काव्या – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi
Post Views: 11 कव्या अपने पापा के गले लगकर रोये जा रही थी। पापा मैं बहुत बुरी हूं। मैंने आपकी बात नहीं मानी। पापा मैं उसकी बातों से ऐसी सम्मोहित हो गई थी कि किसी की बात सही नहीं लगती थी। केवल वही सही लगता था उसकी बात अच्छी लगती थी। तभी हो अपने मुंह … Continue reading काव्या – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi
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