जेवर – अंजू निगम

Post View 421 “जिज्जी, क्या सोचा? मालू की दुल्हन की गोद भराई में क्या देना है? सोना तो आग पकड़े है। पुन्नी बता रही थी कि पचास के ऊपर पहुँच गया है।” “पचास के ऊपर!!!!! राम राम। मैंने तो इतने दिनों से सोना खरीदा नहीं। हमारे बखत तो  बीस के आस पास रहा होगा।” सुधा … Continue reading जेवर – अंजू निगम