सरिता की शादी को हुए दो महीने ही हुए थे । जैसे ही उसने ससुराल में कदम रखा था कि सास निर्मला ने उसे अपनी बाँहें फैलाकर घर में स्वागत किया था । करोना के कारण बेटा प्रकाश वर्कफ्रम होम होने से माता-पिता के पास आकर रहने लगा था । उसी समय का उपयोग करते हुए निर्मला ने उसके लिए लड़की देखी और शादी भी करा दी थी ।
माँ सुलोचना ने शादी के पहले ससुराल के बारे में बहुत कुछ बताया था कि वहाँ तुझे बहुरानी कहते रहेंगे परंतु तुम बहुरानी नहीं उस घर की नौकरानी बनकर रह जाओगी मेरी बात मानकर प्रकाश को लेकर अलग घर में शिफ़्ट हो जाना उनके साथ मिलकर नहीं रहना आदि।
यहाँ आकर देखा तो सब कुछ अलग ही था । ससुर जी बैंक से और सासु माँ टीचर की नौकरी से रिटायर हो गए थे। माँ समझा रही थी कि तुम्हारे ससुर तो ठीक हैं बेटा लेकिन सासु वह तो बहुत ही कड़क मिज़ाज की लगतीं हैं नहीं तो सोच ना बैंगलोर में घर है परंतु बेटे के साथ हैदराबाद में ही रहने आ गई है। मैं कितना भी समझाने की कोशिश करूँ तुम समझ ही नहीं रही हो । सुलोचना को जब भी फ़ुरसत मिलती थी वह बेटी का कान खा रही थी ।
सुलोचना जी के पति की मृत्यु पाँच साल पहले ही हुई थी । दो साल बेटा रमन के लिए बहुत बड़े घर से रिश्ता आया था तो वह खुश हो गई थी कि खूब सारा दहेज मिलेगा लेकिन रमन अपने ही ऑफिस में नौकरी करने वाली शुभ्रा जिससे वह प्यार करता था उसके साथ शादी करके अमेरिका चला गया था ।
सुलोचना मन मारकर रह गई थी । सरिता पढ़ी लिखी थी नौकरी करती थी और बहुत ही सुंदर थी । सुलोचना को अपनी बेटी पर घमंड था कि रिश्ते घर पर आएँगे उसे ढूँढने की ज़रूरत नहीं है ।
उसकी जैसी इच्छा थी उसके समान ही सरिता के लिए प्रकाश का रिश्ता आया और दोनों की शादी हो गई थी ।
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गुड मार्निंग सरिता उठ गई बेटा तुम्हारी माँ का दो बार फोन आ चुका है । रात को तुमने अपना मोबाइल बाहर बैठक में ही छोड़ दिया था । इसलिए मैंने देख लिया है। उनसे बात कर ले बेटा वे अकेली रहती हैं ना कुछ काम होगा ।
सविता ने ठीक है माँ मैं कॉल कर लूँगी कहते हुए माँ को मेसेज भेज दिया था कि बाद में कॉल करती हूँ और खुद फ्रेश होने के लिए वाशरूम में चली गई ।
निर्मला ने बेटे की शादी के दूसरे दिन ही
सविता को अपने पास बिठाकर कहा कि बेटा यह घर तुम्हारा है तुम यहाँ आराम से रह सकती हो । मैं भी यहाँ बहू बनकर आई थी और तुम भी बहू बनकर आई हँसते हुए कहा कि इसका मतलब है कि इस घर में बहुएँ रहेंगी सास के लिए कोई जगह नहीं है । मेरी बेटी दामाद और एक छोटा सा नाती है जो अमेरिका में खुश हैं। बेटा अब हमारी आँखों के सामने तुम और प्रकाश ही हमारे लिए यहाँ हैं । बेटा तुम दोनों बहुत प्यार से रहो । हमें दूसरों के लिए एक उदाहरण बनना है ।
देख बेटा तुम भी नौकरी करने के लिए जाती हो इसलिए सिर्फ़ अपने कामों पर ध्यान दो । वैसे भी अपने घर में सब काम के लिए हेल्पर हैं । सिर्फ़ खाना ही बनाना है वह मैं बना दिया करूँगी क्योंकि मुझे खाना बनाना अच्छा लगता है या यह कह दो कि रिटायर होने के बाद इसमें मेरी रुचि बढ़ गई है ।
सविता कहने लगी कि अरे नहीं माँ मुझे भी खाना बनाना आता है । मैं आप लोगों के लिए कुछ करना चाहती हूँ ।
