जब मां ने बताई अपनी कीमत !! – स्वाती जैन : Moral Stories in Hindi

साहिल ऑफिस से जैसे ही घर पहुंचा , सुरेखा जी को नजर अंदाज करके सीधा अपने कमरे में चला गया !! सुरेखा जी तो बेचारी कब से उसी का इंतजार कर रही थी मगर साहिल को तो मां के पास रुकने की तो छोडो उनको देखने तक की फुर्सत नही थी !! 

सुरेखा जी का मन वैसे ही उदास हो रखा था , क्योंकि साहिल जब घर नहीं आया था तो उन्होंने अपनी बहू रागिनी से पूछा था कि आज साहिल अभी तक क्यों नहीं आया तभी उनकी बहू रागिनी उन पर चिल्लाते हुए बोली थी  मांजी कोई काम होगा तभी लेट हो रहे हैं हर कोई आपके जैसे निठल्लों की तरह तो नहीं बैठ सकता ना और मुंह बनाकर अपने कमरे में चली गई थी !! वैसे भी रागिनी सुरेखा जी को अब हर बात का जवाब बुरी तरह ही देती थी मगर बहू तो बहू अब बेटा भी सुरेखा जी से  कहां सीधे मुंह बात करता था !!

सुरेखा जी अपने बेटे के लिए अदरक , इलायची वाली चाय बनाने लगी , रोज तो साहिल चाय लेने खुद ही रसोई में आ जाता था मगर थोड़ी देर राह देखने के बाद भी जब साहिल रसोई में नहीं आया तो सुरेखा जी चाय लेकर बेटे के कमरे में चली गई  !! मां को अपने कमरे में देखते ही साहिल के तन बदन में आग लग गई और वह गुस्सा होते हुए बोला आपसे कितनी बार कहा है कि आप मेरे कमरे में मत आया कीजिए अरे ऑफिस से आने के बाद तो दो शांति दीजिए

और यह क्या आज भी लगता है ढंग से नहीं नहाई हो आप कितनी बार कहा है रगड़ रगड़ कर नहाया करो , कपड़े भी कितने गंदे हैं आपके ?? जब भी कमरे में आती हो एक अजीब सी बदबू छोड़ जाती हो !! हर बार कमरे में रूम फ्रेशनर छिड़कना पड़ता है !! कौन कहता हैं आपको मेरे लिए चाय बनाने को ?? रागिनी मेरा सब काम कर तो देती हैं और  आपको इतनी भी अक्ल नहीं कि यूं मुंह उठाकर किसी के कमरे में नहीं आते !! सुरेखा जी बोली बेटा मैं तो तुम्हारे लिए चाय लेकर आई थी !!

अच्छा ठीक है चाय रख दीजिए और जल्दी से मेरे कमरे से बाहर जाइए बेटे की बात सुनकर सुरेखा जी की आंखों में आंसू आ गए  !! इतने में बेटा फिर से बोला अब खड़े-खड़े मुझे घूर क्यों रही हो अब क्या हमारे कमरे में बसने का ही इरादा है आपका , जाइए यहां से !! सुरेखा जी कमरे से बाहर जा ही रही थी कि उनके कानों में रागिनी की आवाज पड़ी – साहिल , तुम्हारे लिए चाय मैं ही बनाने वाली थी मगर जान आज दिन भर अपनी सहेलियों के संग किटी पार्टी में डांस करते हुए मेरा तो पूरा बदन टूट रहा है मुझसे तो अब कोई काम नहीं होगा , रागिनी साहिल के गले में हाथ डालते हुए बोली !!

