कल अष्टमी है कोमल सारी तैयारी हो गयी तुम्हारी? मार्किट जा रहा हु कुछ रह गया हो तो बता दो।अमित ने गाड़ी की चाबी लेते हुए कोमल से पूछा।
हाँ सब हो गया।कोमल ने संक्षिप्त सा उत्तर देते हुए कहा।
कन्या पूजन का क्या करोगी?मुझे नही लगता मिसेज़ ऑबराय अपनी बेटियों को भेजेंगी।
कोमल ने अमित को सब्र रखने वाले अंदाज़ में देखते हुए कहा”माता रानी सब इंतज़ाम कर देंगी।”
अमित के जाने के बाद कोमल की आँखो के सामने पिछली बार का कन्यापूजनचलचित्र की तरह घूम गया।साउथ दिल्ली के पॉश कहे जाने वाले इलाक़े मेंवो पिछले साल ही शिफ़्ट हो कर आयी थी।उसे लगताजब तक अपने हाथों सेकन्याओ के पाँव ना पूजे प्रसाद ना खिलाए तब तक सब कुछ अधूरा सा लगता।
लेकिन यहाँ रहते वो इतना तो समझ आ गया था बड़ी कोठियों वाले दिल से बहुत छोटेऔर घमंडी है शायद बच्चों को घर भेजने को राज़ी ना हो।
फिर भी उसने हिम्मत करके साथ वाली मिसेज़ ओबरय जिनकी दो जुड़वाँ बेटियाँ थी अपने घर आने के लिए राज़ी कर लिया।
सुबह दोनो परी सी सजी बग़ल में अपने जितना सॉफ़्ट टॉय दबाए मेड़ के साथ आ गयी।कोमल ने दोनो को प्यार से गोद में लेते हुए सोफ़े पर बिठाना चाहा जहाँ पहले से ही मधु कोमल की मेड की बेटी ननकी थी। मिसेज़ ऑबराय की मेड कोमल से पूछने लगी”मैडम क्या ये भी बेबी लोग के साथ…..कोमल कुछ जवाब देती उससे पहले हीननकी अपनी बड़ी बड़ीआँखो को गोल गोल घुमाते हुए सोफ़े से उतर गयी।जो बोलना भी नही जानती थी कैसे इन कठोर शब्दों का अर्थ समझ पायी ये तो पता नहीपर कोमल का कलेजा मुँह को आ गया। मधु भी आँखो में पानी लिए कोमल से कहने लगी “दीदी ननकी का कन्या पूजन बाद में कर लेना पहले बेबी लोग का कर लो।
कोमल ने कहा “माँ के दरबार में ऐसा भेद भाव तो नही हो सकता कोमल ने द्रवित मन से ननकी को गोद में लेते हुए कहा”ये तो सबसे छोटी कंजक है इसे तो में गोद में ही बिठाऊँगी ।”ननकी और मधु का चेहरा कृतज्ञता की चमक से झिलमिलाने लगा।
अगले दिन ही मिसेज़ ऑबराय का फ़ोन आ गयाकोमल से ग़ुस्से से कहने लगी “स्टैंडर्ड मेन्टेन नही कर सकती तो आगे से बच्चियों को ना बुलाए।तभी अमित भी मार्किट से वापिस आ गए थे और कोमल भी अपने विचारों के चक्रव्यूहसे।
सुबह कोमल अष्टमी की तैयारियों में व्यस्त थी।अमित जब नहा कर कमरे में आए तो पूरा ड्रॉइंगरूम कन्याओ की चहकती हँसी से गूंज रहा था।औरसबसे खुश थी ननकीअमित ने ख़ुशी से कोमल की तरफ़ देखते हुए कहा”आज तो मातारानी की विशेष कृपा लगती है हम पर।”कोमल कुछ बोलती उससे पहले ही मधु ने बोलना शुरू कर दिया”भैया ये सब मेरी बस्ती की है,दीदी ने कहा था जितनी भी ननकी की सहेलियाँ है सबकोले आना और देखो ननकी ख़ुशी मेंपूरी बस्ती को निमंत्रण दे आयी।”और सब खिलखिला कर हँसने लगे जिसमें मातारानी की मुस्कान भी शामिल थी।
पिंकी नारंग
सबरचित