निर्मला ने हँसकर कहा कि ठीक है शनिवार और इतवार को तुम बना लेना वह भी तुम हमारी मदद लेकर बनाओगी । एक बात बताऊँ तुम्हारे ससुर जी भी सब्ज़ियाँ स्वादिष्ट बनाते हैं । प्रकाश को ही खाना बनाना नहीं आता है ।
उस ज़माने में दूसरे नौकरी करने वाले लोगों के समान ही हम दोनों भी नौकरी करते थे इसलिए घर का काम भी मिलकर कर लेते थे । आज हम रिटायर हो गए हैं तो आराम की ज़िंदगी जी रहे हैं ।
इस तरह से उनकी बातों को सुनकर उनमें सविता को एक अपनापन महसूस हुआ जिससे उसे कभी नहीं लगा कि वह एक नए घर में आई है । अमेरिका में रहने वाले ननंद नंदोई से भी बातें होती रहती थी उनसे भी एक अपनापन ही मिला था । अब मुझे सास से भी डर नहीं लगता है जैसे माँ डरा रही थी ।
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प्रकाश भी हमेशा कहते रहते थे कि सविता हमारे माता-पिता के समान बहुत ही कम लोग होते होंगे । मैं बचपन से देखता आ रहा हूँ हमारे घर में तनाव का माहौल कभी नहीं है । हमारे घर में खुशी का वातावरण रहता है। दोनों की सकारात्मक सोच होती है वे आपस में बातें करते हुए मिलकर काम कर लेते थे । डिनर टेबल पर हम साथ बैठकर दिन भर की दिनचर्या को आपस में बता लेते थे । आज हम जो इस जीवन को जी रहे हैं वह उनके कारण ही है। अब तक तो तुमने भी उन्हें समझ लिया होगा । मेरी दीदी जीजू भी बहुत अच्छे हैं मैंने सुना है माँ से कि वे तुम्हारी तारीफ़ कर रहे थे ।
इस तरह से उन सबकी बातों को सुनकर सविता को बहुत आश्चर्य होता था कि एक ही परिवार में सब इतने अच्छे लोग बहुत ही कम परिवारों में देखने को मिलते होंगे। वह खुश नसीब है कि इस परिवार में ब्याह कर आई है ।
माँ फोन पर अब महारानी को फ़ुरसत मिली है मुझसे बात करने की । मैं तो समझाकर थक गई हूँ कि अलग जाकर रह ले पर नहीं जूँ तक नहीं रेंगती है । दूसरी लड़कियों को देख शादी के दूसरे दिन ही पति को लेकर उड़न छू हो जाती हैं तुम्हारी भाभी की तरह इतनी अच्छाई दिखाने का क्या फ़ायदा है बोल!!
माँ इस विषय पर मैं बात नहीं करना चाहती हूँ । कुछ और बातें कर हाँ तुम हमारे घर क्यों नहीं आ जाती हो कल ही सासु माँ भी कह रही थी कि आपको यहाँ दो तीन दिन के लिए बुला लूँ ।
ना बाबा ना मैं नहीं आ सकती हूँ यहाँ मैं खुश हूँ मेरी सहेलियाँ हैं किटी पार्टी भी चल रही है ।
सविता ने कहा कि माँ तुम अपने आप को बदलती क्यों नहीं है भाई भाभी को फोन किया है कि नहीं । मैं उन्हें फ़ोन क्यों करूँ
नहीं करूँगी बिलकुल नहीं करूँगी वैसे भी तुम्हें तो सब कुछ मालूम है फिर बार बार उसी बात को क्यों दोहराती है ।
उनके साथ अच्छे से बात कर रिश्ते में दरार मत डाल ।
वह हर महीने आपको बीस हज़ार रुपये भेजता है । उन्हें तो बिना झिझक ले लेती हो । इसका मतलब उसका पैसा चाहिए परंतु वे लोग तुम्हें नहीं चाहिए ।
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ठीक है तुम तो उससे बातें करती रहती हो ना बोल दो उसको अब से मुझे पैसे ना भेजें । तुम्हारे पिता का पेंशन दस हज़ार रुपये मिलते हैं खुद का घर है तो उससे मेरा गुजारा हो जाएगा । मैंने उससे भीख थोड़ी ही माँगी थी कि महीने में मुझे पैसे भेज दो ।
