Post View 129 सौंदर्य की प्रतिमूर्ति स्वंय को सर्वगुण सम्पन्न समझने वाली लेखा जी का मानना था कि दुनिया की किसी भी उपलब्धि और सफलता पर सिर्फ उनका ही अधिकार हो सकता है। इस बदगुमानी में की घर -बाहर आस-पड़ोस की सभी औरतें उनकी सुंदरता और गुणों से चिढ़ती हैं लेकिन पहनावे ओढावे में सभी … Continue reading जड़ें – सारिका चौरसिया
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