जब तक साँसों की डोर है, कर्मो का नहीं कोई छोर – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

Post View 20,010 पिताजी के गुजरने के बाद देव माँ को अपने पास शहर ले आया।हर समय बोलने वाली माँ कुछ तो पति के गम में और कुछ अकेलेपन की वजह से खामोश हो गईं।माँ का चेहरा दिन-प्रतिदिन पीला पड़ता जा रहा था।रीना और देव माँ की हालत देख चिंतित हो उठे। “पता नहीं क्यों … Continue reading जब तक साँसों की डोर है, कर्मो का नहीं कोई छोर – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi