“मां आपको निर्णय लेना ही होगा मैं आपके कारण अपने घर में और कलह बर्दाश्त नहीं कर सकता” दिनेश ने गम्भीर लहज़े में अपनी मां पुष्पा से कहा
” बेटा मैं क्या निर्णय लूं मैंने तो तुम्हें ही अपनी दुनिया मान लिया था तुम्हारे लिए मैंने क्या कुछ नहीं किया, झूठ फरेब, धोखाधड़ी सब किया तुम्हारे कहने पर मैंने तुम्हारे पापा को इतना मजबूर कर दिया की उन्होंने अपनी पूरी जायदाद तुम्हारे नाम कर दी मैंने तुम्हारे सौतेले भाई का हक़ भी उसे नहीं दिया जबकि वो मुझे अपनी सगी मां की तरह सम्मान देता था ” पुष्पा ने दुखी होकर कहा
” तो आप मोहन के पास ही चली जाइए आपको किसने रोका है” पुष्पा की बहू रमा ने तमक कर कहा
पुष्पा ने अपनी बहू की बातों पर ध्यान ही नहीं दिया वो बोलती ही रहीं”मैंने उस पर चोरी का इल्ज़ाम लगाकर घर से बाहर निकलवा दिया । तुम्हारे पापा आंख बंद करके मुझ पर विश्वास करते थे जब मैंने उनसे कहा की आपके बेटे मोहन ने मेरे गहने चुराए हैं तो उन्होंने मेरी बात पर विश्वास कर लिया जबकि गहने मोहन की अलमारी में मैंने ही रखा था तुम्हारे पापा ने उसी दिन मोहन को घर के बाहर निकाल दिया कुछ दिनों तक वह मोहन को पैसे देते रहे पर जब मैंने उन्हें ऐसा करने से मना किया तो उन्होंने मोहन को खर्चा देना भी बंद कर दिया
मोहन की पढ़ाई छूट गई वह लोगों के घरों में माली का काम करने लगा उसे फार्मिंग का बहुत शौक था। मैंने तेरे रास्ते से मोहन को हमेशा के लिए हटा दिया मेरे गहने तुमने चुराए थे जबकि तुम्हारे पापा की नज़रों में मैंने चोर मोहन को साबित कर दिया और सारी प्रापर्टी उनसे कहकर मैंने तुम्हारे नाम करवा लिया आज तुम मुझसे कह रहे हो की मैं इस घर से निकल जाऊं बेटा मैं कहां जाऊंगी इस घर के अलावा मेरे पास सिर छुपाने की कोई जगह नहीं है” पुष्पा ने रोते हुए कहा
” आप कहीं भी जाएं मुझ कोई मतलब नहीं है अब मैं आपको अपने घर में नहीं रख सकती कल मेरी मां यहां आ रही है वह आपके कमरे में रहेगी इसलिए आपको अपना कमरा खाली करना पड़ेगा हां हम आपके साथ इतना जरूर कर सकते हैं आप नौकर के क्वार्टर में रह सकती हैं लेकिन बदले में आपको घर का काम करना होगा आपके लिए मुझे भोला को नौकरी से निकालना पड़ेगा तभी उसका कमरा खाली होगा अगर भोला यहां से चला जाएगा तो घर का काम कौन करेगा मैं तो करूंगी नहीं अगर आपको यहां रहना है
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तो सर्वेंट क्वार्टर में रहिए और घर का काम कीजिए हम दो वक्त की रोटी आपको दे देंगे अब फैसला आपके हाथ में है सोच लीजिए रात भर का समय आपके पास है सुबह या तो आपको घर छोड़ना होगा या भोला को ” इतना कहकर पुष्पा जी की बहू रमा दिनेश को लेकर वहां से चली गई।
अपने बेटे और बहू की बात सुनकर पुष्पा जी स्तब्ध रह गई उनकी आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा वह दीवाल पकड़कर वहीं जमीन पर बैठ गई उसकी आंखों के आगे अपने किए गए गुनाह एक एक कर आने लगे जब वह ब्याह कर इस घर में आई थी तो मोहन तीन साल का था उसके पति राकेश ने मोहन को पुष्पा की गोद में डालते हुए कहा था ,”पुष्पा आज से तुम मोहन की मां हो”
अपने पति के सामने तो पुष्पा ने बहुत प्यार से मोहन को अपने सीने से लगा लिया और मुस्कुराते हुए कहा “अब आज से मोहन की सारी जिम्मेदारी मेरी है मैं मोहन को सगी मां का प्यार दूंगी इसके लिए कभी कभी मुझे मोहन के साथ सख्ती भी करनी पड़ेगी जिससे वह गलत राह पर न जाएं इसलिए आज के बाद आप मोहन के विषय में कुछ नहीं बोलेंगे मैं उसकी सभी जरूरतों का ध्यान रखूंगी वह मां के प्यार के लिए तरसता रहा है अब मैं उसे मां का भरपूर प्यार दूंगी”।
पुष्पा की बातों में आकर उसके पति ने मोहन की तरफ़ ध्यान देना ही छोड़ दिया वैसे भी जब मां दूसरी होती है तो बाप तीसरा हो जाता है पुष्पा ने अपने शारीरिक आकर्षण में अपने पति को ऐसा फंसाया की वह जो भी कहती उसके पति उसी बात को सच समझते पुष्पा अपने पति के सामने मोहन को बहुत प्यार करती लेकिन जब उसके पति घर पर नहीं होते तो मोहन पर अत्याचार करती उसके पति ज्यादातर टूर पर रहते थे जब घर आते तो मोहन उनसे अपनी सौतेली मां के बारे में कुछ कहना चाहता तो वह उसे झिड़क देते
और अपनी पत्नी की बाहों में खो जाते पत्नी से मिलने वाले शारीरिक सुख के आगे उन्हें कुछ दिखाई न देता इसी बीच पुष्पा ने दिनेश को जन्म दिया अब तो वह खुलकर मोहन पर अत्याचार करती देखते देखते 12 साल का समय बीत गया अब पुष्पा की आंख में मोहन किरकिरी की तरह गड़ने लगा फिर एक दिन पुष्पा ने मोहन पर अपने गहनों के चोरी का इल्ज़ाम लगाकर सर्वेंट क्वार्टर में पहुंचा दिया और कुछ दिनों बाद उसे वहां से भी निकाल दिया। मोहन के घर से जाने के बाद भी पुष्पा को डर था कहीं उसके पति अपने घर, ज़मीन,
जायदाद में मोहन को हिस्सा न दे दें, ये सोच पुष्पा ने अपने पति से कहकर सारी जायदाद अपने बेटे दिनेश के नाम करवा दी पुष्पा के पति उस के प्यार में इतने अंधे थे कि, उन्होंने अपने बड़े बेटे मोहन के बारे में एक बार भी नहीं सोचा। घर से निकाले जाने के बाद किसी ने मोहन की खोज खबर नहीं ली मां तो सौतेली थी पर अब बाप भी सौतेला हो गया था पुष्पा को दूसरे लोगों से पता चलता रहा की मोहन लोगों के घरों में माली का काम करता है और घरों में अखबार देता है मोहन की दुर्दशा सुनकर पुष्पा खुश होती रही।
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समय अपनी गति से आगे बढ़ता रहा एक दिन दिनेश अपनी मां पर बुरी तरह चिल्ला रहा था तब पुष्पा ने उसे एक थप्पड़ जड़ दिया,थप्पड़ खाकर दिनेश गुस्से से पागल हो गया उसने अपनी मां पुष्पा का हाथ मरोड़कर गुस्से में दांत पीसते हुए कहा,” मां आज तो आपने मुझ पर हाथ उठा दिया आगे से ऐसी ग़लती कभी न कीजियेगा मैं मोहन नहीं हूं तो आपके अत्याचारों को सहकर आपका सम्मान करूंगा आपने मोहन पर झूठा चोरी का इल्ज़ाम लगाकर घर से बाहर निकाल दिया जबकि चोरी मोहन ने नहीं मैंने की थी ये बात आप जानती थीं
जबकि आपने पापा से कहा चोरी मोहन ने की है पापा ने बिना कुछ जाने समझे मोहन को घर से निकाल दिया वो आप पर अंध विश्वास करते हैं पापा समझते हैं की आप उनसे प्यार करतीं हैं जबकि आप पापा से नहीं उनकी दौलत से प्यार करतीं हैं पर अब दौलत मेरे नाम है इसलिए आज के बाद मुझसे ऊंची आवाज़ में बात न कीजियेगा वरना आप के हक़ में अच्छा नहीं होगा ” इतना कहकर दिनेश वहां से चला गया पुष्पा अपने बेटे की बात सुनकर पहले तो स्तब्ध रह गई फिर उसने सोचा दिनेश ने आज शराब पी रखी है इसलिए उसने मेरा अपमान किया है जब नशा उतर जाएगा तो वो मेरे पास आकर मुझसे माफ़ी मांगेगा
उस दिन राकेश ने दिनेश की बातें सुन लीं वे आज खुद से नजरें नहीं मिला पा रहे थे उन्हें मोहन के साथ किए गए अत्याचार याद आने लगे इस बात का उन्हें इतना बड़ा सदमा लगा की उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया राकेश ने मोहन को ढूंढने की भी कोशिश की पर मोहन की कोई खबर नहीं मिली कुछ दिनों बाद ही पुष्पा के पति की मौत हो गई पुष्पा को अपने पति की मौत का कोई गम नहीं था।
उन्होंने तो शादी ही पैसों के लिए की थी मरने से पहले पति ने सारी धन दौलत उनके बेटे के नाम कर दिया था। पुष्पा अपने बेटे के साथ बहुत खुश थी इसी बीच दिनेश ने अपनी पसंद की लड़की से शादी कर ली पत्नी के आते ही दिनेश का व्यवहार अपनी मां के प्रति पूरी तरह बदल गया घर, ज़मीन, जायदाद सब पहले ही उसके नाम था अब वह बात बात पर अपनी मां पुष्पा को अपमानित करता पुष्पा की बहू भी उनका अपमान करती वह सब बर्दाश्त कर रहीं थीं
पर आज बहू बेटे ने उन्हें घर से निकल जाने के लिए कहा यह सुनकर उन्हें अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ आज उनका पाप उन्हें ही मुंह चिढ़ा रहा था जो उन्होंने मोहन के साथ किया वही आज उनका बेटा उनके साथ कर रहा था। पुष्पा जी अपने गुनाहों को याद कर फूट फूटकर रो पड़ी कब उसकी आंख लग गई उन्हें पता ही नहीं चला सुबह जब उनकी नींद खुली तो दिन चढ़ आया था वह जब कमरे से बाहर आई तो देखा बहू बेटे चाय पी रहे थे उन्हें देखकर दोनों ने अनदेखा कर दिया वह भी एक कुर्सी पर बैठ गई तभी उनकी बहू ने मुंह बनाकर कहा , “मां जी आपने क्या फैसला किया आप सर्वेंट क्वार्टर में रहेंगी या घर छोड़कर जाएगी?”
