दिल पर पत्थर रख,बेटी को विदा कर वह पलटी ही थी कि ना जाने कहाँ से एक बच्ची आई और कागज़ का पुर्चा पकड़ाकर बिजली की जैसी फुर्ती से गायब भी हो गई। उसने जल्दी से पुर्चा खोलकर देखा। उसमें चंद लाइन लिखी थीं..”आपने एक अनजान बच्ची को सहारा देकर उसका जीवन संवार दिया,,,मरते दम … Continue reading कर्ज़दार – कल्पना मिश्रा
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