“जीवन संध्या के दिये” – कुमुद मोहन 

Post Views: 153 धन तेरस का दिन !शाम का धुंधलका छाने लगा था,कार्तिक मास की कुनकुनी सी ठंड देह को सिहरा रही थी !बीना जी खिडकी के पास बैठी आसमान पर चमकते तारों को देखती अपने ही खयालों में गुम थी कि “कहां हो? की आवाज देते मुकेश जी घर में घुसे! “अरे!अंधेरे में क्यूं … Continue reading “जीवन संध्या के दिये” – कुमुद मोहन