चाय का कप हाथ में लेकर सोफे पर धसते हुए नैना बड़बडाने लगी…यह तारा बाई आज भी नहीं आई। इन लोगों का तो बस यही हाल है। तभी घण्टी बज उठी … दरवाजे पर तारा बाई जी और उसकी बेटी को देखकर नैना एकदम बरस पड़ी। यह तुमने क्या मजाक लगा रखा है
एक सप्ताह से नहीं आई और न ही फोन किया। काम ठीक से करना है तो करो वरना यहाँ से दफ़ा हो जाओ…तुम जैसे कामचोर लोग़ों को तो काम पर ही नहीं रखना चाहिए …नैना एक सांस में न जाने क्या क्या कहती गई। कमजोर शरीर और हल्दी जैसे पीले हाथों को जोड़ते हुए तारा बोली..
.मेम साहब!मैं बहुत बीमार हूँ मुझे पीलिया हो गया है। डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी है। मेरा फोन खो गया है। नैना मुंह बना कर बोली-तुम जैसे दो कौडी के लोग अच्छे बहाने बाज़ होते हो। तारा ने गिड़गिडाते हुए कहा- मेम साहब! काम से मत हटाओं हम भूखे मर जाएंगे।
तारा बोली-यह मेरी बेटी राधा है दसवीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए एक महीने की स्कूल से छुट्टियाँ मिली हैं। कॉलोनी के चार पांच घरों में काम कर लेगी मेरी दवा और घर का खर्चा चलता रहेगा। वैसे राधा पढ़ने में बहुत होशियार है कक्षा में हमेशा प्रथम आती है। उसके पिता जिन्दा होते तो उसे काम न करना पड़ता।
नैना ने विषैली हंसी हंसते हुए कहा- अरे ! पढ़ लिखकर तेरी लड़की कौन सी डॉक्टर, इंजीनियर,कलेक्टर बन जाएगी। दो चार घर का काम पकड़ा दे।तुम लोग तो इसी काम के लिए बने हो, ऊँचे ख्वाब मत देखो। चलो तेरी बेटी राधा को कुछ दिन काम पर रख लेतीं हूँ
(ऐसा प्रतीत हो रहा था मानों राधा को दया की भीख मिली हो ) अपनी बेबसी पर असंवेदनशील नैना के कटाक्ष राधा के दिल को चीरते गए…
दृढऩिश्चयी, बुद्धिमती राधा दसवीं, बारहवीं कक्षा में स्कूल में प्रथम रही। मेहनत रंग लाई और बिना किसी कोचिंग के NEET परीक्षा में अच्छी रेंक के साथ MBBS में प्रवेश मिला। गांव में पुश्तैनी जमीन का टुकड़ा बेचकर फीस का इंतजाम हुआ..
राधा सफल डॉक्टर बन गई। मां को घरों में काम करना बंद करा दिया। MD करने के बाद शहर के जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ और सर्जन भंडारी जी के साथ काम करने का मौका मिला। समय का चक्र घूमा,हुआ यूँ.. एक दिन अचानक नैना के पति को दिल का दौरा पड़ा…
डॉक्टरों ने तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी। डॉ भंडारी जी व्यस्त थे.. नैना असिस्टेंट डॉ राधा के सामने गिडगिडाने लगी, डॉ राधा ने डॉ भंडारी से प्रार्थना कर आपरेशन की तारीख दूसरे दिन की दिला दी। मेम साहब! ऑपरेशन सफल रहा कहते हुए डॉ राधा गैलरी में आगे बढ़ गई..
मेमसाब शब्द कुछ यादों में उतरा तो दौड़कर नैना ने डॉ राधा के पास जाना चाहा… तब तक राधा लम्बे कदमों से आगे निकल चुकी थी….चलते चलते डॉ राधा के स्मृति पटल पर अतीत घूमने लगा….वह सोचने लगी- सब कुछ भूलकर मानव सेवा करना उसका धर्म है…
अपने सामर्थ्य के मद में किसी को कमतर आंकने के बीज उसमें नहीं रोपे गए थे…
स्व रचित मौलिक रचना
सरोज माहेश्वरी पुणे ( महाराष्ट्र)
# खरी खरी सुनाना (मुहावरा प्रतियोगिता)