रिया आज बहुत उदास थी क्योंकि उसने सच्चे प्यार को जो ठुकरा दिया था।और करती भी क्या वो?जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी हुई थी।घर में कमाने वाली वो अकेली ही तो थी।पिता के जाने के बाद छोटे भाई बहन और माँ की जिम्मेदारी उसके ही कंधों पे आन पड़ी थी।कैसे इन जिम्मेदारियों से मुँह मोड़कर वो अपना घर संसार बसा सकती थी?
रिया और रोहित एक ही कंपनी में काम करते थे।साथ साथ काम करते करते रोहित रिया को चाहने लगा।उसे रिया का स्वाभव बहुत अच्छा लगता था।वो जब भी मिलती रोहित के मन को एक अजीब सा सुकून मिलता।रोहित रिया को जीवनसाथी के रूप में देखने लगा उससे बात करने का कोई न कोई बहाना ढूढ़ता रहता।
रिया अपने काम से काम रखती और बस हाय.. हैलो तक ही सीमित रहती।
वैसे रिया को भी रोहित से मिलना अच्छा लगता था पर प्यार व्यार की बातों से वो दूर ही रहती थी क्योंकि वो जानती थी कि उसके लिए अभी सिर्फ जिम्मेदारियां ही मायने रखती हैं।
वैलेंटाइन का दिन था।रिया गुलाबी सूट में बेहद खूबसूरत लग रही थी।रोहित ने मन बना लिया था कि आज वो रिया को प्रपोज करके ही रहेगा।लंच टाइम में सभी ऑफिस वाले केंटीन चले गए और रिया अभी जाने की तैयारी कर ही रही थी तो रोहित वहाँ आ गया और बोला-“रिया मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है।”
“रोहित,ऐसी कौनसी जरूरी बात है?लंच के बाद कर लेना।”
“नहीं रिया,मुझे तुमसे अभी ही बात करनी है।”
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“बोलो,क्या कहना है?”
रोहित ने इधर उधर देखा फिर घुटनों के बल बैठ गया और रिया का हाथ पकड़कर बोला-“रिया,मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और तुमसे शादी करना चाहता हूँ।”
रिया ने घबराकर अपना हाथ छुड़ाया और बोली-“रोहित मैं अभी शादी नहीं कर सकती।हो सके तो मुझे भूल जाओ और कोई अच्छी लड़की देखकर अपना घर बसा लो।”
“मुझे शादी की कोई जल्दी नहीं है..बस एक बार तुम हाँ कर दो।” रोहित बच्चों की तरह जिद्द करने लगा।
“तुम समझते नहीं रोहित।मुझे अभी बहुत सी जिम्मेदारियां निभानी हैं।छोटे भाई बहनों को पढ़ा लिखाकर अपने पैरों पे खड़ा करना है।प्लीज मुझे गलत मत समझना।”
“रिया,शादी के बाद भी तुम ये सब जिम्मेदारियां निभा सकती हो।वादा करता हूँ मैं तुम्हारा साथ दूँगा।”
“ये सब कहने में अच्छा लगता है पर प्रेक्टिकली ये सम्भव नहीं है।तुम अपनी जिंदगी मेरे लिए खराब न करो।”
रोहित ने हर तरह से रिया का साथ देने के लिए कहा पर रिया नहीं मानी और रोहित के प्यार को ठुकरा दिया।
रिया घर आकर बहुत रोई।कुछ दिनों तक उसका मूड खराब रहा फिर धीरे धीरे सामान्य हो गई।रोहित उसे रोज ऑफिस में दिखता पर बात नहीं करता।कुछ समय बाद उसने दूसरी कंपनी जॉइन कर ली और विदेश चला गया।घर की जिम्मेदारियां निभाते निभाते रिया की शादी की उम्र ही निकल गई।अब तो रिश्ते भी आने बंद हो गए थे।
रिया ने भी मन बना लिया कि अब वो शादी नहीं करेगी।माँ ने उसे समझाया भी कि इतनी बड़ी जिंदगी अकेले कैसे काटेगी?पर रिया नहीं मानी।उसके भाई बहन अब पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़े हो गए थे।इसलिए अच्छे रिश्ते देखकर उसने दोनों की शादी कर दी।बहन ससुराल चली गई और भाई भी अपनी पत्नी के साथ दूसरे शहर में नौकरी करने चला गया।
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जब तक माँ थी तब तक सब ठीक चल रहा था पर उसके जाने के बाद रिया बिल्कुल अकेली पड़ गई।उम्र बढ़ने के साथ साथ स्वास्थ्य की समस्याएं भी परेशान करती हैं।रिया को भी घुटने व कमर के दर्द ने परेशान कर रखा था।अब उसे अकेलापन सताने लगा था।भाई भाभी कभी कबार ही आते थे।भाई ने कभी झूठे मुँह को भी नहीं कहा,कि दीदी आप अब नौकरी छोड़ दो
और हमारे साथ चलकर रहो।आखिर वो उसकी माँ जैसे ही थी तो रख सकता था उसे अपने पास।बहन भी अपने ससुराल में खुश थी वो भी माँ के रहते तो अक्सर आया करती थी पर उसके जाने के बाद धीरे धीरे उसका भी आना कम हो गया।रिया कभी कभी आह भरते हुए यही कहती..जिनके लिए उसने अपने प्यार को ठुकरा दिया आज वही उसकी परवाह तक नहीं करते,कि वो अकेले कैसे जी रही होगी..?
रिया के कमर में बहुत तेज दर्द हो रहा था।इसलिए उसने ऑफिस से छुट्टी ले ली।काम वाली भी नहीं आई तो सब काम रिया को ही करना पड़ रहे थे।बेचारी रोती जा रही थी और काम भी कर रही थी।आज पहली बार उसे महसूस हो रहा था..काश!मैं भी स्वार्थी होती
और सिर्फ अपने बारे में सोचती तो आज मेरी भी गृहस्थी होती।मुझे भी कोई देखने वाला होता।यूँ अकेले दर्द में तो न तड़प रही होती।कभी कभी स्वार्थी होना अच्छा होता है क्योंकि सुख के सब साथी होते हैं पर दुख में कोई साथ नहीं देता..!!
कमलेश आहूजा
#पछतावे के आंसू