काली बिंदी – मनप्रीत मखीजा

Post View 253 “अरे चन्दू, ये कैसी बहुरिया लाया है रे तेरा बेटा अपने वास्ते! ये तो अपने माथे पर काली बिंदी लगाए घूमती है| जब से हवेली में कदम रखा है इसने, मैंने तो कभी इसे नई नवेली सुहागिन जैसी लाल बिंदी लगाते नहीं देखा| तुझे न पता क्या, काली बिंदी को तो वशीकरण … Continue reading काली बिंदी – मनप्रीत मखीजा