झिलमिल सितारों का आंगन होगा – पूनम भटनागर : Moral Stories in Hindi

आज रेवा और सुकेश की शादी थी। दोनों का प्रेम विवाह था। पर दोनों तरफ के घर वाले भी रजामंद थे, इसलिए शादी बेहद धूमधाम से संपन्न हुई। दोनों 15दिन के लिए हनीमून पर इटली भी हो आए। दोनों अच्छी खासी फैमिली से थे, तो परिवार में पैसे की तंगी तो थी नहीं। और सुकेश अच्छी कंपनी में कंप्यूटर इंजीनियर था।

इसलिए बीबी को पैसे से व वैसे खुश रखने में कोई कसर नहीं छोड़ता था। शादी के दो साल बाद बंटी ,उनका बेटा उनकी जिंदगी में आ गया,तब तो उनकी जिंदगी खिल उठी।वे उसके तरह तरह के पालन पोषण में व्यस्त रहते। कुछ बड़ा होने पर दोनों ने उसे स्कूल में डाला। और देखते ही देखते वह समझदार हो गया।

और अपनी जिंदगी में व्यस्त होता चला गया।,पर रेवा को अपनी जिंदगी खाली लगने लगी।उसे लगता उनका दाम्पत्य जीवन नीरस हो गया है। वह कोई न कोई बहाना तलाश करती कि वह सुकेश के आसपास रहे,उसका ध्यान रखें,

सुकेश , तुम आजकल घर की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं देते ।

क्यों , क्या हुआ।

पिछले कुछ दिनों मैंने बंटी के लिए शर्ट लाने चलने के लिए बोला,पर तुम्हें तो आफिस से ही फुर्सत नहीं मिलती।

रेवा , किसी छुट्टी वाले दिन चलते हैं,

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क्यों आज चलो न।

नहीं अभी आफिस जरूरी है।

और रेवा इंतजार करती रह जाती है, सुकेश को आफिस से छुट्टी नहीं मिल पाती और एक दिन आखिर वह सुकेश से झगड़ पड़ती है।पर बाद में रेवा को सुकेश की व्यस्त जिंदगी की आदत हो जाती है पर रेवा समझ नहीं पाती कि वह कहां गलत पड़ रही है। वह सारा समय घर को देती है, बंटी का ध्यान रखती है

वह एक समझदार मां है, बच्चे को कैसे संभाला जाता है, यह बखूबी निभा रही हैं और इसका परिणाम बंटी अच्छे रिजल्ट ला रहा है , उसमें वह सारे संस्कार है, जो एक बच्चे में होने चाहिए।

पर वह क्या करे,कि उनकी गृहस्थी में वह सुकून ला पाए। तभी उसने सोचा कि वह सुकेश और बंटी, कुछ दिनों के लिए कहीं घूमने चले जाएं,पर सुकेश की नौकरी और बंटी के स्कूल की वजह से यह संभव नहीं हुआ। पर रेवा कहीं भी अपना दिल नहीं लगा पा रही थी। सहेलियां कुछ देर साथ देकर दूर हो जाती उसके दिल का खालीपन उसे महसूस करा कर उसकी जिंदगी को बेहद बोरिंग बनाता जा रहा था , सुकेश आफिस में डिप्टी मैनेजर बनाए जाने से और ज्यादा व्यस्त हो गया था।पर रेवा को सूझ नहीं रहा था कि वह क्या करे।

यूं तो रेवा पढ़ी लिखी बीए पास थी, पर किसी नौकरी में ना आने के कारण नौकरी से दूर थी। सुबह सफाई वाली आकर काम कर जाती। खाना वह स्वयं ही बनाती,पर फिर भी समय जैसे कांटे नहीं कटता।

तभी उसे अहसास हुआ कि उसका शादी से पहले का शौक रहा है कि घर को व्यवस्थित रूप से चलाए। उसने तो घरेलू साज़ सज्जा में कोर्स भी किया था। तो क्यों न वह उसी को आगे बढ़ाए।

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अगले दिन सुबह नाश्ते पर उसने सुकेश से इस बारे में बात की, सुकेश जो रेवा के खाली पन के किस्से से पहले ही हैरान था, उसे सहर्ष काम करने की सहमति दे दी।

रेवा ने गुगल खोल कर पहले तो यह पता लगाया कि इस कोर्स में वह आगे क्या कर सकती है, फिर साज़ सज्जा से संबंधित कोर्स में दाखिला ले लिया। हालांकि उसकी उम्र की महिलाएं इक्का दुक्का ही कोर्स में थी पर वह हिम्मत नहीं हारी व कम उम्र युवतियों के समान कोर्स करने में लग गयी। और उसकी लगन से वह साल भर का कोर्स अच्छे नंबरों पर पास कर गयी।

अब जरूरत थी उसे एक्सपीरियंस की। इसके लिए उसने अपने ही जान पहचान के लोगों द्वारा ये लेने का सोचा। उसके द्वारा कोर्स किए जाने का पता बहुत से लोगों को हो गया था वह उसे अपने जान पहचान वाले का नाम व पता बताने लगे , और देखते ही देखते वह एक अच्छे डेकोरेटिव के रूप में जानी जाने लगी।

काम की अधिकता इतनी बढ़ी कि एक को काम के लिए भी लगा लिया। और डेकोरेशन के क्षेत्र में जाना माना नाम बन गई।अब उसके मन की खलिश भी दूर हो गयी, क्यों कि जीवन को को ई अर्थ मिल गया था।

रेवा क्या रही है,कल मेरे आफिस की पार्टी रखी है, तुम्हें भी साथ चलना होगा, सुकेश ने रेवा को फोन किया,।

पर मेरा काम।

काम दो दिन बाद कर लेना।

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रेवा अपने काम को शिफ्ट करना तो नहीं चाहती थी,पर आखिर कार हां कहनी ही पड़ी।

आफिस में उसे किसी ने अपने साथ काम करने के लिए कहा तो वह एकाएक मना तो नहीं कर पाई, पर अंदर से डर गई क्योंकि वह काफी बड़े इंडस्ट्रीज के मालिक थे,पर सुकेश के आश्वासन देने पर वह काम के लिए तैयार हो गई। आज काम करते एक साल बीत गया। उसने इंडस्ट्रीज के साथ काम कर अपनी नई पहचान बनाई। बंटी अपनी लाइफ में आगे बढ़ रहा ‌है। वह भी सिर्फ चौके चूल्हे तक ही सीमित नहीं थी, अपने घर को झिलमिल सितारों की रोशनी में अपने आंगन को तो रोशन कर ही रही थी, साथ ही दूसरे का आंगन भी सितारों से झिलमिलाने में सहयोग कर रही थी। यह सब उसका अपने अंदर की आवाज को पहचान कर सही दिशा देने का ही नतीजा था, जिसने उसे एक सफल मुकाम पर पहुंचा दिया था,सच है लाइफ़ का मोटो ही व्यक्ति को लाइफ़ को बोझिल होने से बचाता है।

* पूनम भटनागर ।

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