मां के सामने ही दोनों ने सारी शर्म -लिहाज आज बेच खाई थी तभी रागिनी बोली – तुम्हे तो गर्म गर्म चाय नसीब हुई साहिल वर्ना मैं भी इतनी थककर आई हुं मगर मुझे तुम्हारी मां ने चाय तो क्या पानी भी नही पूछा !! साहिल बोला डार्लिंग रुको अभी तुम्हारे लिए चाय बनवा देता हुं और फिर अपनी मां से बोला – आपकी बहू कितनी थकी हुई आई है पार्टी से जाकर इसके लिए गरमागरम कड़क मसालेदार चाय लेकर आइए और थोड़ी देर बाद अपनी बहू का सर दबा दीजिएगा

तभी अचानक से गाल पर पड़े चट्टाक की आवाज से दोनों बहु बेटो के पैर तले जमीन खिसक गई !!मां आपकी हिम्मत कैसे हुई हमें थप्पड़ मारने की इतने में एक और जोरदार तमाचा साहिल के गाल पर पड़ा बस बहुत हुआ तुम लोगों का शर्म नहीं आती अपनी मां का अपमान करते हुए अरे कम से कम मेरी उम्र का लिहाज कर लेते सुरेखा जी ने कहा !!

सासू मां अपनी हद में रहिए , स्टूपिड वुमन , रागिनी के इतना बोलते ही उन्होंने एक और जोरदार तमाचा अपनी बहू के गाल पर भी जड़ दिया अच्छे से जानती हूं बहु तुम्हें निहायत ही बदतमीज और बदचलन औरत हो तुम चार अक्षर क्या पढ़ लिए अपनी सारी सभ्यता संस्कृति भूल गई हो , अभी चार झापड़ और लगाऊंगी ना तो सारी अंग्रेजी निकल कर बाहर आ जाएगी समझी तुम तुम भूल रही हो बहू मैं इस घर की मालकिन और तुम्हारी सास हूं और बेटा तुम वह तो बहू है

लेकिन क्या तुम पत्नी के प्रेम में इतने अंधे हो गए कि तुम्हें अपनी मां के दर्द का रत्ती भर भी एहसास नहीं होता और तुमने क्या कहा था आज मां के हाथों की चाय पीने से तुम्हें इंफेक्शन हो जाएगा सिर्फ इसलिए कि बुढ़ापे में मुझे सर्दी खांसी रहती है लेकिन मैंने तो कभी बचपन में खुद से तुम्हें कभी दूर नहीं किया जब तुम्हें आए दिन बुखार टाइफाइड दस्त उल्टी चिकन गुनिया और ना जाने क्या-क्या बीमारी लगी रहती थी तो मैंने तो कभी तुमको अपने आंचल से उतरने तक नहीं दिया

तुम लोग अपने आप को पढ़े लिखे कहते हो अगर पढ़ लिखकर इंसान तुम्हारे जैसा बनता है और बड़े होकर अपने मां-बाप के साथ ऐसा व्यवहार करता है तो लालत है तुम जैसे पढ़े लिखे बच्चों पर इससे अच्छा तो फिर अनपढ़ ही ठीक है कम से कम वह अपने सभ्यता संस्कृति तो नहीं भूलता है क्या इसी दिन के लिए तुम्हें पाल पोस कर दुनिया से अकेले लड़कर तुम्हें इस काबिल बनाया था कि तुम बुढ़ापे में अपनी मां के आत्म सम्मान को तार-तार करो क्या कुछ नहीं किया मैंने

तुम्हारे लिए लेकिन आज तुमने अपनी पत्नी के आगे एक मां के सम्मान को मिट्टी में मिला दिया अब मैं तुम लोगों की एक भी नहीं सुनने वाली तुम लोगों का क्या करना है यह भी मैं अच्छे से जानती हूं दोनों बेटे बहू मां का यह रूप देखकर सन्न से खड़े रह गए उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि अकेली मां इतना साहस भी दिखा सकती है  !!

