जीजिविषा – डॉ उर्मिला सिन्हा

Post Views: 9 गली में गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था.पहरेदार का “जागते रहो..”की तीव्र ध्वनि नीरवता भंग कर रही थी.रात आधी बीत चुकी थी .हंसा घुटनों में सिर दिये  झपकी ले रही थी. नींद के झोंके से माथा कभी इधर, कभी उधर लुढ़क पड़ता .वह पुनः सिमट कर बैठ जाती .वह जितना ही जागने का … Continue reading जीजिविषा – डॉ उर्मिला सिन्हा