झूठ बोलकर रिश्ता करना ठीक नहीं – पूनम सारस्वत : Moral Stories in Hindi

उसकी शिकायत यह नहीं थी कि उसके लिए ऐसा वर ढूंढ़ा जिसके पैर में नुक्स था , उसकी शिकायत तो यह थी कि उससे यह बात छिपाई गई , दोनों पक्ष द्वारा।

कोई भी रिश्ता छल के साथ कैसे निभ सकता है?

 यह सोचकर वह हैरान थी, और यही कारण था कि उसने साफ शब्दों में इस रिश्ते के लिए मना कर दिया और किसी भी भावनात्मक अत्याचार को उसने ठुकरा दिया ।

पढ़ी – लिखी, नौकरीपेशा ,खूबसूरत दीपा के लिए एक से एक रिश्ते तैयार थे शादी करने के लिए लेकिन उसके माता-पिता की जिद थी कि शादी तो अपनी बिरादरी में ही करेंगे, चाहे कुछ भी करना पड़े।

हालांकि दीपा को इससे कोई लेना-देना न था कि शादी बिरादरी में करो या गैर बिरादरी में,उसकी बस एक डिमांड थी कि लड़का न केवल पढ़ा लिखा हो बल्कि उसके विचार पुरातनपंथी टाइप के न हों । वह समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाला और पत्नी को साथी समझने वाला हो,न कि पैर की जूती समझने वाला,जैसा कि वह अक्सर अपने समाज में देखती सुनती आई थी।

वह चाहती थी कि जीवन साथी ऐसा हो जो उसके पंखों को उड़ान भरने में सहयोग करे न कि उन्हें कतरने की जुगत लगाता रहे।

पिता जी ने वरुण से उसका रिश्ता लगभग तय कर दिया था और वरुण उसकी इस डिमांड पर पूरी तरह से खरा उतर रहा था । 

उसके सौम्य व्यक्तित्व से दीपा पहली मुलाकात में ही बहुत प्रभावित हुई थी ,पर उसे ऐसा लगा कि इसकी चाल सामान्य नहीं है, क्योंकि जब वह चलकर आ रहा था तो उसके पैर में कुछ लचक उसने स्पष्ट रूप से देखी थी। 

पर पहली ही मुलाकात में सीधे उससे ही यह प्रश्न करना दीपा ने मुनासिब न समझा और सोचा कि घर पर जाकर पिताजी से ही पूछ लेगी क्योंकि रिश्ता तो उन्होंने ही किसी बिचौलिए के माध्यम से देखा था।

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लगभग सब बातें तय हो चुकी थीं क्योंकि लड़के को लड़की और लड़की को लड़का पसंद था।

दीपा ने घर पहुंचकर शाम को माता-पिता के समक्ष सीधा प्रश्न रखा क्या वरुण के पैर में कोई डिफेक्ट है?

पिता ने हैरानी का खूबसूरत स्वांग करते हुए इनकार में सिर हिला दिया और कहा कि तेरा भ्रम होगा ऐसा कुछ नहीं है और मम्मी को तो वास्तव में ही कुछ पता नहीं था।

इसलिए दीपा ने भी राहत की सांस ली कि चलो सब कुछ उसके मनमुताबिक ही हो रहा है ।

पर जिंदगी को शायद कुछ और। मंजूर था …

दो तीन बाद ही पिताजी शायद बिचौलिए से बात कर रहे थे ,कि दीपा के कानों में पड़ा,’अरे कहां ज्यादा पता चलता है भाईसाहब, वैसे भी शादी वाले दिन घोड़ी पर बैठकर आएगा और बाद में गाड़ी में तो किसी को क्या ही पता चलेगा’??