इतना कहकर सुरेखा जी फूट फूट कर रोने लगी भरी जवानी में सुरेखा जी विधवा हो गई थी अकेले उन्होंने अपने बेटे को कैसे पाला पोसा और पढ़ा लिखा कर बड़ा किया और उसकी शादी करके सोचा था कि बहू आएगी तो इतने सालों से जो अकेलापन और दर्द वह सहती आ रही है वह खत्म हो जाएगा लेकिन यहां तो सब कुछ उल्टा ही था धीरे-धीरे बेटे – बहु ने उनकी दुर्दशा करनी शुरू कर दी थी यहां तक के नहाने धोने और खाने पीने पर भी पाबंदी लगा दी थी  !! दरअसल दो महीने पहले की बात है सुरेखा जी की बहू रागिनी ने अपने घर में किटटी पार्टी रखी हुई थी , सुरेखा जी अपने घर के बाहर एक छोटी सी कोठरी में लेटी हुई आराम कर रही थी  !!

 कोठरी में नीचे लगे बिस्तर पर वह लेटी थी कि अंदर दो आदमी आते हैं और टेबल पर चढ़कर ट्यूब लाईट खोलने लगते हैं !! सुरेखा जी हड़ बढ़ाकर उठ बैठती और उनसे पूछती हैं यह सब क्या हो रहा है तो उन दोनों आदमियों ने कहा मां जी हमें इस कमरे का ट्यूबलाइट खोलने के लिए भेजा गया है !! उतने में रागिनी भी उस कमरे में आ पहुंची और कहती है अरे जल्दी खोलो ट्यूबलाइट !! बाहर ते कमरे में भी तो लगानी है थोड़ी ही देर में मेहमान भी आने लगेंगे  !!

सुरेखा जी ने अपने बहू से कहा बहू यह लाइट खुलवा कर कहां ले जा रहे हो और फिर यहां बिना लाइट के मैं कैसे रहूंगी अभी थोड़ी ही देर में रात हो जाएगी और अंधेरे में मुझे कुछ नहीं दिखाई देगा कम से कम कमरे में एक लाइट तो रहने दो  !!

पहले से ही मेरा पलंग छिनकर मुझे नीचे सुलाते हो तुम लोग जिससे मेरी गर्दन का दर्द बढ़ता ही चला जा रहा है फिर तुमने इतनी गर्मी में पंखा भी निकलवा दिया और अब ऊपर से यह लाइट भी नहीं रहेगी तो मैं कैसे अंधेरे में सो पाऊंगी !!

रागिनी गुस्से में बोली बुढ़िया तुझे यह छत और तीन समय का खाना बैठे बिठाए मिलता है इसके लिए मेरा शुक्र मना बिस्तर और लाइट पंखा चाहिए महारानी को पता भी है कितना महंगा बिल आता है  !!

तुम्हें क्या पता होगा दिन भर पड़े रहना और चरना इसके अलावा और काम ही क्या करती हो तुम  !!!

सुरेखा जी बेचारी कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाई और फिर से नीचे बिस्तर पर जाकर बैठ गई !!

थोड़ी देर बाद सुरेखा जी की नजर बाहर के कमरे में गई तो उनहोने देखा बहू ने किट्टी पार्टी के लिए पूरे घर को सजवाया था !! यहां घर के हर कोने को रंगबिरंगी रोशनी से सजाया जा रहा था वहीं उनके खुद के कमरे में से एक छोटी सी लाइट भी हटा दी गई थी !!

जहां पूरे घर में रोशनी ही रोशनी थी दूसरी तरफ सुरेखा जी के कमरे में एकदम अंधेरा  !!

रागिनी ने एक कुक को भी बुलाया था जिससे रागिनी बहस करते हुए कह रही थी मैंने तुमसे कहा था तुम दो लोग आना फिर तुम अकेले क्यों आई हो ??

कुक रागिनी से बोली मैडम जी अचानक से मेरी सहायक बीमार पड़ गई है तो मैंने किसी और से बात की है वह अभी आती ही होगी !!

रागिनी बोली साल में एक बार मेरे घर किट्टी का नम्बर आता है मेरा और मुझे मेरी हर चीज परफेक्ट चाहिए !! टोटल बीस लोग आने वाले हैं खाने पर !! अगर तुम्हारा काम पसंद नहीं आया तो अगली बार मैं तुम्हें नहीं बुलाऊंगी और दूसरे लोगों को भी बता दूंगी कि यह कुक अच्छा खाना नहीं बनाती !!