माँ इस तरह अपनी ज़ुबान से कडुवाहट उगलना छोड़ दीजिए उन्हें एक बार इंडिया बुला लेना कितने दिन तक उनसे रूठी रहोगी । नहीं मुझे उससे बात नहीं करनी है ना ही उसे यहाँ बुलाना है । मैंने इतना अच्छा रिश्ता दिखाया था कितने ही पैसे वाले लोग थे परंतु नहीं अपनी पसंद की उस भिखारी ख़ानदान से लड़की ले आया । मैं इस बात को भूलूँगी नहीं ।
तुम्हारा कनेक्शन है ना उनके साथ उससे कह देना मुझे उसका पैसा भी नहीं चाहिए है । तुम्हारी सास ने भी उनसे बातचीत की है शायद तुम्हारे भाई भाभी की बहुत तारीफ़ कर रही थी ।
अपने घर की बातें उन्हें भी बता तब तेरी सास को भी उनके बारे में पता चलेगा । माँ बेकार की बातें मत करो आप उनसे रिश्ता छोड़ सकती हो । मैं उनसे रिश्ता नहीं छोड़ सकती हूँ । माँ मैं आपसे बाद में बात करती हूँ ठीक है अपने पिताजी के समान अच्छा बनने की कोशिश मत कर कहते हुए फोन रख दिया सविता के सामने माँ को समझाना एक बहुत बड़ा चैलेंज बन गया था ।
शनिवार की शाम को सविता को खाना बनाने में मदद करते हुए निर्मला ने कहा कि कल हम तुम्हारे मायके जाएँगे । सविता कुछ नहीं बोली तो निर्मला ने ही कहा कि तुम्हारे ससुर और प्रकाश भी जाने को उत्सुक हो रहे हैं अकेली रहती हैं ना एक बार देख कर आएँगे तो उन्हें भी अच्छा लगेगा ।
तुम भी माँ से मिल लोगी और हो सके तो उन्हें अपने घर लेकर आएँगे ।
सविता को क्या जवाब देना है समझ में नहीं आ रहा था । उसने तुरंत माँ को फ़ोन करके बात बताई तो उन्होंने कहा कि एक दिन की ही बात है ना कोई बात नहीं है खाना बनाने वाली बाई को बुला लूँगी काम हो जाएगा । तुम तो दस दिन रहोगी ना नहीं अगली बार आऊँगी तब रहूँगी ।
माँ एक बात कहूँ बुरा नहीं मानना उनसे अच्छे से बात करना ।
देख मुझे तुम्हारी ऐसी बातें ही नहीं पसंद है । तुम्हें तुम्हारी माँ और तुम्हारे भाई के लिए बाहर वाले अच्छे हैं और मैं हमेशा से बुरी लगती हूँ । मैं फ़ोन रखती हूँ कहते हुए फोन रख दिया था ।
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माँ ने ससुराल वालों की इतनी अच्छी आवभगत की जिसकी कल्पना सविता ने सपने में भी नहीं की थी । शाम को सबको कपड़े दिए । दामाद के हाथों में दस हज़ार रुपए रखकर कहा कि कुछ ख़रीद लेना । सविता माँ के गले लग गई और उसकी आँखें भर आईं ।
निर्मला ने कहा कि आप भी हमारे घर आते रहिए हम भी आते रहेंगे । मैंने कई बार आपको बुलाया है परंतु आप कभी नहीं आई है । वैसे सविता ने बताया था कि आप बहुत ही शर्मीली स्वभाव की हैं । आपके बेटा बहू दूर रहते हैं बेटी के पास आते रहोगे तो आपको भी अच्छा लगेगा ।
सविता ने माँ को इशारे कहा कि चुप रहो कुछ मत कहना ।
सुलोचना से विदा लेकर चारों घर से थोड़ी दूर आने के बाद निर्मला ने कहा कि देख सविता दूसरे घरों के समान हमारे घर में कोई रोकटोक नहीं है सब लोग आराम से अपनी मर्ज़ी से काम कर लेते हैं इसलिए तुम दोनों शनिवार या रविवार को माँ से मिलने जा सकती हो । मुझे सुलोचना जी कुछ उदास सी लगीं । प्रकाश मेरी बात सुन रहे हो ना । हम लोग तुम्हारे लिए जैसे हैं सुलोचना जी वैसे ही सविता के लिए हैं इसलिए उनकी खोज ख़बर लेना भी तुम्हारी ज़िम्मेदारी है ।
सविता मुझे लगता है कि तुम्हें अभी भी हमारे घर में नया ही लग रहा है कुछ भी चाहिए तो पूछ लो बेटा हम सब तुम्हारे अपने ही हैं । उनकी बातों को सुनकर सविता की आँखें भर आईं थीं । उन सबके साथ बाद में घर पहुँचने तक बातें करती रही ।