” बहू मैं अब इस बुढ़ापे में कहां जाऊंगी तुम लोग जहां कहोगे वहीं रह लूंगी ” इतना कहकर वह चुप हो गई
” तब ठीक है मां जी मैं आज ही भोला को नौकरी से निकाल देती हूं अब घर का सारा काम आपको करना होगा हम आपको मुफ्त में खाना नहीं खिला सकते अब यहां क्यों बैठी हैं रसोई में जाइए नाश्ता और खाना बनाना है पहले हम दोनों के लिए चाय बनाकर दे जाइए उसके बाद दूसरा काम शुरू कीजिए ” पुष्पा जी की बहू रमा ने कहा
“पुष्पा जी ने आशा भरी नजरों से अपने बेटे की ओर देखा लेकिन उसने अपनी नज़रें फेर ली जैसे वह कह रहा हो जो मेरी पत्नी कह रही है वही आपको करना है देखते ही देखते पुष्पा जी अपने ही घर में नौकरानी बनकर रह गई दिन भर वह कोल्हू के बैल की तरह घर के कामों में लगी रहतीं तब उन्हें दो वक्त का खाना नसीब होता आस पड़ोस के लोगों को भी उनकी ऐसी हालत देखकर दुःख नहीं होता था ।
क्योंकि उन्होंने पुष्पा जी को मोहन पर अत्याचार करते हुए देखा था सभी पुष्पा की हालत देखकर एक दूसरे से कहते जो जैसा करता है उसे वैसा ही भोगना पड़ता है जो अत्याचार उन्होंने मोहन के साथ किया वही अब उनका बेटा उनके साथ कर रहा है।
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दिन बीतते रहे अब पुष्पा जी बीमार रहने लगी थी उनसे ज्यादा काम नहीं होता था एक दिन उन्हें बुखार था कमजोरी के कारण उन्हें चक्कर आया और वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी उनके बेटे बहू ने उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया और डाक्टर से कहा की यह मेरे घर की नौकरानी है उसके बाद वह कभी पलटकर उन्हें देखने नहीं गए। पुष्पा जी का बुखार अब ठीक हो गया था उन्होंने नर्स से पूछा ,”अब मुझे कितने दिन यहां रहना होगा मैं घर जाना चाहतीं हूं” तब नर्स से बताया
“हम लोग आपको यहां से डिस्चार्ज करना चाहते हैं लेकिन आप कहां जाएंगी आपका तो कोई है नहीं जो लोग आपको यहां भर्ती करवा गए थे उन्होंने कहा था की आप उनके घर की नौकरानी हैं अब वह लोग आपको अपने घर में नहीं रखेंगे इसलिए हमें आपको किसी वृद्धाश्रम में भेजना होगा कल यहां अस्पताल में नये डाक्टर साहब आए हैं आज वह अभी राउंड पर आएंगे तब मैं उनसे आपको डिस्चार्ज करने की बात करूंगी ” नर्स की बात सुनकर पुष्पा जी के चेहरे पर दर्द की लकीरें खींच गई
उनके बेटे बहू ने उन्हें घर की नौकरानी बना दिया अब वह लोग उसे लेने नहीं आएंगे पुष्पा जी यही सोच रही थीं की नर्स के साथ डाक्टर राउंड पर आ गए डाक्टर को देखकर पुष्पा चौंक गई क्योंकि वह डाक्टर कोई और नहीं उनका सौतेला बेटा मोहन था मोहन भी पुष्पा जी को देखकर चौंक गया पर उसने कहा कुछ नहीं तभी नर्स ने मोहन से कहा “डाक्टर साहब इन माता जी का क्या किया जाए अब यह ठीक हो गई हैं हम इन्हें ज्यादा दिनों तक अस्पताल में नहीं रख सकते हमें इन्हें किसी वृद्धाश्रम भेजना होगा”
“क्यों क्या इनका कोई नहीं है ? ” मोहन ने चौंककर पूछा “नहीं डाक्टर साहब एक औरत आदमी इन्हें यहां भर्ती कराने आए थे उन्होंने इन्हें अपने घर की नौकरानी बताया और कहा अब वह इन्हें अपने घर में नहीं रखेंगे ” नर्स ने बताया
