काव्या – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi
Post View 3,157 कव्या अपने पापा के गले लगकर रोये जा रही थी। पापा मैं बहुत बुरी हूं। मैंने आपकी बात नहीं मानी। पापा मैं उसकी बातों से ऐसी सम्मोहित हो गई थी कि किसी की बात सही नहीं लगती थी। केवल वही सही लगता था उसकी बात अच्छी लगती थी। तभी हो अपने मुंह … Continue reading काव्या – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi
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