कुक बोली मैडम जी मैं अच्छा खाना बनाऊंगी आप ऐसा मत करना बस ,मैडम जी मुझे एक और सहायिका की जरूरत पड़ेगी और मैंने जिस सहायिका को बुलाया हैं वह भी अब तक नही आई !!

सुरेखा जी को देखकर रागिनी बोली यह हैं तुम्हारी सहायिका !! एक काम करो तुम बाकी सारे काम इनसे करवा लेना !! 

सुरेखा जी को देखकर कुक आश्चर्य से बोली – पर यह तो काफी बुजुर्ग है मैडम जी !! क्या यह इतने सार काम कर पाएंगी ?? अरे मैडम कहां से ले आए आप इस बेचारी को इतना काम कैसे करेंगी इतने बड़े-बड़े पतीले यह कैसे धो पाएंगी कप कपात हाथों से यह सब्जी कैसे काटेगी ? ?

इतने में रागिनी बोली तुम्हें इसकी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं तुम अपना काम करो और इससे इसका काम कराओ यह कहकर रागिनी वहां से चली गई  !!

इधर कुक सुरेखा जी से बोली अम्मा तुम यहां बैठकर यह सारी गाजर काट दो वहां सब्जियों के ढेर पड़े थे जिसे दिखाकर कुक सुरेखा जी से पूछती है काट लोगे ना अम्मा इतनी सब्जियां  ??

अच्छा बताओ अम्मा घर में और कोई नहीं है क्या तुम्हारे जो तुम इस उम्र में भी यह काम करने आई हो !! मानती हूं कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता पर अपनी उम्र तो देखो इस उम्र में इतना कठिन काम अरे यह उम्र तो तुम्हारे आराम करने की है लगता है अम्मा कोई बहुत बड़ी मजबूरी ही रही होगी मजबूरी इंसान से ना जाने क्या-क्या करा देती है !!

तभी सुरेखा जी ने कहा क्या करूं बेटा जब किस्मत ही खराब हो तो उम्र को ही हार माननी पड़ती है मुझे जो यहां छोड़कर गई है अभी वह मेरी बहू है !!

सुरेखा जी के इतना कहते ही उस कुक ने कहा क्या वह आपकी बहू है मतलब तुम इस घर की मालकिन होकर नौकरानी का काम करती हो पर क्यों अम्मा ??

 बेटा कहां की मालकिन मैं एक बुढ़िया जिस पर उसके बेटे बहू एहसान कर रहे हैं दो वक्त की रोटी देकर मुझ पर बहुत बड़ा एहसान कर देते हैं !!

बेटा माता-पिता अपने बच्चों को बुढ़ापे की लाठी समझते हैं पर यह कोई नहीं जान सकता कि वह लाठी आपको सहारा देगी या आपके ऊपर पड़ेगी !!

कुक सुरेखा जी की बातों को ध्यान से सुन रही थी तभी सुरेखा जी ने कहा चलो बेटा अब मुझे क्या करना है यह बता दो !! बूढ़ी हड्डियां है थोड़ा धीरे-धीरे काम करेंगी उस पर अगर हम बातें करने लगेंगे तो और देरी हो जाए गी जिससे तुम्हें थोड़ी फटकार मिलेगी पर मुझे तो खाना ही मिलना बंद हो जाएगा !!

थोड़ी देर बाद मेहमानों का आना जाना शुरू हो गया तभी रागिनी रसोई में आकर कहती है सुन बुढ़िया तुझे बाहर नहीं आना है किसी भी हाल में , मैंने सारे मेहमान को कह दिया है कि मेरी सास हरिद्वार गंगा स्नान करने के लिए गई है इसलिए गलती से भी अपना चेहरा मत दिखाना !!

 बुढ़िया बिल्कुल भी कमरे से बाहर मत आना समझी !!

अब क्या था इसके बाद पार्टी शुरू हो जाती है और इधर खाना बनकर तैयार हो गया था !!

