खानदान की इज्जत बेटी नहीं बेटे के हाथ में भी होती है। – अर्चना खंडेलवाल   : Moral Stories in Hindi

आज वर्मा परिवार में रौनक लगी थी, उनकी बेटी सलोनी की सगाई का समारोह था, पूरा घर फूलों से महक रहा था, सबके चेहरे खुशी से चमक रहे थे, बड़ी मुश्किलों से सलोनी का रिश्ता हुआ था।

 शशि जी अपनी पोती की बलाइयां ले रही थी, और बीना जी अपनी बेटी की नजर उतार रही थी, जब सलोनी तैयार होकर आई तो सबकी नजरें उस पर ही टिक गई थी, सलोनी की भाभी ने उसे लाकर चौकी पर बिठा दिया।

थोड़ी देर बाद भावी दूल्हा रितेश भी चौकी पर आकर बैठा, दोनों परिवारों ने आपसी सहमति से एक साथ ही सगाई का कार्यक्रम रखा था, एक तरफ सलोनी जहां पर महक रही थी, वहीं दूसरी तरफ रितेश के बैठते ही आस-पास के लोग नाक -मुंह सिकोड़ने लगे, सलोनी भी ये सब बर्दाश्त नहीं कर पाई, और चौकी से तुरंत उठ गई, रितेश शराब के नशे में धुत था, और

बदहवास था।

“मै ये शादी नहीं कर सकती” सलोनी ने एकदम से अपना फैसला सुनाया, ये सुनकर सभी सकते में आ गये।

“ये क्या कह रही है?  तेरा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है? खानदान की इज्जत तेरे हाथ में है, तू ये रिश्ता ठुकरा देगी तो लोग बातें बनायेंगे, सब मेहमान और रिश्तेदार यही पर है, शशि जी ने अपनी पोती को आंखें दिखाते हुए कहा।

लेकिन दादी, मै एक शराबी से शादी नहीं कर सकती हूं, मेरी जिंदगी नरक बन जायेगी, मै सुखी नहीं रह पाऊंगी।

इतना पैसे वाला घर है, इतना बड़ा घर है, इतने नौकर-चाकर गाडियां है, और क्या चाहिए? ये तुझे अभी पता चला है, शादी के बाद पता चलता तो तू क्या तलाक दे देती? शशि जी ने फिर गुस्से में कहा।

हां, मै तलाक दे देती, मै ये सगाई और शादी किसी भी कीमत पर नहीं करूंगी, सलोनी ने तटस्थता से कहा।

अरे!! कोई समझाओ इस लड़की को, पढ़-लिखकर इसका दिमाग खराब हो गया है, ये तो खानदान की इज्जत मिट्टी में मिला देगी, आगे होकर सगाई के लिए मना कर रही है, तो कोई दूसरा रिश्ता भी नहीं आयेगा, सारी उम्र घर पर ही बैठी रहेगी क्या? शशि जी ने अब तेज आवाज में कहा।

दादी, झूठी खानदान की इज्जत के लिए मै अपने जीवन की बलि नहीं दूंगी, और खानदान की इज्जत का ठेका मैंने ही ले रखा है क्या? दो साल पहले भैया ने भी तो अपनी सगाई तोड़कर भाभी से भागकर शादी की थी, तब आप लोगों ने कोई बवाल नहीं मचाया, फिर अब सब लोग मेरे पीछे क्यूं लगे है?

मै इस शराबी से तो कतई शादी नहीं करूंगी।

अपनी पोती की बात सुनकर शशि जी अपनी बहू से बोली,

 बीना, समझा अपनी बेटी को, इस तरह से रिश्ता ठुकरा रही है, जरा भी शर्म नहीं है, वो तो बेटा है, कोई बात नहीं, कुछ भी कर सकता है, उससे तो खानदान की इज्जत खराब नहीं होती है, पर बेटी तो दोनों घरों की लाज होती है, वो बेटी बनकर भी खानदान की इज्जत संभालती है और बहू बनकर भी खानदान की इज्जत को बनाये रखना उसका कर्तव्य होता है, शशि जी अपनी बहू से बोली तो बीना जी भी बोल पड़ी।

