खानदान की इज्जत – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

पायल बेटा… तुम्हारे भाई की शादी है और तुम यह लोहा लंकड के गहने पहन कर आई हो, बेटा.. सभी के सामने हमारी और तुम्हारे ससुराल वालों की क्या इज्जत रह जाएगी?

जहां तक मुझे याद है तेरी शादी में तेरे  ससुराल से भी काफी गहने चढ़ाए थे और हमने भी तुझे काफी सारे गहने दिए थे तो वह सब सोने के गहनों की जगह तू यह नकली गहने क्यों पहन रही है?

पापा की बात सुनकर पायल बोली… पापा.. अभी मुझे गहने संभालने की आदत नहीं है, मम्मी जी ने तो बहुत कहा था कि तेरे भाई की शादी है

अगर तू सोने के गहने नहीं पहनेंगी तो हमारे खानदान की क्या इज्जत रह जाएगी? किंतु मैंने ही कहा.. की शादी का माहौल है और कोई भी गहना अगर इधर-उधर हो गया तो फिर क्या होगा?

इसलिए पापा मैंने वह गहने नहीं पहने और पापा यह भी तो देखिए न.. आर्टिफिशियल ज्वेलरी कितनी सुंदर लगती है जो सोने के गहनों को भी मात देती है! पायल की बात सुनकर पापा चुप हो गए

और अपने कामों में लग गए किंतु मम्मी पायल के  चेहरे के हाव भाव देखकर समझ गई कोई तो बात अवश्य है और उन्होंने मौका देखकर पायल से पूछा… सच-सच बता पायल…

अपने भाई की शादी में कौन लड़की इतने गहने होते हुए भी नहीं पहनेंगी? क्या तेरा मन नहीं करता की इतनी सुंदर-सुंदर डिजाइन के तेरे पास गहने हैं और उन्हें ही तू अपने भाई की शादी में नहीं पहन रही,

बेटा गहने नहीं पहनने से तेरी सुंदरता में कोई कमी नहीं आएगी किंतु दोनों खानदान की इज्जत पर दाग लग जाएगा, सब यही सोचेंगे की पता नहीं कैसे ससुराल वाले हैं

जिन्होंने सगे भाई की शादी में भी गहने पहनने को नहीं दिए, अतः मुझे सच-सच बताओ क्या बात है? मम्मी की बात सुनकर पायल को रोना आ गया और वह बोली… आप सच कह रही हो मम्मी,

मेरी भी बहुत इच्छा थी कि मैं अपने भाई की शादी में सुंदर-सुंदर गहने पहन सकू किंतु मेरी सासू मां ने मुझे वह गहने नहीं दिए, आपके कहने पर मैंने सारे गहने शादी के बाद ही मम्मी जी के पास रख दिए थे

ताकि जरूरत पड़ने पर मैं उनसे मांग सकूं और मुझे खोने का डर भी ना हो किंतु अभी 4 दिन पहले जब मैंने उनसे कहा की मम्मी जी मुझे वह गहने दे दीजिए मेरे भाई की शादी है तब वह बोली…

तुम्हें अक्ल भी है गहने संभालने की, एक रुमाल का तो तुझे होश नहीं रहता, जहां जाती है वहीं छोड़ आती है तो गहने क्या खाक संभालेगी? और तेरे पापा के खानदान की ऐसी भी कोई इज्जत नहीं है

जो अगर गहने नहीं पहनेंगी तो मिट्टी में मिल जाएगी और अगर उन्हें ज्यादा ही अपने खानदान की इज्जत प्यारी है तो और बनवा कर दे दे अपनी बेटी को, पर यह  गहने तो तुझे नहीं मिलेंगे,

और आजकल नकली गहने भी कोई कम नहीं होते और किसी को क्या पता चलेगा कि गहने असली है या नकली, इसलिए मम्मी मुझे यही गहने पहनने पढ़ रहे हैं, लेकिन पायल बेटा..

यह तो गलत बात है वह तुम्हारा स्त्री धन है जिस पर तुम्हारे अलावा किसी का कोई हक नहीं है, अभी तू चिंता मत कर अभी मेरे पास कई सारे गहने हैं तू अपने भाई की शादी में उनमें से ही कुछ पहन लेना,

वैसे भी यह उम्र तुम्हारे पहनने ओढ़ने की है मैं तो कुछ भी पहन लूंगी और पायल ने अपनी मम्मी के कुछ  गहने पहन लिए, शादी में पायल के सभी ससुराल वाले आए थे किंतु उन्हें बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही थी

कि उनकी बहू अपनी मां के गहने  पहने हुए हैं, किंतु पायल की मम्मी को तो बहुत गुस्सा आ रहा था जब पायल की सास उनसे विदा लेने लगी तो पायल की मम्मी बोली… समधन जी…

यह आपने बिल्कुल भी अच्छा नहीं किया कि आपने मेरी बेटी को अपने भाई की शादी में गहने  पहनने को भी नहीं दिए, कैसी सोच है आपकी? गहने नहीं पहनने से हमारी इज्जत में कोई कमी नहीं आई और ना ही

फिलहाल तो आपकी इज्जत में कोई कमी आने दी किंतु खानदान की इज्जत तभी शोभा देती है जहां उनकी बहुएं खुश रहती हूं उनको वह सारे अधिकार मिले जो वास्तव में उनके हैं,

आप बात बात में खानदान की इज्जत की दुहाई देती हो पर क्या आपने एक बार भी सोचा है अगर आपकी बहू इस शादी में नकली गहनों में ही घूमती उस वक्त आपके खानदान की इज्जत क्या रह जाती ?

खैर… यह आपका आपसी मामला है और मैं एक बेटी की मां हूं अतः मैं आपसे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगी किंतु अगर आपकी सास ने भी आपके साथ ऐसा ही किया होता

आपके सारे गहने यहां तक की और भी कोई कीमती सामान अपने पास रख लिया होता और आपको ना दिया होता तो उस वक्त आप कैसा महसूस करती,?पायल की सास ने तो इतना कभी सोचा ही नहीं था

किंतु आज वह सोचने को मजबूर हो गई की जो उनकी सास ने उनके साथ किया था क्या जरूरी है वह भी अपनी बहू  के साथ ऐसा ही बर्ताव करें, पहले के जमाने की बात और थी

एक बहू के गाने दूसरे बहू को चढ़ा दिए जाते थे या बेटियों को दे दिए जाते थे किंतु अब सर्वगुण संपन्न होते हुए भी उनकी सोच कैसी हो गई, नहीं…

पायल की मम्मी ने आज मेरी आंखें खोल दी, आज के बाद मैं अपनी बहू पर किसी भी तरह की कोई भी रोक-टोक नहीं लगाऊंगी और यह मेरा दृढ़ निश्चय है और मन ही मन सोच कर वह अपने घर आ गई ताकि पायल को उसकी खुशियां लौट सके!

    हेमलता गुप्ता स्वरचित 

   कहानी प्रतियोगिता खानदान की इज्जत

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