पूरे दिन रसोई में बैठे-बैठे सुरेखा जी की हालत खराब थी ऊपर से उनसे काम भी करवाया जा रहा था !! कुक तो फिर भी बाहर पंखे के नीचे बैठकर सुस्ता कर आती पर सुरेखा जी को बाहर जाने की इजाजत नहीं थी कुछ घंटे बाद कुक जाकर सुरेखा जी से कहती है अम्मा बस पार्टी खत्म ही समझो अब तुम भी खा लो फिर बाहर चली जाना थोड़ा आराम कर लेना  !! सुरेखा जी को बहुत तेज भूख लगी थी और सुबह से खाने के बीच में बैठकर भी वह एक निवाला खाने का सोच भी नहीं सकती थी

क्योंकि अगर सुरेखा जी को खाते हुए उनकी बहू ने  देख लिया तब तो वह उनका खाना पीना ही बंद कर देगी और कुक के कहने पर बाहर जाकर वह आराम करें भी तो कैसे ?? रसोई में पसीने से तर बतर हो गई थी ऊपर से उनके कमरे से लाइट पंखा भी हटा दिया गया था !!

जब किट्टी पार्टी में आए सारे मेहमान चले गए और रागिनी रसोई में आई तो उसने कुक को पैसे दिए तो कुक बोली मैडम बर्तनों को धोने के लिए एक साबुन दे दीजिए और थोडे पैसे ओर दे दीजिए ताकि मैं सारे बर्तन धो दू !!

रागिनी बोली तुम उसकी फिक्र मत करो , मांजी बर्तन धो देगी !!

 बेचारी अम्मा इस उम्र में कैसे बर्तन धोएगी !! जहां पार्टी में इतने पैसे खर्च किए वहां थोड़े से और पैसे खर्च भी हो जाएंगे तो क्या हुआ , कुक के  इतना बोलते ही रागिनी बड़बड़ाती हुई कहती है तुम्हें बड़ी पड़ी है इस बुढ़िया की सुनो अब तुम्हारे काम के पैसे तुम्हें मिल गए हैं ना अब अपना रास्ता नापो और तुम्हें इस बुढ़िया पर ज्यादा दया आ रही है तो इसको भी अपने साथ ले जाओ ! कुक सुरेखा जी को एक दया की दृष्टि से देखती है और वहां से चली जाती है  !!

सुरेखा जी अपनी बहू से बोली बहू मुझे बहुत तेज भूख लगी है पहले मुझे खाना लेने दो फिर यह सारे बर्तन धो लूंगी यह सुनते ही रागिनी गुस्से भरे स्वर में बोली यह सारा काम पहले खत्म करो फिर खाना खा लेना  !! मुझे पता है अगर पहले ही तुम्हें खाना मिल जाएगा तो तुम सुस्ता सुस्ता कर काम करोगी इसलिए पहले काम खत्म करो अब सुरेखा जी अपने आंसू रोक नहीं पाई सुबह से काम किया और एक निवाला भी मुंह में नहीं डाला था पर अंत में उन्हें मिला क्या पूरा काम करने के बाद भी थोड़ा सा दाल और चावल !!

वह सोचने लगी कि आखिर क्या पाप किया था मैंने जो यह दिन देखना पड़ रहा है 56 प्रकार के व्यंजन बनाए गए पर मिला क्या दाल चावल अब उसको ही खाकर भूख को मिटाना पड़ेगा !!

खाना खाकर सुरेखा जी साहिल से बोली – साहिल मेरे कमरे में लाईट पंखा भी नही हैं , मुझे नींद नही आएगी अब !!

साहिल गुस्से में बोला तंग आ गया हुं तुम्हारे खर्चे उठाते उठाते , कहीं ओर चली जाओ यहां इतनी ही दिक्कत हैं तो !!

