओ मेरी सहेली।” बेटी के तर्क के आगे माँ निरुत्तर हो गई जैसे कि वह भी सहेली बनकर अपने अतीत के पन्ने खोलना चाह रही हो।
दोनों आराम से सोफ़ा पर बैठ कर चाय की चुस्कियाँ लेने लगीं।माँ ने श्रुति का हाथ अपने हाथ में लिया और कहने लगी, ” पता है श्रुति,जब मैंने अपने अंदर तुझे महसूस किया तभी अपने अधूरे सपनों को बुनने लगी थी।लेकिन एक दिन जब तेरी दादी ने तुझे नष्ट करने का हुक्म दे दिया तो मुझे अपना ख्वाब टूटता दिखाई दिया,मेरी आँखों से नींद उड़ गई थी।हल्की-सी झपकी आई तो मैंने तेरी सिसकयाँ सुनी, तू कह रही थी कि माँ, मुझे दुनिया में आने दो, मैं भी सबकी तरह हँसना-बोलना चाहती हूँ, तुम्हें मम्मी और पापा को पापा कहकर उनकी गोद में खेलना चाहती हूँ।तुमने जो मेरे लिए खिलौने खरीदे हैं,उनसे खेलना चाहती हूँ।माँ, नानी ने जो तुम्हारे लिए सपने देखे थे और पापा से शादी हो जाने के बाद तुम पूरा नहीं कर पाई थी ना,उन्हें मैं पूरा करूँगी माँ, मुझे आने दो।तुम सुन रही हो ना ….। हाँ… मैं सुन रही हूँ, कहते हुए मेरी नींद खुल गयी थी।
अगली सुबह जब तेरे पापा ने अस्पताल चलने को कहा तो मैंने मना कर दिया।तेरे पापा ने कहा, ” अजन्मे से इतना प्यार!” तब मैंने कहा था कि जिसकी धड़कन सुन रही हूँ, जो कोख में लातें मार कर अपने होने का एहसास करा रही है, वह अजन्मा कहाँ रही।”
Short Hindi Moral Story
” और दादी, वो तो बहुत गुस्सा हुईं होंगी।” श्रुति ने उत्सुकता से पूछा। ” हाँ, हुईं थी लेकिन नौ महीने पूरे करके जब तू गोद में आई तो तेरी दादी का गुस्सा उड़ने-छू हो गया। तू खिलौने से खेलने लगी और हम सब तुझसे खेलने लगे।
बारहवीं कक्षा की परीक्षा में जब तू पूरे जिले में अव्वल आई थी तो याद है ना, तेरी दादी ने पूरे मोहल्ले में मिठाई बँटवाया था।फिर तूने अपने पापा से कहा कि तू पायलट बनकर आकाश में उड़ना चाहती है तो तेरे पापा ने तुरन्त पायलट प्रवेश परीक्षा का फार्म लाकर दे दिया था।” “हाँ, याद है पर माँ तुम्हारा सपना?” श्रुति ने माँ से पूछा। माँ हँसने लगी, बोली , ” शादी से पहले मैंने भी पायलट प्रवेश परीक्षा पास कर ली थी लेकिन फिर तेरे पापा से मेरी शादी हो गई और मेरा सपना अधूरा रह गया।इसीलिए जब तूने फार्म भरा तो मुझे अपने दिन याद आ गये थें।फिर तू ट्रेनिंग के लिये चली गयी और ट्रेनिंग के बाद तूने कमर्शियल पायलट की परीक्षा भी पास की और आज लाइसेंस तेरे हाथ में है।इस तरह से तू मेरे ख्वाब से हकीकत बन गई।कल जब तू पायलट की यूनिफ़ार्म पहनकर खुले आसमान में उड़ान भरेगी तो तेरे साथ मेरे सपने भी सच हो जायेंगें।”
माँ की कहानी सुनकर श्रुति ने माँ को ऐसे देखा जैसे उनमें खुद को ढ़ूंढ रही हो।वह माँ से कहती है, ” मेरा सपना यह भी है माँ कि मेरी पहली उड़ान में काॅकपिट में तुम भी मेरे साथ बैठोगी।” सुनकर माँ ने श्रुति को गले से लगा लिया जैसे कह रही हो कि आखिर तू है तो मेरा ही अंश ना, तो सपने भी एक जैसे ही होंगे ना मेरी लाडो।
————– विभा गुप्ता
मैंगलोर