जख्मों की हांडी – सरिता गर्ग ‘सरि’
Post View 704 बहुत साधारण वस्त्र और टूटी सी पुरानी चप्पल पहने लगभग घिसटती -सी आज जब वे मेरे पास आईं , उनके हाथ में एक सीलबंद लिफाफा था। आते ही बोली मैं तुम्हें एक काम सौंप कर जा रही हूँ। मेरे जीते ही तो यह सम्भव न हुआ पर शायद तुम वह सुपात्र हो … Continue reading जख्मों की हांडी – सरिता गर्ग ‘सरि’
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