अपने बेटे के मुंह से तीर के समान चुभने वाली बातें सुनकर सुरेखा जी से कुछ बोला ही नहीं गया और उनकी आंखों में आंसू झर झर बहने लगे !! अब सुरेखा जी को इन सब चीजों की आदत हो गई थी !!

एक दिन सुरेखा जी बाहर सामान लाने गई थी , उन्हें रास्ते में कुक मिल जाती है और वह बोली अम्मा उस दिन तुम्हारी रसोई को देखकर मैं तो हैरान ही रह गई , इस उम्र में भी सब्जियां इतनी अच्छी बना लेती हो और खाना भी इतना अच्छा बनाती हो कितनी कुशलता से सब करती हो और तुम्हारे गाजर का हलवे का तो कोई मुकाबला ही नहीं इसलिए तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर लाई हूं यहां एक बड़े सेठ जी के यहां उनकी शादी की 50वीं सालगिरह हैं !! उस दिन जैसा हलवा अगर तुमने इस दिन बना दिया यकीन मानो तुम्हारा जीवन ही बदल जाएगा  !!

कुक की बात सुनकर सुरेखा जी ने कहा पर मैं यहां से कहीं नहीं निकल सकती तो वहां कैसे जाऊंगी और बेटे बहू की गुलामी की जिंदगी से परेशान हूं अगर उन्हें मेरे काम का पता चला तो मुझे घर और बाहर दोनों के कामों को करवा करवा कर पीस डालेंगे ना बाबा ना तुम तो रहने ही दो मेरे लिए इतना सोचा उसके लिए शुक्रिया पर मुझे अपना हुनर कहीं नहीं दिखाना सुरेखा जी की बात सुनकर कुक ने कहा तुम यहां से कोई और बहाना बनाकर निकलना अम्मा !!

तुम अपने बेटे बहू की गुलामी क्यों करती हो जब तुम्हारे पास अच्छी खासी कमाई होगी और वह भी अच्छी खासी नौकरी होगी तो फिर तुम्हें किसी की गुलामी नहीं करनी पड़ेगी जरा सोचो और हां यह लो मेरा नंबर अगर करने का मन करे तो बस इस नंबर को मिला देना एक बात याद रखना अम्मा यह कोई छोटा-मोटा सेठ नहीं है यह कहकर कुक वहां से चली गई !!  सुरेखा जी मंदिर जाने का बहाना बनाकर उस कुक को फोन करके काम के लिए हां कर देती है !!

उस सेठ के वहां हलवा बनाने के बाद सुरेखा जी की इतनी प्रसिद्धि हो गई कि उन्हें कईयों ने अपने यहां हलवा बनाने का ऑर्डर दे दिया वह ज्यादातर मंदिर के बहाने घर से निकलने लगी  !!

इस पर रागिनी को शक हुआ पर उसने सोचा चलो घर के काम करके ही तो जाती है जाए जहां भी जाना है उसने तो कभी यह सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस बुढ़िया को वह पुराने सामान की तरह इस्तेमाल कर रही थी वह इतना कुछ कर सकती है इसी तरह कुछ महीने बीते और सुरेखा जी की प्रसिद्धि होती जा रही थी एक दिन साहिल घर जाकर रागिनी से कहता है सुनो व्यापार में बड़ा घाटा हो रहा है ऐसा ही चलता रहा तो मुझे डर है जल्दी ही यह घर बेचना पड़ेगा !!

पर यह घर बेचकर हम जाएंगे

कहां रागिनी ने पूछा !!

एक किराए का मकान देख रखा है मैंने इस बुढ़िया को आश्रम में छोड़ आऊंगा और हम एक साथ उस किराए के मकान में रहेंगे इस तरह हम दोनों अपना खर्चा चला लेंगे इस बुढ़िया का बोझ कौन उठाएगा साहिल ने यह सारी बातें अपनी पत्नी से कहीं !!

