काश मेरी भी एक बेटी होती – रत्ना पांडे : Moral Stories in Hindi

Post View 921 अपनी व्यस्ततम ज़िंदगी से कुछ वक़्त निकालकर यशोदा बगीचे में शाम को टहलने अवश्य ही जाती थी। बगीचे में नियमित रूप से आने वाले अधिकतर लोग यशोदा को जानने लगे थे। आस पास में रहने वाले बच्चे भी शाम को वहां आते थे। नंदिनी भी अक्सर शाम को वहां आया करती थी। सबसे अलग, शांत और गुमसुम … Continue reading काश मेरी भी एक बेटी होती – रत्ना पांडे : Moral Stories in Hindi