*कल,आज और कल* – *नम्रता सरन”सोना”*

Post Views: 8 “अरे यार, ये बाबूजी फिर लैट्रीन में गिर गए हैं, जाओ ,उठाओ उनको” चित्रा ने खिसियाते हुए कहा। “अरे यार, मुझसे नहीं होगा, वो लथपथ हो जाते हैं, मेरा जी घबराता है,मितली आने लगती है, भिकन को फोन लगाता हूं, अभी मोहल्ले की झाड़ू लगा रहा होगा ” विवेक ने नाक भौं … Continue reading *कल,आज और कल* – *नम्रता सरन”सोना”*