जब जागो तभी सबेरा  – कमलेश राणा

अरे विभा बड़े दिनों बाद दिखाई दी हो आज, तुम तो बिल्कुल ईद का चाँद हो गई हो। 

बस घर गृहस्थी के कामों से कहाँ फुर्सत मिलती है यार.. वैसे तुम्हें शायद मालूम नहीं कि मैं सुमित के साथ दुबई शिफ्ट हो गई हूँ। 

अरे वाह तो मेरी सखी परदेशी हो गई है अब.. पर सुमित के दादाजी का क्या?? अब वो अकेले कैसे रहेंगे उनकी तो तबियत भी ठीक नहीं रहती है न। 

इसीलिए हम उन्हें भी अपने साथ वहीं ले गये हैं और एक खुशी की बात बताऊँ.. मैंने भी नौकरी जॉइन कर ली है वहाँ अभी एक मीटिंग के सिलसिले में इंडिया आई हूँ। 

वाह रे मेरी सुपर वूमन !!! छोटे बच्चे, अशक्त वृद्ध, नौकरी, पति, घर सब एकसाथ कैसे संभाल लेती हो तुम। 

अरे वो सानिया है न उसके होते सब मैनेज हो जाता है । हर काम में इतनी चाक चौबंद है न वो कि मुझे किसी काम की चिंता करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। 

वो बस घर के काम ही तो कर लेती होगी फिर दादाजी की देखभाल के लिए तो तुमने किसी नर्स को रखा होगा न। उनको समय पर दवाई देना और बार- बार वॉशरूम ले जाना भी तो बड़ा जिम्मेदारी का काम है क्योंकि तुम तो सुबह ही ऑफिस चली जाती होगी । 

यह काम भी सानिया ही करती है वह उनकी व्हीलचेयर को धकेल कर वॉशरूम तक ले जाती है और दवा के समय के लिए उसने अलार्म लगा रखा है तो कभी चूक नहीं होती। जब दादाजी को लाइट ऑन ऑफ करानी हो या टी वी चलानी हो तो भी सानिया चुटकियों में बिना झुंझलाये सारे काम कर देती है। 

अब सानिया में मेरी दिलचस्पी बढ़ती जा रही थी। 

बहुत भाग्यशाली हो विभा तुम जो तुम्हें परदेश में इतनी वफादार और मेहनती मेड मिल गई है फिर तो उसका सारा दिन दादाजी की सेवा में ही गुजर जाता होगा फिर बच्चों की देखभाल और साफ सफाई के लिए और भी मेड रखी होंगी तुमने। 

अरे गौरी वह एक ही दस के बराबर है। वह सुबह सबसे पहले घर की सफाई करती है फिर बच्चों को मॉर्निंग वॉक के लिए पार्क ले जाती है अगर वो परेशान करते हैं तो उन्हें गाने, कविताएं सुनाकर या कार्टून दिखाकर खुश करती है और उनका होमवर्क भी करवाती है। वह बच्चों को बहुत प्यार करती है और उनके मन के भाव आसानी से समझ जाती है। 

पता है गौरी वह सुमित के लिए जूम कॉल पर मीटिंग भी अरेंज करती है और उसके लिए पॉइंट्स भी देती है। 




विभा अब तो तेरी बातें मुझे किसी काल्पनिक जिन की याद दिला रही हैं। एक इंसान में इतनी खूबी और फुर्ती तो बस इमेजिन ही की जा सकती हैं सच बता तू मज़ाक तो नहीं कर रही कहीं 

मज़ाक क्यों करूँगी मैं तुमसे… सच तो यह है कि वह इंसान नहीं है तभी वह कभी थकती नहीं है और एकबार चार्ज करने के बाद सारे दिन काम करती रहती है वह एक रोबोट है। 

हें!!! रोबोट इतने समझदार होते हैं। 

हाँ गौरी अब तो इनमें इमोशन भी अपलोड कर दिये गए हैं जिससे व्यक्ति के चेहरे से वह उसके खुश या दुःखी होने के भाव को समझ जाते हैं। 

पर घर में अगर कोई इमर्जेंसी हो तो… 

एक बार दादाजी बेड से गिर गये तो उसने हमें तुरंत कॉल कर दिया और तुम्हें विश्वास नहीं होगा गौरी उसने एंबुलेंस को भी फोन कर दिया… हमारे घर पहुँचने से पहले ही एंबुलेंस वहाँ पहुँच गई थी। 

उसके होते हम बहुत निश्चिंत हैं जब हम कभी बाहर जाते हैं तो उसे भी फोल्ड करके कार में अपने साथ ले जाते हैं अब हमें उसकी आदत हो गई है। 

यह सब तो ठीक है विभा मानव के मस्तिष्क की शक्ति के आगे नतमस्तक होने का मन करता है जिसने खुद से भी ज्यादा शक्तिशाली मशीन का अविष्कार कर लिया है पर कहीं न कहीं मन यह सोचकर आशंकित है कि कहीं मानव को इसकी आदत पड़ गई तो परिवार की प्रासंगिकता कहीं कम न हो जाये। 

हम परिवार का साथ शारीरिक और मानसिक सपोर्ट के लिए ही तो चाहते हैं जो हमें जब तब सपोर्ट के स्थान पर क्लेश अधिक देते हैं ऐसे हालात में कुछ राशि खर्च करके अगर मशीनें यह सुख देने लगें और वह इंसान से अधिक महत्वपूर्ण हो जाएं उससे पहले हमें जागना होगा अपनों के लिए वक्त निकालना होगा उनकी परवाह करनी होगी वरना भविष्य क्या होगा यह तो राम ही जाने। 

#5वां_जन्मोत्सव

स्वरचित एवं अप्रकाशित

कमलेश राणा

ग्वालियर

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