मां जी, मेरी बेटी सही कर रही है, इस शराबी के साथ भेजने से अच्छा है, मै इसे जीवन भर अपने पास रख लूंगी, लडका कम पैसे वाला हो, घर चाहे छोटा हो, नौकर-चाकर नहीं हो, पर अच्छे चरित्र का होना चाहिए, अभी तो शराब का पता चला है, क्या पता और भी बुरी आदतें हो, जुआरी हो या किसी से अवैध संबंध भी रखता हो, जो इंसान अपनी सगाई में ही होश में नहीं है, वो जीवन भर मेरी बेटी का क्या ख्याल रखेगा? मुझे भी ये रिश्ता मंजूर नहीं है।

वहां का माहौल देखकर दूर के रिश्तेदार और मेहमान आपस में बातें बनाने लगे।

“रितेश, चलो यहां से ये लड़की तो बड़ी मुंहफट है, ये तेरे लायक नहीं है, हमारे घर में क्या कमी है, खूब लड़कियां मिलेगी, इस लड़की के भाग्य ही फूटे है, वरना ये इतने अच्छे घर-बार के लिए मना नहीं करती, रितेश की मां भी अधीर होकर तेज स्वर में बोली।

‘माफ करना आंटी जी, जीवन अच्छा चले, उसके लिए अच्छा घर-बार हो ना हो, अच्छे चरित्र वाला और गुणी लडका होना चाहिए, आपके भी बेटी है, आप क्या जानते बूझते अपनी बेटी की शादी एक शराबी से कर देगी ? माना आपके घर में कुछ कमी नहीं है, पर मुझे शादी लड़के से करनी है, घर, गाड़ी, नौकर-चाकर से नहीं, सलोनी ने फिर से कहा।

हां, बहन जी मेरी बेटी एक अच्छे लड़के से शादी करेगी, मै उसे कुछ साल और घर में रख लूंगा, पर जानते बूझते ऐसे घर में नहीं ब्याह करूंगा, जहां वो दुखी और परेशान रहें, आप अपने बेटे को और अपना सगाई का सारा सामान लेकर जा सकते हैं, सलोनी के पापा ने जब ये कहा तो रितेश के मम्मी -पापा भड़क गये।

भाई साहब हम ये बेइज्जती कभी नहीं भुलेंगे, आज आपकी बेटी ने दोनों खानदान की इज्जत मिट्टी में मिला दी, वो चाहती तो चुपचाप सगाई करके दोनों खानदान की इज्जत बचा सकती थी, आपकी बेटी किसी घर की बहू बनने के लायक नहीं है, ऐसी लड़की से कौन शादी करेगा ??

ये सुनकर सलोनी के पापा ने भी सुना दिया, खानदान की इज्जत रखना सिर्फ बेटी और बहू की ही जिम्मेदारी नहीं है, बेटा भी इसके लिए जिम्मेदार होता है, मेरी बेटी तो पूरी सज-धजकर तैयार थी, वो तो हमारे कहने से सगाई कर ही रही थी, पर आपके बेटे ने क्या किया? सगाई करने के लिए ही नशे में धुत होकर आया है,

उसे भी तो अपने परिवार की इज्जत का कुछ तो ख्याल रखना चाहिए था, आज उसकी बुरी आदतों की वजह से ये सगाई नहीं हो पाई, आप इसके लिए मेरी बेटी को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं,।’

मेरी बेटी चुपचाप सब क्यों सह लेती ? वो भी इंसान हैं, बेटी है इसका मतलब ये नहीं है कि सब सहन करें और अपनी जिंदगी बर्बाद कर लें।

ये सुनकर रितेश के परिवार वाले, उसे और अपना सामान लेकर वहां से चले गए।

अपने माता-पिता का सहयोग मिला तो सलोनी ने शराबी लड़के से शादी करने से इन्कार कर दिया और अच्छे लड़के का इंतजार करने लगी। सलोनी की सगाई टूटने की और इस हिम्मत की खबर समाचार पत्र में प्रकाशित हुई, लोगों के फोन आने लगे, आस-पड़ोस रिश्तेदार सब बातें बनाने लगे, पर वो लोग अपने फैसले पर कायम रहें।

कुछ समय बाद एक अच्छे घर से रिश्ता आया, लड़के की नौकरी थी, और वो लोग मध्यम वर्गीय ही थे, लड़के के दो बहन थी, घर परिवार और लडका बड़ा ही संस्कारी था, सलोनी ने पहले लड़के से बात की, अपने पिछले रिश्ते की सच्चाई भी साफ-साफ बता दी, तब जाकर के रिश्ता पक्का हुआ और धूमधाम से दोनों की शादी हो गई।

धन्यवाद 

लेखिका 

अर्चना खंडेलवाल

मौलिक अप्रकाशित रचना

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