*जहाँ चाह, वहाँ राह* – सरला मेहता

Post View 302 ” माँ ! तुम क्यों चली गई, हम सबको छोड़कर। दादी भी थक जाती है, दादू की सेवा टहल करते। पापा हम सबके ख़ातिर नई  बिंदु माँ ले आए हैं। पर उन्हें अपनी बेटी कुहू से ही फ़ुर्सत नहीं। तुम्हीं बताओं मैं क्या करूँ ? ” यूँ ही माँ से अपना दुखड़ा … Continue reading *जहाँ चाह, वहाँ राह* – सरला मेहता