फिर एक दिन सुबह सुरेखा जी से बोला चलो मां तुम्हें वृद्ध आश्रम में छोड़ देता हूं अब यह घर मैंने किसी को बेच दिया है तो इसलिए हम जा रहे हैं किराए के घर में और तुम्हारा बोझ मैं अब और नहीं उठा सकता आज तुम्हारी वजह से मेरी यह हालत हुई है मनहूस हो तुम हमेशा मेरी बरकत तुम्हारी वजह से नहीं हो पाई अपने बेटे की यह बातें सुनकर आंखों में आंसू ले सुरेखा जी ने कहा ठीक है बेटा तुम जैसा चाहो वैसा कर सकते हो और उन्होंने हाथ जोड़कर बोला बेटा बस 10 दिन की मोहलत दे दो मैं अपने रहने का इंतजाम कर लूं फिर मैं खुद चली जाऊंगी यहां से 

बेटे ने सोचा चलो ठीक है खुद ही चली जाएगी तो कोई मुझ पर उंगली भी नहीं उठाएगा !!

सुरेखा जी ऐसे ही छुपते छुपाते लोगों के बुलाने पर खाना बनाने के लिए जाती थी जहां से उन्हें अच्छी खासी तनख्वा भी मिलने लगी थी तो करीब ऐसे ही 10 दिन निकल गए अब तो सुरेखा जी के पास खर्चे के लिए पैसे की कोई कमी नहीं थी धीरे-धीरे पैसे ज्यादा मिलने लगे !!

सुरेखा जी दिन में गले में झोली  और हाथ में डंडा लेकर घर से निकल जाती ताकि बेटे बहू को लगे कि मां भीख मांग मांग कर अपना पेट का गुजारा करती हैं वह भी कुछ नहीं पूछते थे वह सोचते थे थे कि चलो हमसे तो पीछा छूटा इस बुढ़िया का !!एक दिन सुरेखा जी को उस कुक ने बताया कि अम्मा अपने देश में बहुत बड़ा आयोजन होगा देश विदेश के लोग वहां पर अपने-अपने तरीके का ट्रेडिशनल खाना बनाएंगे और जिनका खाना ज्यादा पसंद आएगा उसे 2 करोड़ का इनाम दिया जाएगा यह सुनते ही सुरेखा जी की आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई थी उन्होंने कुक से कहा मैं जरूर हिस्सा लूंगी !!

 दो दिन बाद आयोजन था सभी लोग अलग-अलग प्रकार के व्यंजन बना रहे थे सुरेखा जी ने उसमें दाल- बाटी चूरमा बनाने लगी !! कुछ समय बाद लगभग जब सारा खाना तैयार होने को आया तो उन्होंने एक बर्तन में गोबर के बने हुए उपले जलाकर बिल्कुल ट्रेडिशनल तरीके से बाटियों को सेकना शुरू कर दिया दाल बाटी की सुगंध पूरे रसोई घर में फैल रही थी कुछ समय बाद बड़े-बड़े लोगों ने खाना टेस्ट करना शुरू किया तो पहले तो सुरेखा जी के खाने की तरफ किसी ने झांक कर भी नहीं देखा

लेकिन कुछ ही देर में कुछ ऐसा हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी लोगों की सारी भीड़ सुरेखा जी के खाने पर टूट पड़ी लोगों को उनका दाल बाटी चूरमा इतना पसंद आया कि लोग उंगलियां चाटते रह गए यह देखकर सुरेखा जी की आंखें भर आई इस स्टेज पर उन्हें दो करोड़ डॉलर की धनराशि दी गई तो पूरा हॉल तालियों से गूंज रहा था दोस्तों कहते हैं ना कि किस्मत बदलते देर नहीं लगती आज सुरेखा जी की किस्मत भी बुलंदियों को छूने को तैयार थी !!

जब बेटे बहू को सारी सच्चाई पता लगी तो दोनों सुरेखा जी से माफी मांगने लगे , मगर सुरेखा जी ने उन्हें माफ नहीं किया !!

दोस्तों क्या सुरेखा जी ने सही किया ??

आपकी प्रतिक्रिया जरुर दें !!

धन्यवाद !!

स्वाती जैन 

#कीमत 

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