और एक बार शादी हो गई तो फिर तो कुछ होना ही नहीं ‘।

‘अरे कुछ नहीं , कोई डरने की बात नहीं है आप बस शादी तक इस बात का कोई जिक्र मत करना यहा पर’।

ये शायद तब कहा गया होगा जब सामने वाले ने कहा हो कि यूं झूठ बोलकर रिश्ता करना ठीक नहीं ।

पर दीपा के तो कान खड़े हो चुके थे ।

वह सीधे पिताजी के सामने आकर खड़ी हो गई और बोली तो मेरा शक सही था???

वह एकदम से हड़बड़ा गए , कौन सा शक?

यही कि वरुण के पैर में नुक्स है?

अरे हां थोड़ा बहुत है तो उससे क्या फर्क पड़ता है? किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।

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पिता जी किसी को पता चले या न चले ,पर मुझे पता चल चुका है और अब मैं ये रिश्ता हरगिज नहीं करुंगी क्योंकि झूठ की बुनियाद पर रिश्ते खड़े नहीं होते।

पैर में जो भी दिक्कत थी मुझे साफ बताकर भी तो आप बात आगे चला सकते थे?

आपने ये कैसे सोच लिया कि छोटी मोटी दिक्कत की वजह से में हां नहीं करुंगी?

एक बार बात तो करते? मुझे विश्वास में तो लिया होता?

और कम से कम मेरे पूछने पर तो सच बता ही दिया होता उस दिन?

वरुण मुझे बहुत पसंद है फिर भी यह शादी अब नहीं हो सकती क्योंकि आपके झूठ की चादर अब उठ चुकी है।

वह भी यह जानते थे कि अब दीपा को मनाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ।

इसलिए उन्होंने वरुण के पिता से शादी के लिए मना कर देने में ही भलाई समझी।

अब वरुण ने दीपा को फोन कर पूछा, दीपा क्या हुआ, यूं अचानक फैसला बदलने की क्या जरूरत पड़ गई,क्या कमी लगी तुम्हें?

वरुण के निश्छल प्रश्न पर दीपा चुप न रह सकी और उसने शुरू से अंत तक सारी बातें वरुण के आगे रख दीं।

ओह , बात तो सही है दीपा जी , पर इसमें मेरी क्या ग़लती है? मैंने और मेरे पापा ने तो तुम्हारे पापा को सब कुछ साफ-साफ बताया था यहां तक कि मेडिकल रिपोर्ट भी दिखा दी थी ।

तब उन्होंने कहा था कि यह कोई समस्या नहीं है और दीपा को इससे कोई समस्या नहीं होगी।

अब बताओ तुम मैं या मेरे पापा कहां गलत हैं इस सब में??

जी गलती आप लोगों की नहीं पर मेरे पापा की है और नाराजगी भी उन्हीं से है, इसलिए ही मैंने शादी के लिए मना किया है।

अरे यार, पर उनकी नाराजगी में कुंवारा तो मैं रह जा रहूं दीपा डार्लिंग?

वरुण ने यह बात इतनी मासूमियत और प्यार से कही कि दीपा खिलखिलाकर हंस पड़ी।

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और थोड़ी ना-नुकुर के बाद उसने मान लिया कि वह दोनों एक दूजे के लिए ही बने हैं और पैर की नुक्स या पिता जी के झूठ को शादी के बीच में नहीं आने देंगे।

दीपा हंसते हुए बोली ठीक है जानेमन हम तुम्हारे लिए ये सब कड़वी बातें भुला देते हैं और आपका प्रणय निवेदन स्वीकार करते हैं, कहकर दीपा फिर से खिलखिला उठी।

उसकी खनकती हंसी से वरुण के दिल का सारा बोझ उतर गया और वह बोला तहेदिल से शुक्रिया मेरी मलिका।

कुछ महीनों बाद दीपा वरुण की दुल्हन बन उसके घर आ गई ।

और आज दस वर्षों बाद भी वह जब तब पिता जी की उस हरकत को याद कर एक दूसरे की टांग खिंचाई कर लेते हैं।

पूनम सारस्वत

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