जब जागो तभी सबेरा – कमलेश राणा
Post View 539 जब जीवन में नैराश्य का घोर अंधकार छाया हो, जीवन नैया झंझावातों के भंवर में हिचकोले खा रही हो, दूर दूर तक किनारा नज़र न आ रहा हो तब रोशनी की नन्हीं सी किरण भी उम्मीद जगा जाती है, जीने की, आगे बढ़ने की। नवीन के साथ भी कुछ ऐसा ही हो … Continue reading जब जागो तभी सबेरा – कमलेश राणा
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