क्या ऐसे भी अपने होते हैं? – प्रेम बजाज

अंकल सिमी को बेहद प्यार करते थे। उनके बाल एकदम सन की तरह सफेद और चमकीले थे। सिमी ने फ्रायड की सारी की सारी पुस्तकें तो पढ़ डाली थी, कभी फ्रायड की तस्वीर नहीं देखी।  पर पता नहीं अंकल को देखने से फ्रायड क्यों याद आ जाते थे। सोचती थी सिमी शायद फ्रायड की शक्ल अंकल की शक्ल से जरूर मिलती रही होगी

और शायद फ्रायड और अंकल में महज थ्योरी और प्रैक्टिस का ही फर्क रहा होगा। सिमी भी अंकल को बहुत प्यार करती थी, बहुत इज्जत देती थी उन्हें।  बचपन से ही उनके पास रही थी पर आज ऐसा क्या हो गया कि जिंदगी में पहली बार किसी पर उसे इतना गुस्सा आया था। झटके से कमरे का दरवाजा खोल

बाहर छत पर आ गई और धड़धड़ाती हुई सीढ़िया तय करती हुई समूचे मकान में अंकल को ढूंढती एक कमरे के सामने आकर जड़ हो गई। एकदम संज्ञासून्य, दो पल्लों के बीच की दरार से दिखती अंदर की सारी हरकतों ने उसे बेआवाज कर दिया। हाथ कांपने लगा रिवाल्वर हाथ से जमीन पर गिर पड़ा…….

सिम्मी ने देखा एक औरत अंकल पर पिस्तौल ताने कुछ कह रही थी। सिम्मी ने ध्यान से सुनने की और उस औरत का चेहरा देखने की कोशिश की। जैसे ही वो औरत बोलते-बोलते कमरे में इधर से उधर टहल रही थी, तो सिमी को उसका चेहरा नज़र आया।

ये क्या ?

देखकर सिमी के होश उड़ गए, ये तो सिमी की मां थी, जो अंकल से कह रही थी,” तुमने अभी तक सिमी का काम तमाम क्यों नहीं किया, मैंने तुम्हें कहा भी था, कि अगर तुमने सिमी का काम तमाम नहीं किया तो मैं तेरा काम तमाम कर दूंगी, लेकिन तुझे समझ ही नहीं आया, लगता है अब ये घोड़ा दबाना ही पड़ेगा”



अंकल,” आप मेरी भाभी हैं, और भाभी मां समान होती है, मां के हाथों मर कर तो स्वर्ग ही मिलेगा, आप मुझे मार दिजिए। लेकिन मैं अपने खून को नहीं मार सकता। मैंने एक बार नौकर से कह कर उसे दूध में ज़हर देने की कोशिश भी की मगर मेरा मन नहीं माना तो मैंने जानबूझ कर उससे टकराकर वो दूध गिरा दिया। इत्तेफाक से वो दूध हमारा कुत्ता पी गया और वो मर गया।

 एक बार गाड़ी की ब्रेक भी फेल कर दी, लेकिन फिर भी मन ने गवाही ना दी। और मैं खुद वो गाड़ी चलाकर उसके साथ गया। ताकि अगर मौत आए तो दोनों को ही आए।

उसे मारकर तो मैं भी कहां जी पाऊंगा। जिसके लिए मैंने सारा जीवन तपस्या की, इसलिए शादी नहीं की, कि कहीं मेरी पत्नी सिमी को मां का प्यार ना दे पाए और मेरे कारण मेरी भतीजी का जीवन खराब ना हो। जिसे एक मां ना पाल सकी, उसे चाची क्या पालेगी”

“चुप, हरामी , आया बड़ा खून वाला, मुझे सुनाता है, हां नहीं पाला मैंने उसे, हां मारना चाहती हूं मैं उसको।

मैंने क्या उसे‌ पालने के लिए उसके बाप से शादी की थी? मुझे तो उसके बाप की दौलत चाहिए थी। इसलिए तो जब सिमी पैदा हुई, उसी समय उसकी मां को भी मार दिया। 

क्योंकि मैं सिमी की मां अनीता की सबसे अच्छी सहेली थी।  मैं राज से प्यार करती थी और राज अनीता से। उसने मुझे छोड़कर अनीता को चुना, तभी से मैंने ठान लिया था कि मैं राज और अनीता को कभी सुखी नहीं रहने दूंगी।

 इसलिए मैंने इन दोनों के साथ प्रेम का रिश्ता बनाए रखा। जब सिमी पैदा हुई तो अस्पताल के वार्ड ब्वाय  को पैसा खिला कर अनीता का आक्सीजन बंद करवा कर मरवा दिया।

 फिर सिमी की देखभाल के बहाने राज के करीब आई और उसे शादी के लिए प्रपोज़ किया। राज को सिमी के लिए शादी करनी पड़ी। मैंने सिमी को दो बार मारने की कोशिश की, सिमी नहीं मरी मगर राज को शक हो गया, तो मैंने उसे भी ठिकाने लगा दिया।

 सोचा था अब तो मैं अकेली हूं कोई आगे-पीछे नहीं है। जल्द ही सिमी को ठिकाने लगा दूंगी और फिर सारी दौलत मेरी।


लेकिन अचानक ना जाने कहां से तुम इसके चाचा टपक पड़े। और तुम होशियार बहुत थे, मुझे पहली नजर में परख लिया, इसलिए मुझे झूठमूठ का अपने एक्सीडेंट द्वारा मृत्यु का नाटक करना पड़ा।

क्योंकि मैं जान गई थी कि राज की वसीयत के मुताबिक सिमी जब तक 18 साल की नहीं होती उसकी जायदाद एक ट्रस्ट संभालेंगी, अगर इससे पहले सिमी को कुछ हो जाता है तो सारी जायदाद अनाथालय में जाएगी।

और मैंने अब अनाथालय वालो‌ से कान्ट्रेक्ट किया है कि जब प्रोपर्टी उनको मिलेगी, वो लोग अपना हिस्सा रख कर‌ बाकी सारी जायदाद मुझे सौंप देंगे।

यह सब सुनकर सिमी के पैरों तले जैसे ज़मीन ही ना रही हो। जो सिमी थोड़ी देर पहले अंकल को अपनी जान का दुश्मन समझ रही थी वो उसके रक्षक निकले। दरअसल थोड़ी देर पहले ही सिमी ने अपने वफादार रामु काका से बात की थी,” रामु काका मुझे ऐसा क्यों लगा कि कोई मुझे मारना चाहता है”

“हां बिटिया, मुझे भी ऐसा ही शक हो रहा है, उस दिन वो दूध अगर तुमने पिया होता तो…. और वो कार की ब्रेक का खराब होना, ये सब इत्तेफाक नहीं हो सकते” ऐसा कहते रामु काका की आंखों में आंसू आ गए।

” लेकिन काका कौन‌ हो सकता है? किसी को भला मुझे मार कर क्या मिलेगा”?

” तुम नहीं जानती बिटिया, बड़े साहब अरबों की दौलत छोड़ गए हैं, और तुम्हारे खानदान में तुम्हारे और ये छोटे साहब के अलावा कोई और है ही नहीं” 

सिमी का तभी माथा ठनका कि अंकल ही दौलत के लालच में मुझे मारना चाहते हैं, लेकिन यहां तो हकीकत ही कुछ और थी।

क्या ऐसे भी अपने होते हैं? सिमी मां को देख रही सोच रही थी।

प्रेम बजाज ©®

जगाधरी ( यमुनानगर)

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