Moral stories in hindi : अगर आपके सर पर भी जुनून सवार है , कुछ करने कि तो एक दिन जीत जरूर हासिल करोगे ।
उस दिन उस मोड पर उस बच्ची में जुनून देखकर मैं हैरान हो गया…….. न जाने कब कौन किस मोड़ पर मिल जाए यह कोई नहीं जानता है ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ……
हर रोज की तरह मैं दफ्तर से घर के लिए निकला और मेरी गाड़ी ट्रैफिक सिग्नल पर एक जाम में फंस गई ……
एक तो सर्दी का मौसम, ऊपर से कोहरे का कहर,
तभी एक बच्ची , तन पर मामूली सा वस्त्र और कंधे पर एक फटी हुई चादर , हाथों में कुछ खाने का सामान लेकर मेरी गाड़ी की तरफ दौड़ती हुई आई और मेरे सामने गिड़गिड़ा कर बोलने लगी बाबूजी यह सामान ले लो ……. बाबूजी यह समान ले लो……मेरी माँ भूखी है , यह समान बिकेगा तभी मैं पढ़ाई कर पाऊंगी. …….
मेरे बाबा बहुत बीमार है !
मुझे अपने बाबा का इलाज करवाना है ।
कुछ देर के लिए तो मुझे बहुत गुस्सा आया क्योंकि मैं खुद ट्रैफिक में फंसा हुआ था ऊपर से घर के लिए लेट हो रहा था ।
तभी वह बच्ची दुबारा मुझे बोली……… बाबूजी आप यह सामान ले लोगे तो मैं और मेरे बाबूजी खाना खा लेंगे …..
उस बच्ची की बात सुनकर मैं सोच में पड़ गया कि सिर्फ़ अपने बाबा के साथ खायेंगी…. अभी तो यह माँ का भी नाम ले रही थी……….चलो जो भी है वो उसकी प्रॉब्लम है …. मैं उस बच्ची से सामान ले कर घर आ गया ।
रात भर मुझे बेचैनी सी थी की इतनी छोटी सी बच्ची
जिस सर्द रात में मैं अपनी गाड़ी के अंदर ठिठुड़ रहा था वहां वह बच्ची अपने परिवार के लिए हर तरफ भागी जा रही थी । कि कोई समान खरीदे तब वह खाना खायेगी ।
फिर अगली सुबह मैं उस बच्ची को ढूंढते हुए उसी जगह पहुंचा परंतु वह बच्ची मुझे नहीं दिखाई दी , मैं उस वक्त तो दफ्तर लौट आया फिर शाम को मन में दुविधा थी कि आखिर इतनी छोटी बच्ची समान बेच रही है, वह भी रात के समय और इसी दुविधा के साथ में दफ्तर से घर लौटते वक्त ………
उसी ट्रैफिक सिग्नल पर उस बच्ची के इंतजार में खड़ा रहा ।
10 मिनट बाद कहीं से मुझे उम्मीद की किरण दिखाई और वह बच्ची फिर कुछ समान लेकर सभी गाड़ी की तरह दौड़ -दौड़ कर यही कह रही थी कि यह सामान ले लो बाबूजी यह सामान ले लो…….
मैं अपनी गाड़ी को एक तरफ रोक कर उस बच्ची से मिलने गया उस बच्ची में इतना जुनून था उस समान को बेचने का कि वह बच्ची मेरी बात तक सुनने को तैयार नहीं थी , फिर जब मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हारा सारा सामान खरीद लूंगा ……
मेरी बात को सुनकर वह बच्ची रुक गई और मुस्कुराते हुए बोली सच में बाबूजी सच में आप मेरा सारा समान खरीद लोगे. ……
मैंने भी झट कह दिया हाँ…….. हँ…….मैं सारा सामान खरीदूँगा।
बहुत-बहुत धन्यवाद बाबूजी आज मेरा जल्दी सामान बिक जाएगा तो मैं बहुत सारा पढ़ाई करुंगी । मुस्कुराते हुए उस बच्ची ने मुझे गले लगा लिया ।
अच्छा तुम्हारा नाम क्या है यह तो बताओ ……..
मेघा नाम है बाबूजी मेघा …..
फिर मैंने उस बच्ची से पूछा –
अच्छा मेघा तुम मुझे अपने माता-पिता से तो मिलवाओ कहां है वह सब……..
फिर उसके बाद मैं उस बच्ची के साथ वहां गया जहां वह रहती थी………..