तीन चार सप्ताह के बाद शुक्रवार की रात को डिनर टेबल पर उसन माँ के घर जाने की बात कही तो तीनों ही खुशी से उसे जाने के लिए कहा तो उसने रात को ही माँ को कल आने की बात बता दी ।
सविता दूसरे सुबह जल्दी उठकर तैयार होने ही वाली थी कि माँ का फोन आ गया उसने फ़ोन उठाया ही था कि दूसरी तरफ़ से माँ के रोने की आवाज़ सुनाई दी थी । सविता ने घबराकर कहा कि माँ क्या हो गया है आपको रो क्यों रही हैं ।
उन्होंने कहा कि कल रात को चोर मेरे गले पर चाकू लगाकर घर से सारे गहने और पैसे लेकर भाग गया है । इस कॉलोनी में और भी घरों में चोरी हुई है सबने मिलकर पुलिस कंप्लेन दर्ज करा दिया है तुम सब जल्दी से आ जाओ ।
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उसने फ़ोन रखकर सबको जैसे ही बताया सब लोग जल्दी से सविता के घर पहुँच गए ।
उन्हें देखते ही सुलोचना जी भाग कर बाहर आई और सविता के गले लगकर रोने लगी। प्रकाश और उसके पिताजी ने भी पुलिस से बात की और सुलोचना जी को लेकर वापस घर आ गए ।
सुलोचना को बेटी के घर में रहते हुए एक सप्ताह हो गया था । घर के उन तीनों सदस्यों का सविता के प्रति प्यार देख उन्हें आश्चर्य हुआ । वहाँ उनके घर के पास पास पड़ोस के लोग मिलकर एक दूसरे की टाँग खींचने में लगे रहते हैं । किटी पार्टी में भी अपनी हैसियत को दिखाने की होड़ में लगे रहना । अपनी गलती ना होने पर भी लोगों की बातों से ऐसा महसूस होना कि हमने गलती की है । मुझे कभी कभी लगता है कि यही ज़िंदगी है क्या आज यहाँ इनके घर आने पर लग रहा है कि यह किसी अलग दुनिया में आ गई हूँ । कितना सुकून मिल रहा है ।
तीन कमरों का फ़्लैट है बहुत ही बड़ा और खूबसूरत है । घर भी ईंट पत्थरों का नहीं है घर में हर पल खुशी का वातावरण रहता है । ना चाहते हुए भी हम भी उनके साथ जुड़ जाते हैं ।
एक दिन सुलोचना ने देखा कि निर्मला अकेले ही बालकनी में बैठी हुई है वह उनके पास गई थी तो उन्हें देखते ही निर्मला ने कहा आइए यहाँ बैठिए कहते हुए कुर्सी दिखाया इधर उधर की बातें करते हुए सुलोचना ने पूछा कि आपने अपना बैंगलोर का घर किराए पर दिया है या बेच दिया है उसने कहा कि नहीं बंद करके रखा है । करोना के समय इधर-उधर घूम कर रह रहे थे । अब बच्चों को ऑफिस बुला रहे हैं तो शायद वे चले जाएँगे ।
आपको पुलिस से कोई ख़बर मिली कि नहीं । एक बार जो चोरी हो जाते हैं वे वापस कहाँ मिलते बोलिए । बेटा भेजता था उन्हें जमा करके मैंने दस लाख रुपये रखे थे । निर्मला ने कहा कि आपको उन पैसों को बैंक में जमा करवाना था इतने पैसे कोई घर में रखता है । लोगों ने मुझसे कहा था कि बैंक अकाउंट खोल लूँ पर मति मारी गई थी इसलिए ऐसा हुआ है । मेरे साथ अभी तक कुछ ना कुछ हो ही रहा है ।
बेटे के लिए इतना अच्छा रिश्ता लाई थी बहुत पैसे वाले लोग थे मेरी फूटी क़िस्मत देखिए उसने उस रिश्ते को मना कर दिया और अपनी पसंद की लड़की से शादी कर ली है । आप खुद बोलिए मुझे बुरा नहीं लगेगा क्या? इसलिए मैंने तो बेटा बहू से बात करना ही बंद कर दिया है ।
