जैसा तुम ठीक समझो – पूनम भटनागर : Moral Stories in Hindi

जावित्री और सुकेश पति-पत्नी बन कर फूले नहीं समा रहे थे। 7सालो की जान-पहचान के बाद अब कहीं जाकर शादी हो पाई थी। वहीं सुकेश का किसी और जाति होना तथा जावित्री का उनके स्टेटस का न होना शादी में बांधा बन रहा था। जावित्री के नाना सुकेश की दूसरी जाति की वजह से परेशान थे,

बार बार कोई न कोई अड़चन डाल देते। उस दिन भी रात्रि को जावित्री के घर बैठक जमीं। नाना जी बोले, बिटिया बाकी सब तो ठीक है, पर हमारी जाति तथा गोत्र काफी अलग है, कहीं कोई बात हो गई तो तुम्हारा प्यार वगैरह सब रखा रह जाएंगे। पर ये तो देखो, सुकेश इसका कितना ख्याल रखता है,

और कमाता भी अच्छा खासा है, मेरे ख्याल से दोनों की शादी करने ‌मे कोई हर्ज नहीं है, जावित्री के पापा बोले। पर जावित्री की मम्मी की राय अपने पिता से अलग नहीं थी। जावित्री बैचेनी से बोली कि , मां और नाना जी सुकेश एक सिर्फ जातके अलावा और किसी चीज में कम नहीं, फिर भी अगर आप ऐसा ही समझते हैं, तो जैसी आप ठीक समझें,

और कह कर वह अपने कमरे की ओर बढ़ गई। मां पिताजी समझ गये कि उनकी बेटी को यह सब बुरा लगा है, तब जावित्री के पिता बोले, मेरे लिए मेरी बेटी की खुशी ही सबसे ऊपर है, मैं सोचता हूं कि ,हम सबको उसके फैसले से सहमत होना चाहिए। सब लोग हालांकि सहमत नहीं थे पर मान ही गये। जावित्री का यह तकिया कलाम था,

कि जैसा तुम ठीक समझो। वह सोच रही थी कि उसने कहा तो दिया कि ठीक समझो पर सबने मिलकर उसकी शादी कहीं और तय कर दी तो, तभी छोटी बहन ने आकर कहा, दीदी खुश हो जाओ, सब मान गए हैं। तब कहीं जाकर उसकी जान में जान आई।

ऐसा ही सुकेश के घर का हाल भी ऐसा ही था, वहां उसके माता-पिता जावित्री के घर का स्टेटस कम समझते थे, बार बार एक ही बात पर अड जाते । सुकेश ने उन्हें बड़ी मुश्किल से मनाया। तब कहीं जाकर उनकी शादी हो पाई।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

“सुझाव” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

  दोनों पति-पत्नी शादी से बहुत खुश हुए। बाकी जावित्री के नाना तथा सुकेश के मातापिता सब लोग उन दोनों के अच्छे विचारों तथा व्यवहार से आहिस्ता आहिस्ता खुश हो गये। जावित्री व  , सुकेश एक दूसरे को पा कर बेहद खुश थे। शादी के बाद के चार साल कब पंख लगा कर उड़ गया पता ही नहीं चला,

ऐसा नहीं था कि इन चार सालों में दोनों को कयी बार परेशानी का सामना भी करना पड़ा। सुकेश जब भी कभी परेशानी में होता वह उसे सलाह देती, पर अपनी आदत के अनुसार कह देती, बाकी तुम जैसा ठीक समझो। और सुकेश समझ जाता कि ठीक क्या है। ऐसे ही एक दिन सुकेश के मातापिता ने कहा

,बेटा अब खुश खबरी कब ला रहे हो। दोनों को लगा कि यह बात सोचने की है, कि कोई भी परिवार नियोजन का साधन न इस्तेमाल करते हुए वह इस खुशी से कैसे मरहूम है। दोनों ने सोचा कि हमें डाक्टर को दिखना चाहिए। सो अगले दिन दोनों समय निकाल कर डाक्टर के पास गए।

टैस्ट करने पर पता पड़ा कि जावित्री की फैलोपियन ट्यूब में बलोकेज है। इलाज के बाद ही पता पड़ेगा। दोनों बेहद मायूस हुए, और किसी को कुछ न बताने का निर्णय लिया, जावित्री रोते हुई बोली, हम इलाज करवाएंगे, किसी भी चीज में पीछे नहीं रहेंगे। सुकेश भी उसके निर्णय को न चाहते हुए सहमत हो गया।

दोनों ने घर आकर माता-पिता को बताया , तो वे भी मायूस हो गये। अब दोनों अगले दिन से ही डाक्टर के पास जा रहे थे। सुकेश थोड़ा अनमना हो कर ही जाता ,पर उसका साथ देते हुए बिना किसी नतीजे में ही ज्यादा सोचता। पर जावित्री को विश्वास था कि आजकल सांइस ने इतनी तरक्की कि है,

उनकी मेहनत आखिर रंग लाएगी, बाकी वह भगवान पर छोड़ देती। ऐसे ही एक साल बीत गया , डाक्टर ने फिर टेस्ट कराए। अबकी बार सुकेश साथ नहीं जा पाया वह डॉक्टर के पास स्वयं से ही गई । सारे टेस्ट ठीक होने डाकटर ने कहा, कि ,, यूआर प्रेगनेंट। जावित्री को तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ,

उसने की बार डॉक्टर से पूछा, डाक्टर ने कहा कि अब आप प्रेगनेंट है, मारे खुशी के जावित्री को रास्ता काटे नहीं कट रहा था। घर आकर उसने मां के पांव छुए तो उन्होंने वजह पूछी , उसने सब सुना दिया। माता पिता उसकी बलाएं लेने लगे, सुकेश भी सब सुनकर आफिस में नहीं बैठ पाया। आते ही बोला,

इस कहानी को भी पढ़ें: 

चाइल्ड अब्यूज – प्रेम बजाज

सब बोले कि अब तुम्हारा ध्यान रखने की बेहद जरूरत है। इस पर अपनी आदत के अनुसार वह बोल पड़ी, जैसा आप ठीक समझें। तभी। सुकेश बोला, अब हम यह बात बोलेंगे ,कि जैसा तुम ठीक समझो। क्योंकि इस इलाज का फैसला तुम्हारा था, जिससे इतनी बड़ी खुशी हमें मिली है। जावित्री के मायके में भी मां बाबूजी व नाना जी यह खबर सुनकर खुशी से नाच उठे।

 *पूनम भटनागर।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!