“जाने कहाँ गए वो दिन” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi
Post View 22,598 देविका जी उम्र के आठवें शतक में अपने आलीशान मकान के बरामदे में अकेली बैठी बाहर होती घनघोर बारिश देख रही थी!बिजली चमकने और बादलों की घड़घड़ाहट से उनका बूढ़ा शरीर डर के मारे रह रह कर कांप जाता! आंघी की वजह से लाईट भी चली गई थी! बैठे बैठे उनका मन … Continue reading “जाने कहाँ गए वो दिन” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi
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