करमजली – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi
Post Views: 252 काम पर जाते हुए करुणा जैसे ही गली के मुहाने पर सखाराम हलवाई की दुकान के सामने से निकली, उसके कानों तक फुसफुसाता हुआ एक स्वर पहुंचा, “-लो..निकल पड़ी करमजली! लोक लाज को तो घोल कर पी गई है..” वह स्वर से ही पहचान गई कि ये सखाराम की पत्नी केतकी का … Continue reading करमजली – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi
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