निर्मला ने कहा कि आप जो भी कह रही है सही है सुलोचना जी परंतु हम जैसा चाहें वैसा हमेशा नहीं होता है । प्रकाश के लिए भी एक एम एल ए के बेटी का रिश्ता आया था वह लड़की भी साफ्टवेयर थी बहुत सारा पैसा था और अकेली लड़की थी । हमारा परिवार उन्हें अच्छा लगा इसलिए बार बार ख़बर भेजते रहे । हम उनके इतने पैसे वाले नहीं हैं । हमने तो सोच लिया था कि हम अपनी हैसियत के मुताबिक़ ही लड़की को ढूँढ लेंगे ।
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सही राह बनाए रिश्तों मैं चाह – अंजना ठाकुर : Moral stories in hindi
मेरे कहने का मतलब यह है कि किसी भी विषय को दिल से नहीं लगाना चाहिए । उन्हें लाइट लेना चाहिए । अब देखिए बच्चे हमारे लिए और हम बच्चों के लिए बोझ नहीं होते हैं ।
आपका बेटा दूर रहते हुए भी आपके करीब ही है ना!! आप कह सकते हैं कि आप अपने बेटे से प्यार नहीं करते हैं । आपने पैसे को मुख्य समझा और आपके बेटे ने प्यार को समझा है । इसमें आपको गलती कहाँ से दिखी है । देखिए पैसे तो वे दोनों कमा ही लेंगे परंतु जहाँ प्यार नहीं हैं वहाँ पैसा है तो भी क्या फ़ायदा होगा । दोनों ने बहुत सारी बातें की और एक दूसरे को समझने और समझाने की कोशिश भी की थी ।
निर्मला दूसरे दिन बैठक में बैठकर पेपर पढ़ रही थी कि उन्हें लगा कि कोई पैर छू रहा है देखा तो सविता थी । उसे उसने अपने पास बिठाकर कहा क्या बात है सविता आज बहुत ख़ुश नजर आ रही हो ।
सविता ने कहा माँ कल भाई का फ़ोन आया था उसने बताया था कि माँ ने उसे फ़ोन किया है भाभी से भी बात की और उसे इंडिया आने के लिए भी कह दिया है। माँ ने भाई को बता दिया है कि घर में चोरी हो गई है । भाई ने उसे सांत्वना दी है कि वह उनके लिए सारे गहने बनवा देगा फिकर ना करें और पैसे भी उन्हें दे देगा ।
वह कह रहा था कि वहाँ माँ को अकेले छोड़ कर मैं यहाँ हूँ मुझे उनकी फ़िक्र होती थी । उनका हम पर ग़ुस्सा ख़त्म कब ख़त्म होगा और कभी होगा कि नहीं यही सोचता रहता था । आपको बहुत धन्यवाद कह रहा था ।
निर्मला ने कहा कि हाँ उसने मुझे भी फ़ोन किया था कह रहा था कि यहीं अपने घर के आसपास ही फ़्लैट लेने के लिए कह रहा था ।
माँ के ग़ुस्से के कारण तुम दोनों की शादी में भी ना आ सका था। हमें तो उसने छुट्टी ना मिलने का बहाना किया था।
सविता ने कहा कि आपने हमारे ऊपर बहुत बड़ा उपकार किया है ।
सविता अपने तो अपने ही होते हैं हम कितना भी एक दूसरे से रूठ लें पर हम अपने रिश्तों को भूल नहीं सकते हैं । हमें ज़िंदगी भर एक दूसरे का साथ देना चाहिए।
सविता तुम अब जाओ तुम्हारी माँ देखेंगी तो अच्छा नहीं लगेगा ।
सविता अपनी माँ के कमरे में जाती है । माँ आप अभी तक नहाने नहीं गई है । सविता करेंट नहीं है ना और मैं ठंडे पानी से नहाना नहीं चाहती हूँ इसलिए करेंट के आने का राह देख रही हूँ कहते हुए सविता को गले लगा लेती है और कहती है कि तुम्हारी सास बहुत अच्छी है थोड़े ही दिनों में हमारे घर परिस्थितियाँ बदल गई है । मैंने तुम दोनों की बातें सुन ली है । प्रकाश और उसके माता-पिता सब बहुत ही अच्छे लोग हैं ।
तुम्हारा रिश्ता बहुत ही अच्छे घर में हुआ है । तुम सही कहती थी कि तुम्हें बेटा पसंद नहीं है पर उसका पैसा बहुत पसंद है। मुझे अपनी सोच पर अपने आप पर घृणा हो रही है । मैंने सोच लिया है कि तुम्हारे भाई भाभी के आने के बाद से मैं भी तुम्हारी सास के समान ही उनके साथ व्यवहार करूँगी और अपने परिवार की ख़ुशियों को बरकरार रखूँगी ।
के कामेश्वरी