कड़वे बोल जो बदले सोच – संगीता त्रिपाठी

Post View 551  बचपन में तो हर दोस्त न्यारा लगता था, जो खेलने को मिल जाये वही पक्का दोस्त। बचपन में कृष्ण -सुदामा की दोस्ती पढ़ी थी। मन के अंदर कुछ ऐसा ही करने का जज्बा जोर मारने लगा था, पर जज्बे से क्या होता। हम भी छोटे थे दोस्त भी छोटे थे।बड़े हुये तो … Continue reading कड़वे बोल जो बदले सोच – संगीता त्रिपाठी