पुष्पा जी मोहन से नज़रें नहीं मिला पा रही थीं उनकी आंखों में आसूं और चेहरे पर दर्द ही दर्द था जिसे देखकर मोहन को उनकी स्थिति का अंदाजा लग चुका था।
” मां जी क्या आपका अपना कोई नहीं है जिसके पास आप जा सकें?” नर्स से पूछा
” सभी हैं बिटिया पर आज मेरे गुनाहों ने मुझे बिल्कुल अकेला कर दिया इंसान अपनों के प्यार में इतना अंधा हो जाता है की वह दूसरे का हक़ छिन कर खुश होता है पर जिनके लिए वह यह पाप करता है वही अपने एक दिन उसे अकेला छोड़ देते हैं जब हम अपने बच्चों को दूसरे का हक़ छिनने की शिक्षा देंगे तो आगे चलकर वही बच्चे उसके साथ भी वही करेंगे जैसा मेरे साथ मेरे बेटे बहू कर रहे हैं मैं अपने ही गुनाहों की सज़ा भुगत रही हूं आप लोग मुझे वृद्धाश्रम भेज दीजिए वही मेरी असली जगह है” इतना कहकर पुष्पा जी रोने लगी।
” नर्स इन्हें वृद्धाश्रम भेजने की जरूरत नहीं है मैं इन्हें अपने घर लेकर जाऊंगा जब बेटा जिंदा हो तो मां वृद्धाश्रम में नहीं रहती ” मोहन ने गम्भीर लहज़े में कहा मोहन की बात सुनकर नर्स आश्चर्य से डाक्टर मोहन को देखने लगी, पुष्पा जी का चेहरा शर्मिंदगी से झुक गया जबकि दूसरी तरफ मोहन के चेहरे पर अपनी सौतेली मां के लिए सम्मान दिखाई दे रहा था।
” मोहन तुम मुझ जैसी दुष्ट सौतेली मां को अपने साथ क्यों ले जाना चाहते हो मैंने तो कभी भी तुम्हें चैन से जीने नहीं दिया मेरी वजह से तुम घर से बेघर हो गए उसके बावजूद तुम्हारे मन में मेरे लिए अपनापन और सम्मान है मैं इस सम्मान के काबिल नहीं हूं मुझे तुम मेरे हाल पर छोड़ दो ” पुष्पा जी हाथ जोड़कर रोते हुए कहा
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” मां जी मैं आप पर कोई अहसान नहीं कर रहा हूं मैं आज इस मुकाम पर आप के कारण ही हूं अगर आपने मुझे घर से ना निकाला होता तो मेरा स्वाभिमान मेरा ज़मीर कभी नहीं जागता आप से अपमानित होने के बाद मैंने ठान लिया की मैं अब अपनी मेहनत से ऐसा मुकाम हासिल करूंगा की लोग मुझे सम्मान देंगे
आज मेरे पास सब कुछ है धन-दौलत,मान-सम्मान ये चीजें मुझे आपके कारण हासिल हुई हैं इस तरह मैं आपका कर्जदार हुआ मैं किसी का कर्ज अपने ऊपर नहीं रखना चाहता इसलिए मैं आप पर कोई अहसान नहीं कर रहा हूं मां बेटा सगा हो या सौतेला वो हमेशा मां का कर्जदार ही रहता है वैसे भी मां कभी-कभी टूटते रिश्ते भी जुड़ने लगते हैं जैसे आज एक टूटा रिश्ता फिर से जुड़ रहा है नर्स मांजी को मेरी गाड़ी तक पहुंचा दीजिए” मोहन ने मुस्कुराते हुए कहा इतना कहकर मोहन वार्ड से बाहर निकल गया
पुष्पा जी आश्चर्यचकित होकर मोहन को जाते हुए देखतीं रहीं उनकी आंखों में पश्चाताप के आंसू साफ दिखाई दे रहे थे मोहन की बात सच थी आज एक टूटा रिश्ता फिर से जुड़ गया था वो भी पूरी तरह दिल से।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश
18/2/2025
#टूटते रिश्ते जुड़ने लगे