वह एक रोड के किनारे रोड लाइट के पास ले गयी, वहा पर बहुत सारे रिक्शे वाले रहते थे ।
उन्हीं के बीच में जब मैंने देखा कि एक छोटी सी चादर बिछी हुई है और वहां पर दो-तीन किताबें रखी हुई है मैंने उस बच्ची से पूछा कहां है तुम्हारी …… माँ
उसने धरती को दिखाते हुए कहा बाबूजी यही मेरी माँ है , मैं इन्हीं के साथ सोती हूँ।
मेरी आंखें नम हो गई यह देख कर और सुनकर , फिर मैंने पूछा तुम्हारे बाबूजी कहां है तब एक बुजुर्ग रिक्शे वाले से मिलवाते हुए बोली यह मेरे बाबूजी है ।
उनसे बात करके मुझे पता चला कि यह बच्ची तो उस बुजुर्ग की भी नहीं है यह बच्ची उन्हें दो-तीन बच्चों के साथ भीख मांगते हुए मिली थी वहां यह इनके रिक्शे में पीछे बैठकर भाग गई ।
भाग कर उनके साथ आ गई थी
यह बच्ची उस दिन से यही रहकर रात भर इस रोड लाइट के नीचे पढ़ाई करती है ।
फिर बुजुर्ग रिक्शा वाले ने बताया -बाबूजी इस बच्ची की जिद है , कि वह अपना दाखिला उस बड़े वाले स्कूल में करवाएगी ।
बाबूजी मैं तो गरीब ठहरा मैं कहां से इस बच्ची का दाखिला करवाऊंगी ।
इसीलिए वो रात को सामान बेचकर उसमें से जितना पैसा कमाती है वह इस मिट्टी के अंदर दबा कर रखी है ।
मैंने मेघा से पूछा…. मेघा बेटा क्या तुम पढ़ना चाहती हो ?
मेघा ने झट कह दिया …..हां बाबूजी ……..
फिर मैं रिक्शा वाले से बात करके उस बच्ची को अपने साथ ले आया मालती थोड़ा गुस्सा तो हुई मुझ पर लेकिन उस बच्ची से बात करके मालती के भी दिल पिघल गए जब उस बच्ची ने कहा कि मैं आपके साथ आपके घर का सभी काम कर दूंगी बस मुझे पढ़ने देना………..मुझे पढ़ना है आंटी मुझे पढ़कर काम करना है, काम करके पैसे कमाना है …….जब मैं पैसे कमाऊंगी तभी तो मैं अपने बाबूजी का इलाज कराऊंगी ।
फिर मलती भी मुस्कुराते हुए बोली अच्छा-अच्छा आपको पढ़ना है ना ……
मेघा – हा आंटी मैं पढ़ाई करूँगी…….. और पढाई के साथ- साथ आप जब कहोगी, जो काम कहोगी मैं वह आपके साथ करूंगी ।
मालती- अच्छा-अच्छा बेटा आपको जहां पढ़ना है कल आपके अंकल उस स्कूल में एडमिशन करवा देंगे और रही बात काम की तो यहां काम वाली लगी हुई है. ….
तभी वहां मेरी दोनों बेटियां रीना और टीना भी आ जाती है. …..
पापा यह कौन है. …?
मैं कुछ कहता उससे पहले ही मालती ने कहा रीना और टीना इधर आओ बेटा यह आपकी छोटी बहन है कल से यह भी आपके साथ स्कूल जाएगी पढ़ने के लिए. ………
और मेघा बेटा जैसे मेरे लिए रीना और टीना है ……मेरे लिए आप भी हो । आप खूब मन लगाकर पढ़ना जो पढ़ाई की जुनून आप में है उसे काम मत होने देना ……..और रही बात काम की तो यहां काम करने के लिए मैं हूं और नौकर लगे हुए हैं ।
मेघा ने अपने छोटे-छोटे हाथों से मालती को गले लगाते हुए … आंटी आप कितनी अच्छी हो ……
मैं बहुत पढ़ाई करुंगी । तब मैं आपको काम नहीं करने दूंगी ।
मालती- अच्छा-अच्छा चलो अब खाना खा लो सब …….फिर कल स्कूल भी जाना है ना एडमिशन के लिए…..
मालती को खुश देखकर दिल में कहीं सुकून सा मिला ।
कि मैं इस बच्ची को घर लाकर कोई गलती नहीं की है ।
ना जाने कब कौन किस मोड़ पर मिल जाए यह कोई नहीं जानता है ।
कामिनी मिश्रा कनक